समाचार कथा

यूके और भारत की शोध साझेदारी £400 मिलियन तक पहुंची

यूके और भारत अपने विशिष्ट शोध साझेदारी के विस्तार को तत्पर

यह 2016 to 2019 May Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था
  • कृषि, स्वास्थ्य, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन सहित वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए यूके और भारत अपने विशिष्ट अनुसंधान साझेदारी के विस्तार को और एक साथ कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

  • विज्ञान मंत्री सैम ग्यामाह ने आज नए यूके- -इंडिया इंडिया टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप के तहत यूके संयुक्त उन्नत विनिर्माण केंद्र के लिए अगले कदम की पुष्टि की।

  • यह घोषणा आज भारतीय प्रधान मंत्री मोदी की यूके दौरे के एक भाग के रूप में की गई।

विज्ञान मंत्री सैम ग्यामाह ने आज (बुधवार 18 अप्रैल) को भारतीय प्रधान मंत्री मोदी की यूके दौरे के एक भाग के रूप में घोषित किया है कि यूके भारत के साथ अपने सशक्त मजबूत अनुसंधान साझेदारी को जारी जारी रखेगा जो वैश्विक महत्व के मुद्दों जैसे कि कृषि, स्वच्छ ऊर्जा, वैश्विक स्वास्थ्य और पर्यावरण पर ध्यान केंद्रित करेगीI

शोध के क्षेत्र में यूके भारत का दूसरा सबसे बड़ा भागीदार हैI दोनों देशों के बीच शोध और आविष्कार के क्षेत्र में संयुक्त निवेश 2021 तक बढ़कर 400 मिलियन पाउंड हो जायेगा जो 2008 में ना के बराबर थाI इस संयुक्त निवेश में 200 से अधिक व्यक्तिगत परियोजनाएं शामिल हैं, जिसमें से यूके तथा भारत के 175 विभिन्न शोध संस्थान और 100 से ज्यादा औद्योगिक भागीदारों को पिछले एक दशक में आर्थिक सहायता दी गई हैI

विस्तारित साझेदारी यूके को इसके औद्योगिक रणनीति के द्वारा विश्व के सबसे नवप्रवर्तन देश बनने की आकांक्षा में मदद करेगी और साथ ही यह सुनिश्चित करेगी कि यूके और भारत के शोधकर्ता ज्ञान और विशेषज्ञता का संयोजन कर भूखों को भोजन उपलब्ध कराने, हमारे पर्यावरण की रक्षा करने, जीवन बचाने और आर्थिक समावेश के लिए करें। उदाहरण के लिए, यूके और भारत स्वास्थ्य पर ग्लोबल रिसर्च प्रोग्राम के तहत कम आय वाले देशों में नई संयुक्त परियोजनाओं की दूसरी पीढ़ी देने के लिए काम कर रहे हैं ताकि महिलाओं और अजन्में बच्चों में पुराने और संक्रामक रोगों का पता लग सकेI

विज्ञान मंत्री सैम ग्यामाह ने बताया :

हमारे सर्वोत्तम दिमागों, हमारे सबसे अच्छे नवप्रवर्तनकर्ता और हमारे सबसे आगे सोचने वाले संस्थान के मिश्रण के द्वारा हम अपने देशों के बीच रहने और सीखने के सम्बन्ध को और भी को मजबूत कर सकेंगे जो अकेले हो पाना मुश्किल हैI

भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता प्रमुख शोध शक्ति है और यूके दुनिया में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले शोध देशों में से एक है। एक साथ हम अपने अद्वितीय रिश्ते का निर्माण जारी रखेंगे और साथ ही यह सुनिश्चित करेंगे कि यह एक साझेदारी है जो विश्व स्तर के शोध के माध्यम से दुनिया भर के देशों को लाभ प्रदान कर सकेI

इस पैकेज में यू.के.आर.आई. द्वारा न्यूटन-भाभा कार्यक्रमों के तहत शोध और इनोवेशन वित्त पोषण पुरस्कार शामिल हैं:

  • दालें और तिलहन - एक £ 7 मिलियन के संयुक्त कार्यक्रम के तहत उत्पादकता, लचीलापन, स्थिरता और खाद्य या फ़ीड के लिए उगाई गई दालों और तिलहन की गुणवत्ता में वृद्धि करने के लिए अनुमानित हैI

