प्रेस विज्ञप्ति

ब्रिटेन-भारत के विज्ञान मंत्रियों ने भावी सहयोग की घोषणा के साथ शोध साझेदारी को मजबूती दी

विज्ञान मंत्री सैम जिमा और भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, डॉ हर्षवर्धन ने ब्रिटेन-भारत के बीच कई शोध परियोजनाओं की घोषणा की।

यह 2016 to 2019 May Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था

यूके और भारत शोध और आधुनिक तकनीक के माध्यम से जिंदगी को बदलने के सफर में प्रतिबद्ध भागीदार हैं। इस सहयोग को और मजबूत करने के लिए यूनिवर्सिटी, साइंस, रिसर्च और इनोवेशन मंत्री सैम जिमा और भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने 26 जुलाई 2018 को नई दिल्ली में द्विवार्षिक विज्ञान और नवोन्मेष परिषद् की सह-अध्यक्षता की।

परिषद् की बैठक के दौरान, मंत्रियों ने मातृ स्वास्थ्य की निगरानी करने और पानी को सुरक्षित बनाने जैसी न्यूटन-भाभा साझेदारी द्वारा समर्थित 600 परियोजनाओं के माध्यम से पड़ने वाले मानवीय प्रभाव की खुशियां मनाई।

उन्होंने जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा खपत के खतरे जैसी बड़ी सामाजिक चुनौतियों से निपटने और तकनीकी उन्नति के अवसरों का उपयोग करने के लिए विज्ञान और नवोन्मेष के उपयोग की अपनी इच्छा पर बल दिया।

दिल्ली में विज्ञान मंत्री सैम जिमा ने कहा:

ब्रिटेन वैश्विक चुनौतियों से निपटने और लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए शोध और विकास की शक्ति में विश्वास करता है। भारत शोध और नवोन्मेष में दुनिया की सबसे तेजी से उभरती शक्ति है इसलिए सहयोग की व्यापक क्षमता को लेकर बेहद उत्साहित हूं और हम जिंदगियों को बदलने वाले उच्च गुणवत्ता, उच्च प्रभाव वाले शोध का समर्थन करते हैं।

आज की विज्ञान और नवोन्मेष परिषद् की बैठक से हमारे मजबूत संबध और सुदृढ़ हुए हैं और आज हमने जो संयुक्त घोषणाएं की हैं उनसे यह सुनिश्चित हुआ है कि हमारे संबंधों में मजूबती ऐसे ही जारी रहेगी।

मंत्रियों ने भारत की बढ़ती विज्ञान क्षमता और नवीनता पर आधारित वैज्ञानिक दृष्टिकोण की भी सराहना की। उन्होंने अप्रैल-मई में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित भारत-ब्रिटेन प्रौद्योगिकी की उस साझेदारी के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता को मजबूती दी - जो ब्रिटेन की आधुनिक औद्योगिक रणनीति और भारत के मूलभूत विज्ञान और नवाचार पहल को जोड़ती है।

भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, डॉ हर्षवर्धन ने कहा:

प्रौद्योगिकी साझेदारी भविष्य के लिए अहम है। भारत और ब्रिटेन को दीर्घकालिक, किफायती और कम ऊर्जा की खपत करने वाली प्रौद्योगिकियों पर साथ मिलकर काम करना चाहिए।

इस परिषद् को दोनों देशों के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार संबंधों को मजबूत करने के लिए बनाया गया था। इस साल की बैठक ब्रिटेन और भारत के संयुक्त शोध पोर्टफोलियो की तीव्र वृद्धि पर केंद्रित थी और इसमें द्विपक्षीय संबंधों की ताकत की पहचान की गई - भारत सबसे तेजी से बढ़ती शोध शक्ति है और ब्रिटेन एक प्रमुख, उच्च गुणवत्ता वाली शोध शक्ति है। द्विपक्षीय शोध साझेदारी में जबरदस्त वृद्धि हुई है और यह 2008 में 1 मिलियन पाउंड से बढ़कर 2021 तक 400 मिलियन पाउंड तक पहुंच गई है।

अपनी भारत यात्रा के दौरान,सैम जिमा ने दिल्ली के एक शिक्षा प्रौद्योगिकी कार्यक्रम में स्वागत भाषण भी दिया। वह न्यूटन-भाभा साझेदारी के अंतर्गत वित्त पोषित शोध परियोजनाओं को देखने के लिए चेन्नई का भी दौरा करेंगे।

संपादकों के लिए नोट्स

यूके-भारत साझेदारी द्वारा जिंदगियों को बदलने के उदाहरण:

