विज्ञान मंत्री द्वारा 80 मिलियन पौंड के ब्रिटेन-भारत निवेश की घोषणा
विज्ञान मंत्री जो जॉनसन ने कई नए ब्रिटेन-भारत न्यूटन फंड कार्यक्रमों की घोषणा की है।
- 80 मिलियन पौंड के नए ब्रिटेन-भारत न्यूटन फंड कार्यक्रम के अंतर्गत, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से कई प्रकार की वैश्विक चुनौतियों का समाधान होगा।
- विज्ञान मंत्री ने आश्वस्त किया कि यह संयुक्त निवेश 2021 तक 200 मिलियन पौंड तक बढ़ जाएगा
- सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र को प्रोत्साहित करनेवाले विज्ञान तथा नवाचार को पुरस्कृत करने के लिए वार्षिक 1 मिलियन पौंड का न्यूटन पुरस्कार 2017 से प्रारंभ किया जाएगा।
ब्रिटेन के विज्ञान मंत्री ने आज (8 नवंबर 2016) को 80 मिलियन पौंड के न्यूटन फंड फंड द्वारा संचालित शोध कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की घोषणा की, जिसके तहत भारत की जनता को प्रभावित करनेवाली वैश्विक चुनौतियों का समाधान किया जाना है।
इन निवेशों की घोषणा नई दिल्ली में आयोजित भारत-ब्रिटेन टेक समिट के दौरान की गई- जो भारत का एक प्रमुख विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी प्रदर्शन है। ब्रिटेन तथा भारत के प्रधानमंत्री द्वय थेरेसा मे तथा नरेंद्र मोदी ने इस टेक समिट में शिरकत की जहां भारत के लिए ब्रिटिश व्यवसाय, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ, इन क्षेत्रों में ब्रिटिश विशेषज्ञता का प्रदर्शन करते हुए एक साथ उपस्थित हुए हैं।
इन नए कार्यक्रमों में 2021 तक 200 मिलियन पौंड के न्यूटन फंड के माध्यम से शोध में पूर्णतः संयुक्त ब्रिटेन-भारत निवेश होगा, जिससे एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय प्रयास के रूप में इस फंड का महत्व प्रदर्शित होता है। इससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए ब्रिटेन तथा भारत की विश्वस्तरीय विशेषज्ञताओं का एक साथ इस्तेमाल किया जा सकेगा।
विज्ञान मंत्री जो जॉनसन ने एजुकेशन, साइंस एंड इनोवेशन फ्यूचर्स के अवसर पर कई नए ब्रिटिश-भारतीय न्यूटन फंड कार्यक्रमों की घोषणा की, जिस अवसर पर विश्व के अग्रणी वैज्ञानिक तथा वरिष्ठ नीति-निर्माता मौजूद थे। ये कार्यक्रम थे:
- वाणिज्यिक रूप से शोध और विकास सहभागिता पर केंद्रित 16 मिलियन पौंड का कार्यक्रम, जो औद्योगिक अपशिष्ट धाराओं की सफाई, प्रसंस्करण और उपयोग हेतु बाजार में नए नवाचारी जैवप्रौद्योगिकी समाधान लाएगा (रिसर्च काउंसिल्स यूके- आरसीयूके)
- जल गुणवत्ता में सुधार के लिए 8.4 मिलियन पौंड का कार्यक्रम (आरसीयूके)
- स्वास्थ्य तथा रहन-सहन में सुधार एवं इमारत-उपयोगकर्ताओं के लिए निम्न ऊर्जा लागत हेतु निर्मित पर्यावरण में ऊर्जा मांग में कमी लाने के लिए 7.4 मिलियन पौंड का कार्यक्रम (आरसीयूके)
- 12.6 मिलियन पौंड के साथ ब्रिटेन और भारत के बीच ग्लोबल रिसर्च प्रोग्राम इन वीमन एंड चिल्ड्रेन’स हेल्थ के द्वितीय चरण की शुरुआत, जो निम्न-मध्यम आय वाले देशों में महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के साथ प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी मसलों के अध्ययन पर केंद्रित है (आरसीयूके)
- एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध के विरुद्ध वैश्विक संघर्ष को मजबूती प्रदान करने के लिए 13 मिलिन पौंड का ब्रिटिश-भारत शोध कार्यक्रम, जिसकी घोषणा 9 नवंबर को एएमआर पर प्रथम आरसीयूके-डीबीटी रणनैतिक समूह की शुरुआत के अवसर पर की गई (आरसीयूके)
विश्वविद्यालय तथा विज्ञान मंत्री जो जॉनसन ने कहा:
विज्ञान और नवाचार का भविष्य सहयोग पर निर्भर करता है और भारत ब्रिटेन के लिए एक महत्वपूर्ण विज्ञान सहयोगी रहा है।
न्यूटन फंड के माध्यम से हम दुनिया भर के लाखों लोगों का जीवन संवारने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं और हम लगातार अपनी इस सहभागिता में सामाजिक विज्ञान और मानविकी कार्यक्रमों के लिए संयुक्त वित्त-पोषण को सम्मिलित करते हुए इसे विस्तारित करने के अवसर तलाश रहे हैं।
इस अवसर पर, जो जॉनसन ने प्रथम वार्षिक 1 मिलियन पौंड के न्यूटन पुरस्कार की शुरुआत की, जिसके तहत सहभागी देशों में आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देनेवाले न्यूटन फंड के श्रेष्ठ विज्ञान तथा नवाचार को पुरस्कृत किया जाएगा। 2017 के लिए, यह पुरस्कार भारत, मलेशिया, थाइलैंड तथा वियतनाम में वर्तमान न्यूटन फंड कार्यक्रमों के लिए खुला है, जो प्रति-माइक्रोबियल प्रतिरोध, बीमारियों, स्वास्थ्य-देखभाल तथा पोषण जैसे मुद्दों पर काम करते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा कल्याण क्षेत्र की चुनौतियों पर केंद्रित हैं।
मंत्री महोदय ने एक अन्य विशिष्ट कार्यक्रम पर प्रसन्नता व्यक्त की, जो ब्रिटिश लाइब्रेरी में संचित 1713 से 1914 तक की अवधि की मुद्रित भारतीय पुस्तकों के डिजिटल स्वरूपीकरण से संबद्ध है। भारतीय मुद्रण के दो शतक- एक ब्रिटिश लाइब्रेरी परियोजना – जो आर्ट्स एंड ह्यूमेनिटीज रिसर्च काउंसिल (एएचाअरसी) के माध्यम से न्यूटन फंड द्वारा वित्तपोषित है- को संग्रह से अतिरिक्त 3,000 किताबों के डिजिटल स्वरूपीकरण के लिए विस्तारित किया गया है, जिसका तात्पर्य है कि 4,000 प्राचीन बांग्ला किताबों को डिजिटल स्वरूप में लाकर दुनियाभर में शोध कार्यक्रमों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
संपादकों के लिए जानकारी
- रिसर्च कौंसिल यूके और इन्नोवेट यूके पर नए प्रोग्राम की जानकारी उपलब्ध है। भारतीय पार्टनर्स की साझेदारी के साथ, नए यूके भारत न्यूटन फण्ड प्रोग्राम यूके डिलीवरी पार्टनर्स ब्रिटिश कॉउन्सिल और यूके अकैडमिक्स समेत दिए जायेगे।