  • शहरी परिवर्तन - £ 3.5 मिलियन के इस कार्यक्रम के तहत शहरी नियोजन, शासन और प्रबंधन और विकासशील क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले मुद्दों को हल किया जाना हैI

  • औद्योगिक अपशिष्ट के लिए जैव-प्रौद्योगिकी - £ 16 मिलियन के इस कार्यक्रम के तहत औद्योगिक अपशिष्ट और प्रदूषण को कम करना और जैवप्रौद्योगिकी का उपयोग करके अपशिष्ट से उपयोगिता का उपार्जन किया जाना हैI

  • £ 10 मिलियन 10 मिलियन क्रॉस काउंसिल कार्यक्रम, एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध प्रोग्राम के लिए है जो इस चुनौती के हल के लिए हर क्षेत्र में शोध करेगीI

सर मार्क वालपोर्ट, मुख्य कार्यकारी यूके रिसर्च एंड इनोवेशन के अनुसार:

यूके रिसर्च एंड इनोवेशन का निर्माण यूके और भारत दोनों के लिए एक रोमांचक समय है। चूंकि यूके का लक्ष्य वैश्विक विकास चुनौतियों और नई सामरिक प्राथमिकताओं को संबोधित करने के लिए समग्र अनुसंधान और विकास निवेश को बढ़ाने का है, और भारत अनुसंधान और अविष्कार में निवेश को बढ़ावा दे रहा है, जो व्यापार के नेतृत्व वाले इनोवेशन और उच्च गुणवत्ता वाले शोध में सहयोग के लिए एक बड़ा अवसर उत्पन्न करता है और हमारे जीवन को बदलता है।

मेट ऑफिस और भारतीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एम.ओई.एस.) ने न्यूटन-भाभा फंड द्वारा समर्थित भारत के लिए सेवा साझेदारी (डब्ल्यू.सी.एस.एस.पी. इंडिया) के लिए मौसम और जलवायु विज्ञान स्थापित करने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। डब्ल्यू.सी.एस.एस.पी. इंडिया विशेष रूप से उच्च प्रभाव वाले मौसम कार्यक्रमों के लिए प्राकृतिक खतरे के पूर्वानुमान में सुधार के लिए संयुक्त वैज्ञानिक अनुसंधान की सुविधा प्रदान करेगा।

यूके-इंडिया टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप के हिस्से के रूप में आज ब्रिटिश प्रधान मंत्री और भारतीय प्रधान मंत्री मोदी द्वारा सहमति व्यक्त गई है, यूके और भारत ने दो देशों के निर्माण संबंधों को मजबूत करने के लिए साझे उद्येश्य की भी घोषणा की है।

प्रौद्योगिकी साझेदारी यूके और भारत के मौजूदा सहयोग पर आधारित होगी जोकि साझेदारी के हिस्से के रूप में एक उन्नत विनिर्माण केंद्र की संभावित स्थापना की दिशा में पहला कदम। ऐसा केंद्र प्रत्येक देश की औद्योगिक रणनीति का समर्थन करेगा और बदले में दोनों देशों में विकास और नौकरियों को बढ़ाएगा।

भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है और अनुमान है कि 2030 तक विश्व में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जायेगा । भारत की तीव्र आर्थिक विकास पहले से ही वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रही है। भारत का आधिकारिक विकास वित्त, निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाले व्यापार और निवेश प्रवाह के साथ राजनीतिक प्रभाव और विचार नेतृत्व सभी बढ़ रहा है।

संपादकों के लिए

  1. यूके ने 2015 में भारत को पारंपरिक सहायता समाप्त कर इसे एक नई साझेदारी के साथ बदल दिया जो दोनों देशों को निम्न रूप से स्पष्टतः लाभ पहुंचाएगा: नए निवेश और अविष्कार के अवसर पैदा करना और व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देना। इनमें से अधिकांश विकास पूंजीगत निवेश के माध्यम से किया जाता है जो ब्रिटिश करदाताओं को वित्तीय वापसी उत्पन्न करेगा।

  2. भारत के साथ हमारी वैश्विक शोध साझेदारी निम्न को पूरा करती है: भारत तेजी से बढ़ती एक अर्थव्यवस्था है और यूके के लिए प्राथमिकताओं वाले देशों में इसका प्रभाव महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य सुरक्षा पर बढ़ रहा है। वैश्विक विकास साझेदारी का समर्थन करने के लिए ओ.डी.ए. खर्च भारत को एक आर्थिक सहायता नहीं है।

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प्रकाशित 18 अप्रैल 2018