दुनिया के एक अरब गरीबों तक स्वच्छ, किफायती ऊर्जा पहुँचाने के लिए यूके अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल हुआ
यूके ने 2030 तक सभी के लिए सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा प्रदान करने में सहायता करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को अपनी सदस्यता पक्की की।
यूके भारतीय नेतृत्व वाले अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) में शामिल हो रहा है ताकि विश्व भर में 1 अरब से अधिक गरीबों को सस्ती, स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा मुहैया कराई जा सके, अंतर्राष्ट्रीय विकास सचिव पेनी मोर्डैंट ने आज (सोमवार, 16 अप्रैल) को इसकी घोषणा इस सप्ताह के अंत में भारतीय प्रधान मंत्री की राजकीय यात्रा से पहले की है।
नरेंद्र मोदी की प्रमुख जलवायु संधि पहले ही 60 से अधिक देशों को एक साथ ले आई है जिन्होंने सौर ऊर्जा को बढ़ाने का वचन दिया है, जिससे घरों को प्रकाशित किया जा सकेगा, बच्चों को स्कूलों में शिक्षित किया जा सकता है, स्वास्थ्य सुविधाएं जीवन बचाने योग्य उपचार प्रदान कर सकती हैं, और व्यवसायों को मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं से जोड़ सकती हैं।
राष्ट्रमंडल सरकार के प्रमुखों की बैठक (सीएचओजीएम) के एक हिस्से के रूप में लंदन स्टॉक एक्सचेंज में आयोजित एक कार्यक्रम में, यूके ने आईएसए में अपनी सदस्यता पक्की की, जिसका उद्देश्य 2030 तक सभी के लिए सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा मुहैया कराने के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर की निजी और सार्वजनिक वित्त की उगाही करना है।
अंतर्राष्ट्रीय विकास सचिव ने यूके के विश्वव्यापी नवोन्मेष और विशेषज्ञता का समर्थन किया है - जिसमें लंदन शहर भी शामिल है, जो कि हरित निवेश वित्त के लिए अग्रणी वैश्विक केंद्र है - जो आईएसए को अधिक प्रभावी कार्यक्रम प्रदान करने और दुनिया भर में सबसे कमजोर लोगों की अधिक सहायता करने में सक्षम बनाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय विकास सचिव, पेनी मोर्डैंट ने कहा:
इस संधि पर हस्ताक्षर यूके के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ ब्रिटिश विशेषज्ञता उपलब्ध कराने की हमारी निरंतर प्रतिबद्धता का दर्शाता है। यूके के अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने के साथ ही, राष्ट्रमंडल और उसके परे दुनिया भर में रहने वाले लगभग एक अरब गरीबों के जीवन में बेहतर बदलाव किए जाने में मदद मिलेगी।
स्वच्छ, किफायती ऊर्जा प्रदान करने के ब्रिटेन की प्रतिबद्धता साझा करने वाले समान विचारधारा वाले देशों और व्यवसायों के साथ साझेदारी ब्रिटेन की अक्षय ऊर्जा और हरी वित्त कंपनियों के लिए नए व्यावसायिक अवसर खुलेंगे और यूके को इससे लाभ मिलेगा साथ ही गरीबी की समस्या भी समाप्त करने में मदद मिलेगी।
भारत के नेतृत्व के बिना, गठबंधन इतनी तेजी से इतनी दूर नहीं आ पाता। सौर ऊर्जा तक पहुंच बढ़ाकर, अब लाखों बच्चों का प्रसव सुरक्षित रूप से किया जा सकेगा, लाखों किसान और अधिक फसल उगा सकेंगे और अपने परिवारों का बेहतर समर्थन कर पाएंगे, और लाखों बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी।
यूके सौर जल पम्पिंग परियोजनाओं को विकसित करने के लिए आईएसए की सहायता करेगा, जिसके तहत किसान अपनी फसलों को पानी देने के लिए डीजल पंपों के बजाय सस्ती सौर ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं। यह युगांडा और बांग्लादेश में इसी तरह की पहल की सफलता पर आधारित होगा जहां किसान पहले से ही उच्च मूल्य वाली सब्जी की फसलें उगा रहे हैं और अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं।
