ब्रिटेन द्वारा प्रथम विश्वयुद्ध के विदेशी नायकों का सम्मान
बैरोनेस वारसी द्वारा उस स्मृति फलक का अनावरण जिसमें उन 175 विदेशी वीरों का उल्लेख है जिन्हें प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया था।
आज, सरकार द्वारा आयोजित प्रथम विश्वयुद्ध के शताब्दी कार्यक्रम के अंग के रूप में, एचआरएच ड्यूक ऑफ केंट और विदेश कार्यालय में वरिष्ठ राज्य-मंत्री तथा मिनिस्टर फॉर फेथ एंड कम्युनिटीज बैरोनेस वारसी ने उस स्मृति फलक का अनावरण किया जिसमें उन 175 विदेशी वीरों का उल्लेख है जिन्हें प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उनकी सेवाओं के लिए सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया था।
11 कांस्य स्मृति फलक पर, जिन्हें पहली बार लंदन के लैंकैस्टर हाउस में आयोजित कार्यक्रम में लोगों के सामने प्रदर्शित किया गया, विक्टोरिया क्रॉस के विजेता वीरों के नाम अंकित हैं और इन्हें उन वीरों के अपने-अपने देशों में भेजा जाएगा और युनाइटेड किंगडम के लोगों के मन में उनके प्रति कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में प्रमुख स्थानों पर इनका प्रदर्शन किया जाएगा।
विक्टोरिया क्रॉस विजेताओं में से आज दुनिया भर में केवल नौ लोग बचे हैं जिनमें से दो सार्जेंट जॉन्सन बेह्री वीसी और ऑस्ट्रेलियाई कॉरपोरल मार्क डोनाल्डसन वीसी भी फलकों के अनावरण के अवसर पर उपस्थित थे।
कार्यक्रम के बारे में बोलते हुए विदेश कार्यालय की वरिष्ठ मंत्री बैरोनेस वारसी ने कहा:
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि यह सही मायने में एक वैश्विक युद्ध था, ऐसा युद्ध जिसने पृथ्वी के हर हिस्से के लोगों को इसमें खींच लिया। बलिदान केवल युनाइटेड किंगडम के लोगों ने ही नहीं दिया, बल्कि दुनिया भर के कई लाख लोगों ने दिया: चाहे ऑस्ट्रेलिया के लोगों की विशाल संख्या हो जो अपने घर से बहुत दूर स्वेच्छा से इसमें शामिल हुए थे, वे 12लाख भारतीय सैनिक हों जिन्होंने इसमें भाग लिया, या फिर वेस्टैंडीज द्वीपों से आने वाली जरूरी सहायता। यह सचमुच प्रेरणादायी है कि आज से 100 साल पहले हमारी मानवता की जीवन-धारा को बचाने के लिए इतने सारे देश एक साथ आए थे। यह एक ऐसा युद्ध था जिसमें एक समूची पीढ़ी ने अद्वितीय साहस और बलिदान दिखाया ।
इस साल हम 11 देशों के 175 वीरों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं जिन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान “शत्रु का सामना करते हुए” अनुपम वीरता और दिखाई थी। ये असाधारण लोग युद्ध के दौरान अपने असाधारण कृत्यों के लिए ब्रिटेन के उच्चतम शौर्य पुरस्कार विक्टोरिया क्रॉस से नवाजे गए। हम उनके सम्मान में कांस्य स्मृति फलक पर उनके नाम उत्कीर्ण कर उनके देशों को प्रदान करेंगे, जिसके जरिए यह प्रबल संदेश जाएगा कि सर्वहित के किसी भी समान उद्देश्य के लिए अलग-अलग पृष्ठभूमियों के लोग एकजुट हो सकते हैं।
मैं इस बात से आश्वस्त हूं कि हम यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी पृष्ठभूमियों और सभी पीढ़ियों के लोग सौ साल पहले उनके पूर्वजों द्वारा दिखाए गए अप्रतिम साहस और वीरता से सीख ग्रहण करेंगे।
आगे की जानकारी
