उद्यमशीलता : उथल-पुथल के दौर में उन्नतिशील
28 सितंबर 2012 TiEcon दिल्ली 2012 में ब्रिटिश उच्चायुक्त सर जेम्स बेवन द्वारा दिए गए भाषण की प्रतिलिपि।
श्री बिखचंदानी, लॉर्ड बिलिमोरिया, पैनल के विशिष्ट सदस्यों और विशिष्ट अतिथियों,
मुझे यहां आकर खुशी हुई है। और, ब्रिटेन टीआईई का कंट्री पार्टनर बन कर खुश है।
कहा जाता है कि कूटनीतिज्ञ वह है, जो आपको इतने लुभावने तरीके से नरक में जाने को कह सकता है कि आप अपनी यात्रा पर जाने की उम्मीद लगाए रहते हैं।
मैं आपको नरक में जाने को नहीं कह रहा हूं। मैं आपको यह कहने जा रहा हूं कि किस प्रकार ब्रिटेन, भारत और बाकी विश्व स्वर्ग को प्राप्त करे। स्वर्ग ऊपर नहीं है, बल्कि हम सभी नीचे यहां पृथ्वी पर स्वर्ग को देखना चाहते हैं ऐसा स्वर्ग जहां समाजों द्वारा उन्नति करना, जिसमें टिकाऊ विकास हो और अधिक समृद्धि हो, जिसे प्रत्येक व्यक्ति साझा करे तथा उसमें प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमता का पूरा उपयोग कर सके।
मैं अब दो केस स्टडीज के जरिए अपने तर्क को आगे बढ़ाता हूं। ये केस स्टडीज (1) मैं जिन देशों को सर्वाधिक अच्छे ढंग से जानता हूं और (2) ब्रिटेन एवं भारत के बारे में हैं।
किस प्रकार ब्रिटेन उन्नतिशील है और यह सिलसिला इसी तरह जारी रखेगा
मैं अपनी बात ब्रिटेन से शुरू करता हूं। हमारे लिए पिछले कुछ साल कठिनाई भरे रहे हैं। विश्व आर्थिक मंदी ने हमें आघात पहुंचाया और इसके बाद यूरोजोन संकट ने प्रहार किया। पिछले सालों में ब्रिटेन के लिए मददगार रहे नोर्थ सी ऑयल जैसे कुछ कारक समाप्त हो गए हैं।
हम ब्रिटेन के अतीत के गौरव का ध्यान करते हुए प्रबंधित गिरावट को स्वीकार कर सकते थे। हमने यह रास्ता पूरी तरह से ठुकराया। हमारा मानना है कि ब्रिटेन के सुनहरे दिन भविष्य में आने वाले हैं। जहां एक ओर हमें अपने अतीत पर गर्व है, वहीं दूसरी ओर हमें अपने भविष्य पर भरोसा है।
हमें क्यों आत्मविश्वास है? क्योंकि ब्रिटेन के पास कुछ विशेष गुण हैं, जो हमें 21वीं शताब्दी की चुनौतियों का मुकाबला करने में सक्षम बनाते हैं।
ब्रिटेन:
यह विश्व की विशालतम अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और उसके द्वारा इस स्थान पर बने रहने का दृढ़ संकल्प है : विश्व की सातवीं विशालतम अर्थव्यवस्था। ब्रिटेन के पास उपयुक्त आर्थिक आधार हैं : एक अत्यंत शिक्षित एवं गतिशील कर्मचारी वर्ग, एक मजबूत बैंकिंग व्यवस्था, एक स्थिर लोकतंत्र, कानून का शासन और संवृद्धि को समर्थन देने वाली बृहत आर्थिक नीतियां।
यह विश्व के सर्वाधिक व्यवसाय-हितैषी वातावरण वाले देशों में से एक है। वर्तमान सरकार ने लालफीताशाही खत्म की है। इसने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की है। जी 7 के देशों में ब्रिटेन की न्यूनतम कॉरपोरेट टैक्स दर है। इस साल हमने इसे घटा कर 24 प्रतिशत कर दिया है। और, हम 2014 तक इसे घटा कर 22 प्रतिशत कर देंगे, जिससे ब्रिटेन विश्व में न्यूनतम कॉरपोरेट टैक्स दर वाले देशों में से एक बन जाएगा।
