भारत में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सर जेम्स बेवन का भाषण
भारत स्थित ब्रिटिश उच्चायुक्त सर जेम्स बेवन केसीएमजी ने 8 मार्च 2013 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में भाषण दिया। यहां पेश है उनके मूल भाषण का पूरा पाठ।
मेरे साथियों ने आज रात के लिए मेरा भाषण लिखा। लेकिन, मैं इसका उपयोग नहीं कर रहा हूं। इसके बजाए मैं आपको अपने बारे में अत्यंत निजी बातें बताऊंगा और चर्चा करूंगा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मेरे लिए क्या मायने रखता है।
मैं आज शाम यहां आया हूं क्योंकि महिलाओं के अधिकारों का मसला मेरे लिए वाकई महत्वपूर्ण है। यह अनेक कारणों से महत्वपूर्ण है। इसके कुछ कारण पेशेवर और कुछ कारण राजनीतिक हैं, लेकिन अधिकतर कारण निजी हैं।
इसका मेरे लिए महत्व निम्नलिखित कारणों से हैं:
- क्योंकि मैं तीन बेटियों का पिता हूं। मैं चाहता हूं कि वे एक ऐसे विश्व में रहें, जहां एकमात्र सीमा उनकी प्रतिभा और उच्चाकांक्षा हो, जेन्डर नहीं।
- क्योंकि मैं एक पति हूं। मेरी शादी प्रेम और समान साझेदारी पर आधारित है। इससे मैं प्रसन्न हूं। मैं चाहता हूं कि अन्य व्यक्ति इसी तरह की साझेदारी रखें और इसी तरह खुश रहें।
- क्योंकि कूटनीतिज्ञ बनने से पहले मैं एक शिक्षक था और मैं एक विकासशील देश- अल्जीरिया में लड़कियों को पढ़ाता था। मैंने वहां स्वतंत्र विचारों की शक्ति के बारे में सीखा, जिससे अवसर खुलते हैं और लड़कियां अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर पाती हैं।
- क्योंकि मैं एक इंसान हूं। मैं ऐसे किसी विश्व में नहीं रहना चाहता, जहां मानवता के आधे हिस्से को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाया जाता हो, ठुकरा दिया जाता हो या वंचित रखा जाता हो।
- क्योंकि मैं एक नेता हूं। नेताओं का कार्य है कि वे जनता के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करें और अन्य व्यक्तियों के साथ मिल कर कार्य करें। जिस विश्व में सभी महिलाओं के साथ समानता के आधार पर व्यवहार होता है, वह कहीं बेहतर विश्व है।
- क्योंकि मैं एक अनुसरणकर्ता भी रहा हूं। मैंने महिलाओं के अलावा पुरुषों के लिए भी कार्य किया है और मैं अपने निजी अनुभव से जानता हूं कि महिलाएं कितनी प्रतिभावान नेता हो सकती हैं।
- क्योंकि मैं एक नियोक्ता हूं। भारत में लगभग 1,000 व्यक्ति ब्रिटेन के लिए कार्य करते हैं, जिनमें बहुसंख्यक भारतीय महिलाएं हैं। वे अत्यंत प्रतिभाशाली हैं। इस तरह की प्रतिभाएं हमें मिलने की एक वजह यह है कि हम अपने स्टाफ के साथ समान और सम्मानजनक व्यवहार करते हैं। प्रत्येक नियोक्ता अपने यहां उत्कृष्ट प्रतिभाओं को रखना चाहता है। यदि आप भी यही चाहते हैं तो इस 50 प्रतिशत आबादी को वंचित न रखें।
- क्योंकि मैं एक यात्री हूं। मैं उन देशों में रहा हूं, जहां महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त नहीं हैं और मैं उन देशों में भी रहा हूं, जहां महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त हैं। और, मैं जानता हूं कि मैं किन देशों को पसंद करता हूं।
- क्योंकि मैं चाहता हूं कि एक बेहतर विश्व बने। जब महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार और अवसर मिलेंगे तो यह विश्व वाकई बेहतर बन जाएगा।
- क्योंकि मैं एक ब्रिटिश नागरिक हूं। मुझे पिछले कुछ सालों में महिलाओं के अधिकारों के क्षेत्र में ब्रिटेन की उपलब्धियों पर गर्व है, यद्यपि हम जानते हैं कि इस बारे में अभी भी कुछ कार्य किए जाने बाकी हैं। और, मुझे ब्रिटेन में चले नारी मताधिकार आंदोलन पर गर्व है, जिसने ठीक 100 साल पहले महिलाओं को वोट का अधिकार देने के लिए आंदोलित किया था।
- क्योंकि मैं ब्रिटेन सरकार के लिए कार्य करता हूं और मेरी सरकार समानता, निष्पक्षता और सभी को समान अवसर देने में विश्वास करती है।