मातृ स्वास्थ्य की बेहतर निगरानी से जिंदगियों को बचाने में मदद मिलेगी

दुनिया भर की मातृ मृत्यु में 50% से अधिक ओबस्टेट्रिक हेमोरेज, प्री-एक्लेम्पिया और सेप्सिस की वजह से होती हैं। नाड़ी और रक्तचाप जैसे महत्वपूर्ण संकेतों की निगरानी करके शुरूआत में ही इन स्थितियों का पता लगाया जा सकता है। न्यूटन-भाभा वित्त पोषित परियोजनाओं के अंतर्गत भारत, इथियोपिया, जिम्बाब्वे, जांबिया, युगांडा, सिएरा लियोन, मलावी और हैती के 10 स्थानों में सामुदायिक और अस्पताल स्तर पर रुटीन मैटरनिटी केयर में नए वाइटल साइन डिवाइस का शुरूआती परीक्षण किया जा रहा है। लंदन के केसीएल में विकसित, ‘क्रैडल वाइटल साइन अलर्ट’ हैंड-हेल्ड सेमी ऑटोमेटिक डिवाइस है जो अर्ली वार्निंग सिस्टम के साथ ब्लड प्रेशर और पल्स को नापती है जिससे हाइपरटेंशन व सर्कुलेट्री शॉक का पता चलता है। यह बिजली की कम आवश्यकताओं वाली सस्ती, उपयोग में आसान, और पोर्टेबल डिवाइस है।

चावल के उत्पादन में फर्टिलाइजर के प्रयोग को कम करना

भारत में वैश्विक आयात का लगभग आधा फास्फोरस फर्टिलाइजर प्रयोग होता है। पिछले 50 वर्षों में खाद्य उत्पादन की वृद्धि के लिए चावल और गेहूं की बौने किस्मों की उपज पर भरोसा किया जाता है और कमजोर मिट्टी वाले क्षेत्रों में इसके लिए बड़े पैमाने पर केमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग किया जाता है। फर्टिलाइजर के ज्यादा उपयोग से किसानों की लागत में बढ़ोत्तरी होने के साथ जल प्रदूषण के मामल बढ़े हैं। न्यूटन-भाभा फैलोशिप प्रोजेक्ट के अंतर्गत चावल में वे रूट सिस्टम से पानी और पोषक तत्वों को लेने पर ध्यान दिया गया है। शोधकर्ताओं ने उन प्रमुख जीनों की खोज की है जो चावल की जड़ की विशिष्टता को नियंत्रित करते हैं जिससे कम पोषक मिट्टी में भी पौधों को फॉस्फेट संबंधित जरुरते पूरी करने में मदद मिलती है। इसके अंतर्गत चावल की किस्मों को बेहतर बनाने और चावल के उत्पादन हेतु फॉस्फेट फर्टिलाइजर के उपयोग को कम करने के लिए नए इनोवेटिव उपकरण प्रदान किए जा रहे हैं। कम पोषक तत्वों वाली मिट्टी में कुशलतापूर्वक विकसित होने वाली नई चावल की किस्में कृषि के सतत तीव्रता में सहयोग करके और पर्यावरण प्रदूषण को कम करके बड़े पैमाने पर आर्थिक प्रभाव पैदा करने में मददगार हैं।

पानी को सभी के लिए सुरक्षित बनाना

दूषित पानी के प्रयोग की वजह से जलजनित व अन्य कई बीमारियों से ग्रस्त रहने वाले ग्रामीण भारत में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। भारतीय शोधकर्ता चंद्रशेखरन जे (चंद्रा) अब एक सफल उद्यमी हैं जो न्यूटन-भाभा फंड के सहयोग से भारत में रहने वाले लोगों को सुरक्षित, स्वच्छ पानी प्रदान करने में मदद कर रहे हैं। इनोवेशन फैलोशिप प्रोग्राम के लीडर्स ने चंद्रा को भारतीय शोधकर्ताओं के समूह में शामिल होने के लिए उन्हें यूके की आवासीय यात्रा पर आने में मदद की, जहां विशेषज्ञों ने उन्हें अपनी व्यावसायिक योजनाएं विकसित करने और व्यावसायीकरण के लिए निवेशकों के समक्ष अपने उद्यम को पेश करने में सहायता की। चंद्रा की कंपनी, वाटसन अब उन शहरी बस्तियों और ग्रामीण परिवारों के लिए कम लागत और बिजली रहित वॉटर फिल्टर औऱ सैनिटरी सॉल्यूशन का निर्माण और वितरण करती है जो अन्य महंगे विकल्पों को वहन नहीं कर सकते हैं। अपने वाटर प्यूरीफायर यूनिट की स्थापना के बाद भारत में स्वास्थ को बेहतर बनाने की बेहतरीन योजनाओं के लिए वाटसन को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

Updates to this page

प्रकाशित 26 जुलाई 2018