ब्रिटेन और उड़ीसा: दोनों महान
ब्रिटिश उच्चायुक्त सर जेम्स बेवन का अभिभाषण।
नवंबर 2011 से मुझे भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त होने का गौरव प्राप्त है। अपना पद ग्रहण करने से पूर्व मैं और मेरी पत्नी ने लगभग तीन महीने तक एक सामान्य ब्रिटिश नागरिक के तौर पर इस महान देश की यात्रा की, ताकि वास्तविक भारत को समझ पाऊं। हमने भारत के 28 में से 20 राज्यों की यात्रा की।
और सभी राज्यों में से सबसे यादगार यह राज्य था। हमने यहां भुवनेश्वर में कुछ दिन बिताए। मैंने कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस का दौरा किया, जो 20,000 वंचित आदिवासी बच्चों को प्रथम श्रेणी की शिक्षा मुहैया करता है और हम इस संस्थान के स्वप्नद्रष्टा संस्थापक डॉ. सामंत से भी मिले। हम उड़ीसा के सुदूर पश्चिमी हिस्से में गए जहां हमने ग्रामीण इलाके को देखा और कुछ विकास परियोजनाओं को भी, जिनमें ब्रिटिश सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सहायता उपलब्ध कराती है। हमने उड़ीसा का नयनाभिराम सौंदर्य देखा- ऐसा, जैसा कि हमने शायद ही किसी राज्य में देखा हो। और यूनेस्को विश्व विरासत स्थल एवं दुनिया का एक आश्चचर्य, कोणार्क सूर्य मंदिर की यात्रा के दौरान हमने उड़ीसा की सांस्कृतिक विरासत की भव्यता और शान देखी।
तबसे, उड़ीसा ने मेरे हृदय में एक खास जगह बना ली है। इसलिए आज दुबारा यहां आना मेरे लिए बड़ी खुशी की बात है।
यह वह राज्य है जहां चीजें हो रही हैं। यह वह राज्य है जहां की बेहतरीन शासन व्यवस्था में सचमुच अच्छे परिणाम मिल रहे हैं, और जहां के प्राकृतिक संसाधन एवं मानव संसाधन को अधिकाधिक महत्व मिल रहा है।
कुछ समय पहले मैंने एक वरिष्ठ भारतीय राजनेता से पूछा कि उन्होंने अपने समय की राजनीति से क्या सीखा है। उन्होंने सोचकर उत्तर दिया, “मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि आपकी व्यक्तिगत खुशी उतनी ही अधिक होगी जितना आप दिल्ली से दूर रहेंगे।” मैंने उनके शब्दों को ग्रहण किया और जितना संभव हुआ अधिक से अधिक समय दिल्ली से बाहर बिताने लगा जिसे आप असली भारत कह सकते हैं।
असली भारत में, मैंने रोज उत्कृष्टता के नमूने देखे- चिकित्सा के क्षेत्र में, शोध के क्षेत्र में, व्यवसाय, शिक्षा, रचनात्मक कलाओं के क्षेत्र में। विविधता में एकता को देखा, जिसकी बात पं. नेहरू किया करते थे और जो सचमुच ही रचनात्मकता एवं विकास का शक्तिशाली कारक है। और अंततः, असली भारत में मैंने ऐसा कुछ देखा जो शायद मेरी देखी हुई अन्य चीजों से कहीं बढ़कर, अधिक महत्वपूर्ण है, वह है- आशावाद। और यह बात यहां उड़ीसा में खास तौर पर सच है।
इसका यह अर्थ नहीं कि उड़ीसा अपने हिस्से की चुनौतियों का सामना नहीं करता। अभी-अभी हाल में, अक्टूबर महीने में साइक्लोन फैलिन ने इसके तटों को झकझोर कर रख दिया। भयानक तूफान और भारी वर्षा ने लोगों के घरों, फसलों, बिजली और संचार के ढांचे को तहस-नहस कर दिया। आपदा प्रबंधन की बेहतरीन तैयारियों के कारण, दस लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया और इसप्रकार जान का नुकसान लगभग ना के बराबर हुआ। मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि इस आपदा प्रबंधन के ढांचे को विकसित करने में ब्रिटिश सरकार ने भी अहम भूमिका निभाई।