हम उद्यमियों का रास्ता आसान बनाते हैं : विश्व बैंक ने व्यवसाय की स्थापना और उसके संचालन की दृष्टि से ब्रिटेन को यूरोप में पहली रैंक दी है। ब्रिटेन में कोई भी व्यवसाय महज 13 दिनों में स्थापित किया जा सकता है। और, हम अति-प्रतिभाशाली व्यक्तियों को ब्रिटेन में आने और उन्नति करने के लिए बढ़ावा देते हैं।
उदाहरणार्थ, हमने ग्रेजुएट उद्यमियों के लिए एक नए किस्म का वीजा देना शुरू किया है। इससे उन भारतीय और विदेशी छात्रों को मदद मिलेगी, जिन्होंने विश्वस्तरीय नव-प्रवर्तक विचार विकसित किए हैं। वे ब्रिटेन में रह कर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकते हैं।
ब्रिटेन आवक निवेश का स्वागत करता है। टाटा समूह द्वारा अधिग्रहित जगुआर लैंड रोवर की भारी सफलता इसका एक उदाहरण है। ज़रा सोचिए : कितने अन्य देश किसी विदेशी निवेशक को अपनी एक सिरमौर राष्ट्रीय कंपनी के अधिग्रहण की इजाजत देंगे? ब्रिटेन ने अधिग्रहण की सिर्फ इजाजत ही नहीं दी, बल्कि इसका रास्ता भी आसान बनाया। और, यह टाटा समूह और हमारे लिए अत्यंत फायदेमंद रहा क्योंकि इससे हजारों नई नौकरियों का सृजन हुआ और अधिक संवृद्धि हुई। विदेशी निवेश के प्रति इस खुलेपन से ब्रिटेन यूरोप में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता देश बन गया है। वह विश्व में अमेरिका के बाद एफडीआई का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।
यदि आप एक वैश्विक व्यवसायी बनना चाहते हैं तो ब्रिटेन उपयुक्त स्थान है। ब्रिटेन वह स्थान है, जहां दुनिया भर की कंपनियां अपने लिए पूंजी जुटाती हैं और सिटी ऑफ लंदन एवं स्टॉक एक्सचेंज के जरिए उसके शेयरों की खरीद-फरोख्त होती है। ब्रिटेन उपयुक्त टाइम जोन में है, जिससे आप सुबह एशिया और शाम को अमेरिका में बातचीत कर सकते हैं। विश्व के किसी भी अन्य हवाई अडडा की तुलना में हीथ्रो हवाई अडडा अधिक अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन करता है। और, ब्रिटेन में विश्व की भाषा- अंग्रेजी में संवाद किया जाता है।
ब्रिटेन उन चीजों में विश्व में एक अग्रणी देश है, जो समृद्धि एवं संवृद्धि को बढ़ावा देता है : जैसे- विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नव-प्रवर्तन में। उदाहरण : एक ब्रिटिश नागरिक ने आईपोड की डिजाइन तैयार की थी, एक ब्रिटिश नागरिक ने इंटरनेट का आविष्कार किया था और एक ब्रिटिश नागरिक हिगस ने उस कथित गॉड पार्टिकल के बारे में भविष्यवाणी की थी, जो दर्शाता है कि भौतिक विश्व क्यों कार्य करता है। इस साल के प्रारंभ में इसकी खोज की गई। और, हम नव-प्रवर्तन में तेजी लाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। उदाहरण : ईस्ट लंदन में टेक सिटी, जो यूरोप में डिजिटल एवं सृजनशील कंपनियों के तेजी से प्रगति करने का केंद्र है।
ब्रिटेन शिक्षा क्षेत्र में विश्व में एक अग्रणी देश है। नवीनतम रैंकिंग के अनुसार विश्व के छह शीर्ष विश्वविद्यालयों में से 4 शीर्ष विश्वविद्यालय ब्रिटेन में हैं। ब्रिटेन कठिन कामों को भी अच्छी तरह से कर सकता है। उदाहरण : लंदन 2012 के ओलम्पिक्स, जो मैत्रीवत माहौल में शालीन के साथ सही समय पर एवं लक्षित बजट के मुताबिक आयोजित किए गए।