यूके की विशेषज्ञता से दूरदराज के इलाकों में बिजली की आपूर्ति करने वाले अधिक से अधिक ‘मिनी ग्रिड’ बनाने में मदद मिलेगी जो जहां तक मुख्य बिजली ग्रिड द्वारा नहीं पहुंचा जा सकता है। ये ऊर्जा स्रोत ग्रामीण समुदायों के लिए एक जीवन रेखा हैं, जो व्यवसाय और घरों को सशक्त बनाने में मदद करते हैं, यह सुनिश्चित करता है कि गरीब चाहे जहां भी रहते हों, उन्हें जल्द से जल्द गरीबी से बाहर निकालने के लिए स्वच्छ, भरोसेमंद और किफायती ऊर्जा दी जा सके।
इस नए सहयोग का मतलब है कि आईएसए सौर ऊर्जा प्रणालियां को संयुक्त रूप से खरीदने में देशों की मदद करके सौर ऊर्जा को सस्ता करने में सक्षम हो पाएगा। वर्तमान में बांग्लादेश और मलावी जैसे राष्ट्रमंडल देशों सहित बारह आईएसए देश आईएसए के माध्यम से 720,000 से अधिक सौर पंप खरीदना चाहते हैं। संयुक्त खरीद में भाग लेने वाले देशों के लिए सौर पंप लागत में उल्लेखनीय कमी देखी जाएगी और विकासशील देशों में लगभग पांच मिलियन लोगों को इस सामूहिक खरीद से लाभ होगा।
संपादकों के लिए नोट्स:
भारत को दी जाने वाली पारंपरिक वित्तीय सहायता 2015 में समाप्त हो गई है। यूके अब देश को विश्वव्यापी विशेषज्ञता और निजी निवेश दे रही है जो समृद्धि को बढ़ावा देता है, नौकरियां उत्पन्न करता है और बाजार को खोलता है, साथ ही यूके को निवेश पर वापसी भी मिलती है। यह हमारे हित में है।
ब्रिटेन उन क्षेत्रों में भारत के विकास में सहायता करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञता और निजी क्षेत्र में निवेश प्रदान कर रहा है जिन क्षेत्रों में यूके की विशेषज्ञता और व्यावसायिक क्षमता को विश्व स्तर पर मान्यता दी गई है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का लक्ष्य लगभग उन एक बिलियन लोगों को स्वच्छ और किफायती ऊर्जा प्रदान करने के लिए 1,000 अरब डॉलर जुटाना है, जिनके पास वर्तमान में ऐसी सुविधाओं तक पहुंच नहीं है।
यूके आईएसए में शामिल होने वाला 62वां देश होगा। अन्य में ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, तुवालु, बेनिन, संयुक्त अरब अमीरात, ब्राजील, वानुअतु, बुर्किना फासो, सिएरा लियोन, तंजानिया, युगांडा और फ्रांस शामिल हैं।
यूके भारतीय नेतृत्व वाली पहल के प्रभावी वितरण में मदद के लिए सर्वश्रेष्ठ ब्रिटिश विशेषज्ञता और सलाह प्रदान करेगा। यूके आईएसए को केवल विशेषज्ञता प्रदान करेगा, कोई मौद्रिक योगदान नहीं देगा।
यूके की विशेषज्ञता यूके, एनजीओ, शोधकर्ताओं और व्यवसायों को इनोवेशन और निवेश उत्पन्न करने के लिए आईएसए के भागीदारों के साथ सहयोग करने में सक्षम बनाएगी जो 2030 तक सभी के लिए सस्ती टिकाऊ ऊर्जा प्रदान करने के आईएसए के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगी।
यूके मौजूदा पहलों और साझेदारी के माध्यम से आईएसए का समर्थन कर रहा है जिससे यूके कंपनियों के लिए नए सौर बाजार खुलेंगे। इसमें यूके के अनुभवों को साझा करना शामिल होगा जिसने यूके के सौर बाजार को व्यवहार्य बनाने में सहायता की है और नतीजतन अब करदाताओं से सहायता लेने की आवश्यकता नहीं होती है।
कई ऐसे देशों ने पहले ही आईएसए में शामिल होने के लिए हस्ताक्षर कर दिया है जहां डीएफआईडी काम करता है और उन्हें यूके द्वारा प्रदान की जाने वाली अतिरिक्त विशेषज्ञता का लाभ मिलेगा। देशों में शामिल हैं: डीआरसी, इथियोपिया, घाना, मलावी, सिएरा-लियोन, युगांडा, यमन, रवांडा, नाइजीरिया, सोमालिया और तंजानिया।