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सार्जेंट जॉन्सन बेह्री वीसी को इराक में, और ऑस्ट्रेलियाई कॉरपोरल मार्क डोनाल्डसन को अफगानिस्तान में उनकी सेवा के लिए वीसी प्रदान किया गया था। लैंकैस्टर हाउस में आज के कार्यक्रम में दोनों वीर नायक उपस्थित थे।
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अन्य सम्मानित अतिथियों में थे वीसी प्राप्त वीर नायकों की संतानें, प्रथम विश्वयुद्ध पर प्रधानमंत्री के सलाहकारी बोर्ड के सदस्य, संबंधित देश के प्रतिनिधिऔर यूथ युनाइटेड के कुछ युवा जो इस देश के विभिन्न कैडेट बलों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
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11 देशों के 175 वीसी प्राप्त वीरों का सम्मान किया गया। ये देश हैं: कनाडा (70 वीसी), ऑस्ट्रेलिया (66); न्यूजीलैंड (16); द. अफ्रीका (14); भारत (6); अमेरिका (5); पाकिस्तान (3); नेपाल (2); डेनमार्क (2); बेल्जियम (1) और यूक्रेन (1)। (ध्यान दें: कुछ की निष्ठा एक से अधिक देशों के साथ थी, इसलिए फलक पर संख्या में कुछ विसंगति है)। अधिक जानकारी हमारे प्रकाशन WW1 विक्टोरिया क्रॉस रेसिपिएंट फ्रॉम ओवरसीज से प्राप्त की जा सकती है।
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यह ब्रिटेन में पैदा हुए वीसी विजेताओं के सम्मान के एचएमजी कार्यक्रम का उनके गृह नगर में स्मारकीय पेविंग स्टोन विस्तार है। कांस्य फलक पीक डिस्ट्रिक के लिएंडर आर्किटेक्चरल के परिवार-संचालित आर्टिजन फाउंड्री में निर्मित हैं और इस डिजायन का इस्तेमाल फ्लैगस्टोन के रूप में होता है, जो ऐसी डिजायन है जिसका चयन 2013 में एक अखिलराष्ट्रीय प्रतियोगिता के जरिए किया गया।
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अनावरण के बाद फलकों को उनके संबंधित देशों को भेज दिया जाएगा, जहां हमारी इच्छा है कि उन्हें प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित किया जाए, जैसे- अमेरिकी फलक को आर्लिंगटन सिमेट्री में, ऑस्ट्रेलियाई फलक को ऑस्ट्रेलियन वार मेमोरियल में; द. अफ्रीकी फलक को केप टाउन कैसल में।
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बाद में इसी साल, एफसीओ द्वारा सभी विदेशी विक्टोरिया क्रॉस विजेताओं का एक ऑनलाइन डिजिटल आर्काइव प्रकाशित किया जाएगा।
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4 अगस्त 2014 को प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन के उतरने के 100 साल पूरे हो जाएंगे। सरकार के अंतर्गत संस्कृति, मीडिया और खेल विभाग की योजना है एक विश्व इतिहास में इस महत्वपूर्ण घटना का एक समुचित स्मरणोत्सव आयोजित किया जाए। अक्टूबर 2012 में कार्यक्रम की शुरुआत करने के समय जैसा कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया था कि मुख्य विषय होगा युवाओं के लिए शताब्दी कार्यक्रम जो जीवंत बनाते हुए अतीत के उस अध्याय का स्मरण करना। सरकारी कार्यक्रमों के अलावा चार सालों के दौरान कई सारे राष्ट्रीय कार्यक्रम होंगे जो इसमें हमारी मदद करेंगे। अधिक जानकारी फर्स्ट वर्ल्ड वार सेंटीनरी से प्राप्त की जा सकती है।
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