साइक्लोन फैलिन से निबटने में उड़ीसा की सरकार और वहां के लोगों ने अपनी प्रतिबद्धता और अपने चरित्र की मजबूती का स्पष्ट परिचय दिया और आज की रात मैं उन सबके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करना और अपनी संवेदना व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने अपना जीवन खोया और अपनी जीविका गंवाई।
जान-माल को हुई क्षति की भरपाई करने, जीवन का पुनर्निर्माण करने में समय लगेगा। आज की सुबह मैं पुनर्निर्माण कार्य में लगे कई एनजीओ का दौरा कर उन्हें अपना सहयोग और समर्थन दूंगा। मुझे यह कहते गर्व हो रहा है कि ब्रिटिश सरकार साइक्लोन के बाद मानवीय सहायता उपलब्ध कराने वालों की अगली पंक्ति में खड़ी रही है। हमने राहत औरपुनर्निर्माण के काम में लगे कई एनजीओ को आर्थिक सहायता प्रदान की है। आर्थिक सहायता से बहुत फर्क पड़ा है: बुरी तरह प्रभावित 1,30,000 लोगों को रहने के लिए आश्रय, सोलर लैंप, जल उपचार तथा स्वच्छता किट उपलब्ध कराए गए। अब हमारे सामने पुनर्निर्माण का कार्य है और हम इसमें विश्व बैंक के जरिए मदद कर रहे है। भविष्य में आपात सहायता की तैयारियों और राहत कार्यों के लिए भी उड़ीसा सरकार तथा वहां के प्राधिकारियों के साथ सहयोग हेतु ब्रिटेन तत्पर है। इसलिए मैं उड़ीसा के भविष्य के प्रति अपनी पूरी निष्ठा और विश्वास, तथा साथ ही इस महान राज्य के विकास के प्रति ब्रिटेन की सशक्त, व्यापक और गहरी भागीदारी की प्रतिबद्धता भी प्रकट करता हूं।
इसके बाद, मैं अपने देश के बारे में कुछ शब्द कहना चाहता हूं। हमने आप सबसे आज की शाम उस जश्न में शामिल होने का अनुरोध किया है जिसे हमने ग्रेट कैम्पेन नाम दिया है। आप अपने चारों ओर की चीजों पर नजर डालें तो यह संदेश सहज रूप से स्पष्ट होता कि: ब्रिटेन महान है। हमें अपने अतीत पर गर्व है और अपने भविष्य को लेकर हमारे मन में आत्मविश्वास है। और हम उन चीजों का जश्न मनाना चाहते हैं जो युनाइटेड किंगडम को महानता प्रदान करती हैं। ऐसी कई चीजें हैं।
हमारी महान विरासत : स्टोनहेंज, हमारे राजमहल, शेक्सपीयर का ग्लोब थियेटर उनमें से कुछ नाम हैं।
हमारी संस्कृति : आप हमारी महान शास्त्रीय कला और साहित्य के बारे में जानते हैं, किन्तु हमारी लोक-संस्कृति भी सम्मोहक रूप से चित्ताकर्षक है। पॉप संगीत के क्षेत्र में , ब्रिटिश कलाकारों का विश्व के कुल संगीत विक्रय में 10% से अधिक योगदान है। फिल्मों के क्षेत्र में, जेम्स बांड तथा हैरी पॉटर ने दुनियाभर को मंत्रमुग्ध किया है। दुनिया का सबसे अधिक बिकने वाला वीडियो गेम,- ‘ग्रैंड थैफ्ट ऑटो 5’, एक ब्रिटिश कंपनी का उत्पाद है; जिसे मैं खुद भी जब-तब हल्के मनोरंजन के लिए लग जाता हूं। हमारे महान खेल: ‘इंगलिश प्रीमियर लीग’ विश्व का सर्वोत्कृष्ट तथा सर्वाधिक देखा जाने वाला फुटबॉल लीग है। स्कॉटलैंड कई भारतीयों के प्रिय खेल ‘गोल्फ’ का घर माना जाता है, (तथा, निश्चित रूप से, बहुत से भारतीयों की पसंदीदा शराब की निर्माण स्थली भी)। क्रिकेट का जिक्र करने में मुझे संकोच होता है। ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध खेले गए ऐशेज सीरीज की हार की चुभन अभी बाकी है। 5/0 से मिली वह हार शायद उस सच को ही दर्शाता है जैसा कि लेखक आशीष नंदी ने बड़ी बुद्धिमानी से यह कहा है कि, ‘क्रिकेट तो एक भारतीय खेल है, जिसका आविष्कार संयोगवश ब्रिटिश लोगों किया था’।
