समाचार कथा

संयुक्त बयान: भारत-ब्रिटेन रक्षा साझेदारी

रक्षा मंत्री सर माइकल फैलन ने पहली बार ब्रिटेन-भारत रणनीतिक वार्ता के लिए अपने भारतीय समकक्ष अरुण जेटली से मुलाकात की।

यह 2016 to 2019 May Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था
Defence Secretary Sir Michael Fallon met with his Indian counterpart Arun Jaitley

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रक्षा मंत्री श्री अरुण जेटली और रक्षा मंत्री सर माइकल फैलन ने भारत-ब्रिटेन रक्षा साझेदारी के लिए एक साझा दृष्टिकोण स्थापित किया।

रक्षा मंत्री जेटली के निमंत्रण पर सर माइकल फैलन ने 11-14 अप्रैल 2017 के दौरान भारत-ब्रिटेन के रणनीतिक रक्षा वार्ता के लिए भारत का दौरा किया। इस यात्रा ने नवंबर 2015 में सहमत हुई रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा भागीदारी के ढांचे के तहत बाद भारत और ब्रिटेन के रक्षा सहयोग और तदनुसार नवंबर 2016 में भारत और ब्रिटेन की सरकारों के बीच संयुक्त बयानों को पुन:सुनिश्चित और समेकित किया।

यह स्थायी रक्षा साझेदारी न केवल रक्षा उद्योग में सहयोग करेगी बल्कि प्रशिक्षण और उन्नत संयुक्त अभ्यास सहित सैन्य सशक्तिकरण के लिए मजबूत सैन्य भी सम्मिलित करेगी।

इस नवनिर्मित संबंध से क्षमता और प्रौद्योगिकी के विकास की नींव रखी जाएगी और रक्षा विनिर्माण में दोनों देशों की पूरक ताकत का इस्तेमाल करने की ओर प्रशस्त किया जाएगा और घरेलू और साझा निर्यात बाजार दोनों में उपयोग के लिए रक्षा समाधान विकसित करने के लिए उनके संबंधित निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों की संयुक्त ताकत का उपयोग होगा।

दोनों रक्षा मंत्री विभिन्न वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के बीच नीतियों का परामर्श और सहयोग करना जारी रखेंगे, विशेषकर उन लोगों के लिए जो कि एक अधिक सुरक्षित विश्व के साझा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के संकट को समाप्त करने का उद्देश्य रखते है।

एक उन्नत रक्षा भागीदारी

रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा भागीदारी (डीआइएसपी) के आधार पर और वर्तमान रक्षा परामर्शक समूह (डीसीजी) तंत्र के आधार पर, दोनों पक्ष संस्थागत संबंधों के लिए अतिरिक्त क्षेत्रों की खोज करेंगे।

मंत्रियों ने आतंकवादी और समुद्री लुटेरों के जहाजों का पता लगाने के लिए सूचना का आदान-प्रदान करने हेतु द्विपक्षीय तकनीकी समझौते के माध्यम से अधुनिक समुद्री डोमेन जागरूकता (एमडीए) सहित नौसेना और समुद्रीय स्तर पर बातचीत को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की, जो कि डीआइएसपी के वितरण योग्य कुंजी है। दोनों मंत्रियों ने ब्रिटेन के जल-विज्ञान कार्यालय और भारतीय नौसेना जलविज्ञान कार्यालय के बीच सहयोग को और विकसित करने के लिए भी सहमति व्यक्त की।

भारत और यूके सैन्य क्षमता के विभिन्न पहलुओं पर विशेष ध्यान देने वाली क्षमता भागीदारी की एक श्रृंखला तैयार करने का प्रयास करेंगे, जैसे कि विशेष प्रशिक्षण बातचीत और निम्नलिखित क्षेत्रों में सर्वोत्तम अभ्यासों का आदान-प्रदान: प्रतिवाद आतंकवाद (सीटी), प्रतिवास उन्नत विस्फोटक उपकरण (सीआइईडी), वायु सेना प्रशिक्षण, कुल वायु सुरक्षा, विमान वाहक, समुद्री सुरक्षा, जहाज निर्माण और संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना। वायु सुरक्षा सहयोग और भविष्य की सीटी आवश्यकताओं पर चर्चा करने के लिए विषय विशेषज्ञों के आदान-प्रदान के साथ पहले से ही प्रयास चल रहे हैं। मंत्रियों ने इस वर्ष के अंत में निर्धारित अगले डीसीजी बैठक में विचाराधीन प्रस्तावों को अंतिम रूप देने के लिए प्रासंगिक कार्यकारी संचालन समूह (ईएसजी) का कार्यभार संभाला।