इस प्रकार, यद्यपि हम एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन हमें आत्मविश्वास है कि हम ब्रिटेन में शीघ्र ही सुदृढ़ एवं टिकाऊ विकास का दौर देखेंगे। इसके कुछ संकेत पहले से दिख रहे हैं : रोजगार की स्थिति यूरोपियन यूनियन (ईयू) के औसत से बेहतर है और नौकरियों में वृद्धि हो रही है। और, अन्य लोग इस बात से सहमत हैं। ब्रिटेन सरकार के कर्ज ने ‘‘एएए’’ की रेटिंग बरकरार रखी है। और, भारत ने पिछले साल में ब्रिटेन में अधिक निवेश किया, जो उसके द्वारा ईयू के सभी देशों में किए गए कुल निवेश से अधिक है।
इस प्रकार, ब्रिटेन ने भले ही बड़ी उथल-पुथल महसूस नहीं की हो, लेकिन अशांति महसूस की है। मेरा संदेश यह है कि हम इससे उबर रहे हैं और हम उन्नति की दिशा में अग्रसर हैं।
भारत क्यों उन्नतिशील है और वह यह सिलसिला इसी तरह जारी रखेगा
मुझे भारत के भविष्य के बारे में समान रूप से भरोसा है। इसका सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण यह है कि जब मैं इस महान देश की यात्रा करता हूं तो इसे देखता हूं।
दिल्ली में पहुंचने के कुछ समय बाद मेरी मुलाकात एक वरिष्ठ भारतीय राजनीतिक नेता के साथ हुई। मैं उनका नामोल्लेख नहीं करूंगा। मैंने उनसे पूछा कि उन्होंने अपने दौर की राजनीति से क्या सीखा। उन्होंने सोच कर कहा: ‘‘मेरा निष्कर्ष है कि आपकी निजी खुशी आपकी दिल्ली से दूरी के प्रत्यक्ष अनुपात पर निर्भर करती है।’’ मैंने उनके इस कथन पर विश्वास कर लिया और यथासंभव अधिकाधिक समय दिल्ली से बाहर उन जगहों पर बिताया, जिसे लोग ‘‘असली भारत’’ कहते हैं।
और, असली भारत वह देश नहीं है, जिसके बारे में आप मीडिया या कुछ आंकड़ों में पढ़ते हैं।
असली भारत में संवृद्धि दर 5 प्रतिशत नहीं, बल्कि 10 प्रतिशत या अधिक है। वहां लगभग प्रत्येक व्यक्ति का जीवन स्तर ऊंचा होता जा रहा है। असली भारत में एक बड़ी और बढ़ती संख्या में मध्यमवर्ग है, जो सुशिक्षित है और उसके पास उपयोग के लिए उच्च आय है। वह अधिक समृद्धि पैदा कर रहा है और स्थायित्व सुनिश्चित करने में मदद कर रहा है। असली भारत में - चाहे अभिभावक अमीर हों या गरीब, वे अपने बच्चों को अपनी क्षमतानुसार उत्कृष्ट शिक्षा दिलवाने के लिए भारी कुर्बानी कर रहे हैं। यह बच्चों और भारत के भविष्य के लिए सभी प्रकार के निवेश में उत्कृष्ट निवेश है।
मैं प्रतिदिन असली भारत में विस्मयकारी प्रतिभाशाली व्यक्तियों से मिलता हूं और इस तरह की प्रतिभाएं यहां इस कमरे में भी बड़ी संख्या में उपस्थित हैं। मैं प्रतिदिन असली भारत में चिकित्सा, अनुसंधान, व्यवसाय, शिक्षा, सृजनशील कलाओं में विश्वस्तरीय उत्कृष्टता के उदाहरण पाता हूं। इनमें से एक अविस्मरणीय उदाहरण मैसूर में इन्फोसिस कैम्पस का मेरा दौरा है। मैंने अब हारवर्ड बिजनेस का दौरा किया है और इन्फोसिस कैम्पस अधिक बड़ा एवं बेहतर है। मेरे लिए यह एक अत्यंत शक्तिशाली संदेश देता है- सिर्फ इन्फोसिस नहीं, बल्कि भारत के बारे में। संदेश यह है : भारत सिर्फ अच्छा बनने का नहीं, बल्कि विश्व में उत्कृष्ट बनने का आकांक्षी है और अनेक मामलों में वह पहले से ही उत्कृष्ट है।
