भाषण

भारत-ब्रिटेन प्रौद्योगिकी कार्यशाला: नवप्रवर्तन और प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण

14 अक्टूबर 2015 को बेंगलुरु में भारत-ब्रिटेन प्रौद्योगिकी कार्यशाला में बेंगलुरु के ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त इयान फेल्टन के उद्गार।

यह 2015 to 2016 Cameron Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था
Ian Felton

ब्रिटेन-भारत नवप्रवर्तन एवं प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण पर हमारे ग्रेट टेक वर्कशॉप (ग्रेट प्रौद्योगिकी कार्यशाला) में आप सबका स्वागत है।

आज आप सबके यहां उपस्थित होने पर मुझे अतीव प्रसन्नता है – बेहतर कल के लिए ब्रिटेन और भारत किस प्रकार साथ मिलकर काम कर सकते हैं इसे संक्षेप में समझने हेतु यह एक महत्वपूर्ण अवसर है।

निजी क्षेत्र तथा शिक्षा जगत के लिए यह अवगाहन कर पाने में कि नवप्रवर्तनकारी वातावरण किस प्रकार निम्नलिखित मुद्दों पर दोनों के साथ मिलकर बेहतर काम कर पाने के मौके मुहैया करता है, आज का दिन हमारी दोनों सरकारों के लिए एक अवसर उपलब्ध कराता है:

  • नवप्रवर्तन नीति
  • व्यवसाय संवर्धन
  • शिक्षा
  • औद्योगिक संबंध
  • शोध एवं विकास का व्यवसायीकरण।

अभी हाल में ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स के मुताबिक नवप्रवर्तन की दिशा में अपने निष्पादन के लिहाज से ब्रिटेन दूसरे स्थान पर रहा है। 2011 में इसके 10वें स्थान के मुकाबले यह जो तीव्र प्रगति हुई है यह नवप्रवर्तन के क्षेत्र में हमारे अग्रणी बनने के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।

रिपोर्ट दर्शाती है कि हमने शोध, विज्ञान, अवसंरचना और कोर्स क्रिएटिविटी के क्षेत्रों में एक सु-संतुलित निष्पादन हासिल करने में सफलता पाई है।

कार्यशाला का लक्ष्य है दोनों देशों में नवप्रवर्तन नीति, इनक्युबेशन और संवर्धन (गति वृद्धि), प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण की समझ बढ़ाना।

सर्वोत्तम कार्य व्यवहार और चुनौतियों को साझा करना, और विश्वविद्यालयों, कंपनियों और संगठनों के बीच सांस्थानिक संबंध निर्मित करने के अवसर तलाशना।

ब्रिटेन और भारत शोध एवं नवप्रवर्तन के क्षेत्रों में संस्थापित साझेदार बन चुके हैं।

हमारे संबंध को अगले स्तर पर ले जाते हुए ब्रिटेन ने उस न्यूटन फंड के लिए भारत को एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में देखा है जो 5 साल की अवधि के लिए 37.5 करोड़ पाउंड का एक नया कोष है जिसका उद्देश्य है उदीयमान शाक्तियों के साथ विज्ञान और नवप्रवर्तन के क्षेत्र में साझेदारी को बढ़ावा देना।

न्यूटन फंड के तहत ब्रिटेन ने 5 साल के लिए 1 करोड़ पाउंड (प्रति वर्ष 95 करोड़ रुपए) की राशि भारत में काम करने के लिए निर्धारित किए हैं।

न्यूटन-भाभा फंड हमारी औपचारिक साझेदारी का समझौता और संयुक्त कार्यक्रम है जो हमारे दो महान वैज्ञानिकों के सम्मानार्थ है।

इस साल हम राज्य सरकारों के साथ मिलकर उनकी नवप्रवर्तन नीतियों तथा नवप्रवर्तन/इनक्युबेशन वातावरण के निर्माण के लिए काम कर रहे हैं। और कर्नाटक हमारा महत्वपूण साझेदार है।

मुझे खुशी है कि हम इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अपने-अपने अनुभव साझा कर सकते हैं।

आप सबको एक सफल कार्यशाला की शुभकामनाएं और दोनों पक्षों के लिए लाभदायक उत्पादनकारी साझेदारी की हम उम्मीद करते हैं।

जैसा कि हमने पहले उल्लेख किया है हमारे संबंध पहले से ही व्यवसायिक और आर्थिक स्तरों पर स्वस्थ और मजबूत हैं, जिसके उदाहरण हैं- Example:

