यूके और भारत अपने सैन्य संबंधों को और भी मज़बूत करेंगे
यूके और भारत आतंकवाद से निपटने और साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटने के लिए दोनों देश एक दूसरे के साथ मिलकर पहले से कई ज्यादा जोर देकर काम करते हुए, अपनी रक्षा और सुरक्षा संबंधों को और भी मजबूत बनाएंगे।
दोनों देशों को वाइब्रंट डिजिटल अर्थव्यवस्था होने का लाभ मिलता है और दोनों देश ऐसी प्रौद्योगिकियों को डिज़ाइन करेंगे और उनका निर्माण करेंगे जो नागरिकों और व्यवसायों की दुर्भावनापूर्ण साइबर हमलों से रक्षा करने में मदद करेगा।
यह समझौता इंटरनेट शासन पर सहयोग को सक्षम करेगा, अंतरराष्ट्रीय साइबर स्थिरता को बढ़ावा देगा, ऑनलाइन अपराध से निपटेगा और साइबर सुरक्षा क्षेत्रों को विकसित करेगा।
सशस्त्र बलों के मंत्री, मार्क लैंकास्टर ने कहा:
रक्षा और सुरक्षा भारत के साथ हमारी दोस्ती का केंद्र है। आतंकवाद का मुकाबला करने, साइबर हमलों से निपटने और क्षेत्रीय सुरक्षा के निर्माण के लिए मिलकर काम करके, हम दोनों देशों को सुरक्षित रखते हैं।
हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए रॉयल नेवी अपने भारतीय समकक्षों के साथ अधिक बारीकी से कैसे काम कर सकती है - समुद्री डाकू और नशीली दवाओं की तस्करी से निपटने के साथ-साथ नेविगेशन अधिकारों की स्वतंत्रता की रक्षा के बारे में चर्चा भी की गई हैं। ब्रिटेन आतंकवाद, समुद्री चोरी और समुद्री सुरक्षा संचालन के माध्यम से इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा में पहले से ही सक्रिय भूमिका निभाता आया है क्योंकि एक मुक्त और खुला भारत-प्रशांत क्षेत्र यूके, भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हित में है।
इसके अलावा, यूके और भारत के रक्षा उद्योग से उद्योग संबंधों के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण बनाने पर काम किया जा रहा है, जिससे हमारी सशस्त्र सेनाएं प्रौद्योगिकियों को शेयर कर पाएंगे और एक-दूसरे से सीख पाएंगे।
ये नए सैन्य लिंक उन कई तरीकों में से एक हैं, जिसके लिए यूके और भारत के कई विभाग साथ मिलकर काम कर रहे हैं, इसकी घोषणा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की एक आंतरिक यात्रा के दौरान की गई थी।
यूके और भारत की सेनाएं पहले ही एक दूसरे के करीब हैं और हर दो साल में अजेय युद्धाभ्यास में एक साथ मिलकर काम करते हैं, युद्ध रणनीति साझा करते हैं और कई विचारों पर मंथन करते हैं।