मैं असली भारत में विविधता में एकता देखता हूं, जिसके बारे में नेहरू ने कहा था और यह सृजनशीलता और संवृद्धि का वाकई एक शक्तिशाली संचालक है। मैं असली भारत में प्रत्येक जगह पर प्रतिभाशाली युवा भारतीयों से मिलता हूं, जिन्होंने अपनी शिक्षा पाने और व्यवसाय शुरू करने के लिए विदेश-यात्रा की है, लेकिन अब वे स्वदेश लौट रहे हैं क्योंकि वे यहां भारत में बहुत अधिक अवसर देख रहे हैं। जब ये प्रतिभाएं उलटे प्रतिभा पलायन (रिवर्स ब्रेन ड्रेन) के रूप में स्वदेश लौटती हैं तो यह आपके भारत के भविष्य के बारे में आत्मविश्वासी होने के सभी कारणों में एक सर्वाधिक शक्तिशाली कारण है।
और, अंतिम बात, मैं असली भारत में ऐसा कुछ देखता हूं, जो संभवत: उन चीजों से अधिक महत्वपूर्ण है, जिनकी मैंने पहचान की है : मैं आशावाद देखता हूं। मैं जहां कहीं और किसी भी स्तर पर लोगों से मिलता हूं, वे सोचते हैं कि आज अच्छा है और कल बेहतर होगा। आप आर्थिक एवं सामाजिक लाभों की मात्रा की गणना नहीं कर सकते। लेकिन वे बहुत ज्यादा हैं और वे औद्योगिक आकार की मात्रा जैसी अन्य चीजों की तरह भारत के पास हैं।
ब्रिटेन-भारत संबंध के लिए निहितार्थ
मैं बेमतलब प्रसन्नतादायी बातें नहीं करता। मैं जमीनी आशावाद को पसंद करता हूं : एक ऐसा आत्मविश्वास, जो सामान्य आस्था पर नहीं, बल्कि तथ्यों पर आधारित हो। और, मैंने जिन तथ्यों को आपके सामने रखा है, उन्होंने मुझमें ब्रिटेन एवं भारत के भविष्य और दोनों देशों के संबंधों के भविष्य के बारे में आत्मविश्वास पैदा किया है।
ये संबंध मजबूत, व्यापक और गहन हैं। मेरी आकांक्षा इन्हें अधिक मजबूत, अधिक व्यापक और अधिक गहन बनाने की है। और, हम इस मामले में प्रगति होती देख रहे हैं। उदाहरणार्थ, आर्थिक क्षेत्र में हम 2010 की तुलना में 2015 तक व्यापार को बढ़ा कर दुगुना करने के हमारे दोनों प्रधानमंत्रियों के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में अग्रसर हैं। 2011 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार (साजसामान एवं सेवाएं) में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 17 अरब पाउंड मूल्य तक पहुंच गया। भारत को होने वाले ब्रिटिश साजसामान के निर्यात में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 5.7 अरब पाउंड मूल्य तक पहुंच गया। इसका मतलब यह है कि ईयू के बाहर भारत ब्रिटेन का सबसे बड़ा बाजार है।
और, दुतरफा तरीके से निवेश में वृद्धि हो रही है। 2011 में एक ब्रिटिश कंपनी ने भारत में अब तक का विशालतम निवेश किया : यह रिलायंस के साथ बीपी का तेल एवं गैस संयुक्त उपक्रम था। ब्रिटेन अब भारत में तीसरा विशालतम निवेशक है और भारत अब ब्रिटेन में पांचवां विशालतम निवेशक है।
ब्रिटेन-भारत साझेदारी की स्थिति
लेकिन, मेरा मानना है कि हम बेहतर नतीजे पा सकते हैं और बेहतर करना भी चाहिए। दोनों देशों के बीच संबंधों के मद्देनजर हमें अधिक उच्चाकांक्षी होना चाहिए। मुझे दोनों देशों की जनता के भविष्य के लिए समानता के आधार पर मजबूत साझेदारी के निर्माण के वास्तविक अवसर दिखाई देते हैं। भारत का रणनीतिक लक्ष्य बदलाव लाना है : एक समावेशी विकास, जिससे जनता के सभी वर्गों को लाभ पहुंचे। भारत को जिन चीजों की जरूरत है, ब्रिटेन उनकी पेशकश करता है। ये जरूरतें इस प्रकार हैं :