- क्योंकि मैं उच्चायोग का अध्यक्ष हूं, जहां हम महिलाओं और पुरुषों पर दादागिरी, उनके उत्पीड़न और उनसे भेदभाव को कतई सहन नहीं करते (जीरो टोलरेन्स)। इस ‘‘जीरो टोलरेन्स’’ को कड़ाई से लागू किया जाता है।
- क्योंकि मैं जब उन व्यक्तियों को देखता हूं, जो महिलाओं के अधिकारों का समर्थन करते हैं और जो उनका समर्थन नहीं करते, तो मैं जानता हूं कि मुझे किनका साथ देना है।
- क्योंकि मैं जानता हूं कि महिलाएं पुरुषों की हिंसा की शिकार बनी हैं और मैं इस बुराई को रोकना चाहता हूं।
- क्योंकि मैंने अपने करियर का बहुत सारा समय विकास के मामलों पर बिताया है और एक बहुत बड़ा सबक सीखा है कि यदि विकास की कोई जादुई गोली है तो वह है: लड़कियों को शिक्षित करना।
- क्योंकि मैं भारत के भविष्य में विश्वास करता हूं और मेरे मिस्तष्क में एक अविस्मरणीय बात है कि मैं यह भविष्य ग्रामीण भारत में देखता हूं : गुलाबी वर्दी पहने लड़कियां नई साईकिल पर सवार होकर शिक्षा पाने को स्कूल जा रही हैं, जो अवसर उनकी माताओं को कभी नहीं मिला था।
इसलिए, आज रात मैं निम्नलिखित बातें कहता हूं: * मैं महिलाओं पर हिंसा के खिलाफ अभियान में आपके साथ हूं, * मैं विश्व भर में महिलाओं के अधिकारों के अभियान में आपके साथ हूं, और * मैं अन्य लोगों से इसी तरह के कदम उठाने की आपकी अपील में आपके साथ हूं।
मैं भारत और पूरे विश्व में उन महिलाओं की सराहना करता हूं, जो विश्व में बदलाव की बयार ला रही हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध महिलाएं हैं। इनमें से कुछ महिलाएं यहां उपस्थित हैं। लेकिन, इस तरह की अधिकांश महिलाएं अज्ञात हैं और इसी तरह अज्ञात रहेंगी। वे गुमनाम हैं, जो प्रतिदिन विश्व में स्वयं अपने, अपने परिवार और अपने देश के लिए बेहतर जीवन के निर्माण में जुट जाती हैं।
और, मैं उन पुरुषों की भी सराहना करता हूं, जो बदलाव की इस बयार के सहभागी हैं। महिलाओं के आचरण के तरीके में बदलाव लाना महिलाओं की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त नहीं है : इसके लिए हमें पुरुषों के व्यवहार के तरीके में भी बदलाव लाना होगा। और, यह हो रहा है। मैं अनेक देशों में रहा हूं और कई अन्य देशों की यात्रा की है। और, मैंने प्रत्येक जगह पर देखा है कि पुरुषों में बदलाव आ रहा है : पिता अपने बेटों के समान ही अपनी बेटियों की कद्र कर रहे हैं, भाई अपनी बहनों का सम्मान कर रहे हैं और पुरुष कर्मचारी एक टीम के रूप में अपनी महिला सहयोगियों को समान सम्मान दे रहे हैं और उनके साथ समान व्यवहार कर रहे हैं।
मैं आज रात के इस आयोजन से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को धन्यवाद देता हूं। मैं हमारे मेजबान ब्रिटिश काउंसिल, यूके डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट और भारत में पूअरेस्ट एरियाज सिविल सोसायटी प्रोग्राम में उनके साझेदारों, ऑक्सफैम इंडिया और यूएन विमेन का विशेष रूप से आभारी हूं।
मैं आप सभी को ट्विटर @HCJamesBevan पर मेरा अनुसरण करने एवं मुझे यह बताने के लिए आमंत्रित करता हूं कि आपके अनुसार हम मिल कर महिलाओं के अधिकारों के संघर्ष के बारे में और क्या कदम उठा सकते हैं।
और, मैं आप सभी को ऑनलाइन कैम्पेन फोर यूएन एक्शन टु स्टॉप वॉयलेंस एगेन्स्ट विमेन एंड गल्र्स में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूं।
अंतत: मैं आपके समक्ष तीन उद्धरण पेश करता हूं।
पहला उद्धरण : ‘व्यवहारशील महिलाएं विरले ही इतिहास रचती हैं।’ मैं आपको बुरी तरह व्यवहार करने को प्रोत्साहित करता हूं।
दूसरा उद्धरण : ‘नारीवाद एक अतिवादी धारणा है कि महिलाएं इंसान हैं।’ मैं सारे विश्व को अतिवादी बनने को प्रोत्साहित करता हूं।
और, अंतिम उद्धरण जवाहरलाल नेहरू द्वारा अपनी बेटी इंदिरा गांधी को लिखा गया कथन है : विश्व में दो तरह के व्यक्ति हैं : वे व्यक्ति, जो कार्यों को करते है और वे व्यक्ति, जो कार्यों का सारा श्रेय लेते हैं। पहली श्रेणी के व्यक्तियों में शामिल हों क्योंकि उनमें प्रतिस्पर्धा बहुत कम है। इसलिए, आइए, पहली श्रेणी में शामिल होने की आज प्रतिज्ञा करें।