चूंकि भारत और यूके संयुक्त बल संरचनाओं की स्थापना के प्रभावों और परिचालन लाभ को अधिकतम करने की साझा इच्छा के साथ अपने रक्षा ढांचे को बदलना और आधुनिकीकरण करना जारी रखते हैं, इसलिए दोनों मंत्रियों ने इस क्षेत्र में प्रासंगिक अनुभव साझा करने पर सहमति व्यक्त की।

रक्षा उद्योग

प्रगति की पुष्टि करते समय, दोनों मंत्रियों ने ‘मेक इन इंडिया’ ढांचे के तहत यूके और भारतीय कंपनियों के बीच रक्षा निर्माण में और सहयोग के लिए संभावनाओं को पहचाना।

जेटली ने भारत में विनिर्माण क्षेत्र में ब्रिटेन के हित का स्वागत किया, जैसा कि भारत डायनामिक्स लिमिटेड और थेल्स यूके के बीच मिसाइल प्रणालियों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अवसरों और बीएई सिस्टम और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा संयुक्त रूप से एक उन्नत हॉक जेट प्रशिक्षक विकसित करने के प्रयासों पर समझौता ज्ञापन (एमओयू) सहित हाल की घोषणाओं के माध्यम से इसे प्रमाणित किया।

ब्रिटेन और भारतीय कंपनियों के बीच सहयोग को और प्रोत्साहित करने के लिए, दोनों मंत्रियों ने मौजूदा रक्षा उपकरण सहयोग समझौता ज्ञापन को विस्तारित करने के लिए सहमति व्यक्त की और विस्तारित समझौता ज्ञापन पर शीघ्रता से कार्य करने पर सहमत हुए, जो पारस्परिक हित के क्षेत्रों में परियोजनाओं पर प्रौद्योगिकी के संयोजन और हस्तांतरण को समर्थित करने के लिए ब्रिटेन और भारतीय उद्योगों को एक मंच प्रदान करेगा।

दोनों मंत्रियों ने भारत द्वारा उपयोग किए गए यूके-मूल रक्षा मंचों के जीवन चक्र के समर्थन और जीविका को सुनिश्चित करने के उपायों का स्वागत किया, जिसमें संयुक्त उद्यम और अन्य सहयोगी व्यवस्था स्थापित करना सम्मिलित हो सकते हैं। ब्रिटेन और भारत भारतीय सेना डिजाइन ब्यूरो और रक्षा उपकरण और सहायता (डीई एंड एस) / सेना क्षमता शाखा के बीच उनके रक्षा उपकरण उप-समूह के जरिए बातचीत को प्रोत्साहित करेंगे।

गुप्त जानकारियों को साझा करने के लिए ब्रिटेन और भारत एक सुरक्षित संचार पद्धति की स्थापना का मार्ग तलाशेंगे। दोनों देश अपने द्विपक्षीय सामान्य सुरक्षा व्यवस्था को उन्नत करने पर विचार करेंगे।

विज्ञान और तकनीक

दोनों मंत्रियों ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रशिक्षण तक पहुंच सहित मजबूत आर एंड डी सहयोग की आवश्यकता को स्वीकार किया, ताकि रक्षा क्षेत्र में नए और जीवंत प्रौद्योगिकी साझेदारी को सक्षम किया जा सके।

उन्होंने कहा कि एयरो इंडिया 2017 में मानव विज्ञानों पर दूसरे चरण के आगे के शोध सहयोगी परियोजना समझौते पर हस्ताक्षर करने के साथ रक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग पर हाल में प्रगति दर्ज की गई है।

निष्कर्ष

उपरोक्त प्रतिबद्धताएं यूके और भारत को 21 वीं शताब्दी में लोकतंत्रों के समक्ष उभरती खतरों और चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर तरीके से सक्षम करेंगी। दोनों देशों ने क्षेत्रीय और अंतर्राराष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति पर अपने साझा दृष्टिकोण को पहचाना और इस संबंध में उनकी करीबी बातचीत को बनाए रखने पर सहमत हुए।

सर माइकल फैलोन ने सांसद रक्षा मंत्री अरुण जेटली को उनके और उनके प्रतिनिधिमंडल द्वारा उन्हें गर्मजोशी से दिए गए आतिथ्य के लिए धन्यवाद दिया और और कहा कि उन्हें भारतीय रक्षा मंत्री की यूके यात्रा का इंतज़ार रहेगा ।

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प्रकाशित 13 अप्रैल 2017
पिछली बार अपडेट किया गया 18 अप्रैल 2017 + show all updates
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