भारत को देश के निर्माण के लिए उस आवक निवेश की जरूरत है, जिसे उसकी जनता चाहती है : ब्रिटेन को निवेश पूंजी जुटाने और उसे प्रदान करने में विशेषज्ञता हासिल है।
भारत को ढांचागत सुविधाओं- सड़कों, मेट्रो, रेलवे, बंदरगाहों की जरूरत है : ब्रिटेन को ढांचागत सुविधाओं के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल है।
भारत को नए शहरों के निर्माण और मौजूदा शहरों के सफल विस्तार के प्रबंधन की जरूरत है : बिटेन को शहरी नियोजन एवं आर्किटेक्चर में विशेषज्ञता हासिल है।
भारत को वैल्यू चेन के शीर्ष स्तर पर एक अधिक बड़े मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के निर्माण की जरूरत है: ब्रिटेन को इसके लिए आवश्यक उच्च तकनीकी मैन्यूफैक्चरिंग में विशेषज्ञता हासिल है।
भारत को पारम्परिक (जैसे- तेल एवं गैस) और नवीकरणीय (जैसे- वायु एवं सौर ऊर्जा) दोनों स्रोतों से ऊर्जा की जरूरत है।
भारत अपने उन 500 मिलियन युवाओं को शिक्षित करना चाहता है, जो अगले दस सालों में श्रम बाजार में प्रवेश करेंगे। हमें शिक्षा और निपुणता के मामलों में विशेषज्ञता हासिल है।
इस प्रकार, जिन चीजों की भारत को जरूरत है और ब्रिटेन जिन चीजों की पेशकश करता है तथा जिन चीजों की ब्रिटेन को जरूरत है एवं भारत जिन चीजों की पेशकश करता है, उनके बीच निकटस्थ मेल है। यह आगामी सालों में अधिक मजबूत साझेदारी का एक अच्छा आधार है।
निष्कर्ष
मैंने आपसे कहा था कि किस प्रकार स्वर्ग को प्राप्त करें या किस प्रकार स्थायी संवृद्धि और समृद्धि प्राप्त करें। मुझे आशा है कि ब्रिटेन और भारत के बारे में मेरे विचारों से आपको कुछ संकेत मिल गए होंगे।
और, यह राह जटिल नहीं है। संक्षेप में, यदि देश स्वयं अपनी जनता के स्वास्थ्य एवं शिक्षा में निवेश शुरू करेंगे, यदि वे संवृद्धि के लिए आवश्यक ढांचागत सुविधाओं- सड़कों, हवाई अडडों, बिजली आदि में निवेश करेंगे, यदि वे स्थायित्व, लोकतांत्रिक एवं गवर्नेंस के लिए आवश्यक संस्थाओं का निर्माण करेंगे और यदि सरकारें सही कदम उठाएंगी तो वे सफलता प्राप्त करेंगे। सरकार का कार्य व्यवसाय और संवृद्धि के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना और उसके बाद इस रास्ते से हटना तथा बिना किसी बाधा के जनता की स्वाभाविक प्रतिभा एवं सृजनशीलता के फलने-फूलने होता है।
एक बड़ा यूरोपीय देश है, जिसका मैं नामोल्लेख नहीं करूंगा, जहां एक कहावत है: अर्थव्यवस्था रात में प्रगति करती है, जबकि सरकार सो रही होती है। हम ब्रिटेन में यह मानते हैं कि सरकार को नहीं सोना चाहिए। हमारा पक्का यकीन है कि उसे वहां जरूर सक्रिय होना चाहिए, जहां वाकई जरूरत है- और, अंतत: संवृद्धि एवं समृद्धि सरकार या नौकरशाहों द्वारा नहीं, बल्कि निजी सेक्टर और आप जैसे निजी उद्यमियों द्वारा पैदा होगी। हमारा कार्य आपको बाधा-मुक्त करना है और जहां आवश्यक है, वहां आपको समर्थन देना है। और, आपका कार्य नव-प्रवर्तक तरीकों से कल्पना करना और भविष्य का निर्माण करना है।