हमारे महान आविष्कार: वे चीजें जिनका ब्रिटिश लोगों ने आविष्कार किया और जिन्होंने दुनिया को बदल कर रख दिया- टेलीविजन, पेनसिलीन और पेंसिल, जेट इंजिन और बंगी जंपिंग। विकासवाद और गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत, देशांतर और हिग्स बोसोन कण के आविष्कार पर भी ब्रिटेन का दावा है। और संभवतः दुनिया को आनंदित करने वाली सभी चीजों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण- ‘स्टिकी टॉफी पुडिंग’।
हमारी महान टेक्नॉलॉजी: हाल ही में भारत ने फार्मूला वन ग्रैंड प्रिक्स की मेजबानी की है: जो फार्मूला वन कारें हमने तेज रफ्तार से नोएडा के रेस ट्रैक पर दौड़ती हुई देखीं, उसमें से हरेक की श्रेष्ठ विकसित टेक्नोलॉजी पूर्णतः ब्रिटिश है। आपके मोबाइल फोन में निश्चित रूप से एक चिप होगा जो कैम्ब्रिज में स्थित एआरएम नामक एक ब्रिटिश कंपनी द्वारा डिजाइन किया गया है। मुझे यह मालूम है क्योंकि दुनिया भर के 95% फोन में यही चिप मौजूद है।
हमें अपने ज्ञान पर गर्व है: विश्व के दस सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में चार विश्वविद्यालयों के साथ ब्रिटेन प्रथम श्रेणी के विश्वविद्यालयों वाला देश भी है। ऑक्सफोर्ड ने अन्य किसी भी विश्वविद्यालय से अधिक विश्व- नायकों को शिक्षित किया है; और कैम्ब्रिज के स्नातकों ने 65 नोबेल पुरस्कार जीते हैं। ब्रिटेन ने कुल मिलाकर 120 के लगभग नोबेल पुरस्कार जीते हैं और यह संख्या अमेरिका को छोड़कर दुनिया के किसी भी देश की तुलना में अधिक बड़ी है।
और अब मुझे यह कहते प्रसन्नता हो रही है कि ब्रिटेन का व्यवासाय जगत भी महान है। और इस सप्ताह जो मैं अपने सहयोगी कोलकाता के ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त के साथ यहां उपस्थित हूं, इसका यह एक बड़ा कारण है।
मैं यहां उड़ीसा में अपने साथ इस राज्य का दौरा करने वाले सबसे बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ आया हूं। इसमें लगभग 20 बेहतरीन ब्रिटिश कंपनियां शामिल हैं जो आधारभूत संरचना, ऊर्जा, खनिज, शिक्षा और कौशल के क्षेत्र में कार्यरत हैं। ब्रिटेन इन कंपनियों के प्रतिनिधित्व वाले इन सभी तथा अन्य क्षेत्रों में महान है। इनमें से छह तो उड़ीसा में पहले से व्यवसाय कर रही हैं, लेकिन और अधिक करने की उम्मीद है। अन्य कंपनियां यहां अपने अवसर तलाश रही हैं जिन्हें हम अपने साथ यहां लेकर आए हैं ताकि वे निकट से सबकुछ देख-समझ सकें। मुझे पता है उनके पास उड़ीसा और भारत को देने के लिए बहुत कुछ है और मैं जानता हूं आप उनका स्वागत करेंगे। यहां के अपने पिछ्ले दौरे से मैं यह जनता हूं कि उड़ीसा के लोग अपने समृद्ध इतिहास को लेकर बहुत गौरवान्वित हैं। और यह उचित है। इस राज्य की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत अद्वितीय है। और यही बात इसके आर्थिक और सामाजिक विकास पर भी लागू होती है। लेकिन मुझे उड़ीसा के भविष्य को लेकर यह विश्वास है कि यह इसके अतीत से भी अधिक उज्ज्वल होगा। और यह उड़ीसा का भविष्य ही है जिसके हम ब्रिटेनवासी एक अंग बनना चाहते हैं। इसलिए आज की रात मेरा संदेश स्पष्ट है। ब्रिटेन महान है और इसी तरह महान है उड़ीसा! साथ मिलकर हम महानता की और ऊंची बुलंदियों को छू सकते हैं।