  • भारत के लिए ब्रिटेन एक महत्वपूर्ण आंतरिक निवेश गंतव्य है। 2013 में ब्रिटेन ने दुनिया भर से 5 अरब पाउंड की राशि विदेशी वित्त पोषित आर&डी के रूप में आकर्षित किए।
  • विदेशी कंपनियों से ब्रिटेन उच्च स्तरीय आर एंड डी निवेश आकर्षित करता है जो हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस तरह, 2012 में ब्रिटेन के आर एंड डी निवेश का 20% बाहर से आया, अन्य देशों से तुलना करें तो जर्मनी और अमेरिका के लिए यह 4% रहा और चीन जाने वाली विदेशी कंपनियों का आर एंड डी निवेश महज 1% था।
  • यह अंतर्प्रवाह परिणाम दर्शाता है - हम अनुमान करते हैं कि 2000 और 2008 के बीच ब्रिटेन की आधी उत्पादकता संवृद्धि का श्रेय नवप्रवर्तन को दिया जा सकता है।
  • सरकार द्वारा आर एंड डी में निवेश सार्वजनिक निवेश को आकर्षित करता है: शोध एवं विकास में किया गया सार्वजनिक निवेश का प्रत्येक पाउंड निजी क्षेत्र के डेढ़ पाउंड से अधिक यानी 1.60 पाउंड के निवेश को आकर्षित करता है।
  • ब्रिटेन की नवप्रवर्तन एजेंसी, इनोवेट यूके ऐसी योजनाएं चलाती है जो प्रत्येक पाउंड के निवेश पर ग्रॉस वैल्यू एडेड औसतन 6 पाउंड का लाभ दिलाती है। 6 और 1 का यह अनुपात बेहतरीन लाभ है।
  • यूके इनफ्रास्ट्रक्चर में शामिल है मौसम के पैटर्न पर बेहतर पूर्वानुमान करने में सहायक मेट ऑफिस सुपरकंप्यूटर और ऐसे पूर्वानुमान कृषि, उड्डयन और जहाजरानी के क्षेत्र में अत्यंत उपयोगी होते हैं। इस प्रकार के कार्य भारत की रुचि का है।
  • गैर-नवप्रवर्तकों की तुलना में नवप्रवर्तन आधारित व्यवसाय दोगुने रफ्तार से विकास करता है
    • एक बढ़िया उदाहरण है सरे विश्वविद्यालय का एक उपक्रम सरे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी लि.। यह अब एयरबस डिफेंस एंड स्पेस का अंग है और इसका टर्नओवर 10 करोड़ पाउंड से भी अधिक है ।

यूके साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क जिसने आज संगठित करने में सहायता की है – यहां बंगलोर में उप-उच्चायुक्त कार्यालय की हमारी समर्पित टीम है जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर ब्रिटेन और भारत के बीच हमारे द्वारा किए जा रहे कार्यों के साथ-साथ कर्नाटक सरकार के साथ हमारे संबंधों को मजबूत करना भी है।

हमारे दोनों देश अनेक क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और व्यवसायीकरण, शोध एवं विकास के मामले में अग्रणी होने की महत्वाकांक्षा रखते हैं।

आज हमारे साथ विख्यात विश्वविद्यालयों और संगठनों के प्रैद्योगिकियों और इनक्युबैटिंग तकनीक नव-उद्यमों के ब्रिटिश विशेषज्ञों का एक प्रतिनिधिमंडल है।

मुझे खुशी है कि आज कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इम्पीरियल कॉलेज लंदन, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, नेस्टा, एक्सिलेरेटर इंडिया, ब्रिटेन के लेडमैक के विशेषज्ञ हमारे साथ हैं।

रोजगार और समृद्धि के सृजन के लिए नवप्रवर्नशील उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के पास समान कार्यसूची है।

हम केवल आने वाले अच्छे दिनों की ही उम्मीद नहीं करते बल्कि हम साथ मिलकर विस्तार से काम करते हुए भारत और ब्रिटेन में इसे संभव बनाने की दिशा में अग्रसर हैं।

वृहत एवं मध्यम उद्योग तथा पर्यटन मामलों के माननीय मंत्री श्री आर वी देशपांडे के साथ मैं महसूस करता हूं कि चर्चा को प्रोत्साहित करने और उसके बाद उसे कार्यरूप देने के लिहाज से हम सुरक्षित हाथों में हैं क्योंकि उद्योग के साथ चुनौतियों का आमने-सामने सामना करने में उनका ट्रैक रिकॉर्ड बहुत मजबूत रहा है।

मंत्री महोदय ने पिछले महीने नई दिल्ली में यूके बिजनस कन्वेंशन को संबोधित किया और विभिन्न कंपनियों के वरिष्ठ सीईओ के साथ प्रत्यक्ष संपर्क बैठकों में भाग लिया।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री और ब्रिटेन के वाणिज्य एवं निवेश मंत्री लॉर्ड फ्रांसिस मॉड ने संयुक्त रूप से पिछले महीने बंगलोर में दस सालों में सबसे बड़े और अभूतपूर्व जीएसके फर्मास्युटिकल संयंत्र का उद्घाटन किया।

इससे पहले माननीय मंत्री महोदय ने अपने प्रयास में बंगलोर में कार्यरत आधे से अधिक ब्रिटिश कंपनियों की मेजबानी की जिसमें उन्होंने कर्नाटक में व्यवसाय करने की सहूलियत पर खुली चर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता की और उन कंपनियों का फॉलो अप लिया – हम अब भी उस कार्ययोजना पर काम कर रहे हैं।

पिछले साल तक हमारी चर्चाओं का एक परिणाम वह रिपोर्ट है जिसे हमने अभी तैयार किया है जिसमें माननीय मंत्री महोदय दवारा कर्नाटक में ईओडीबी की सफलता पर एक प्राक्कथन है और यह अधिक व्यवसाय के सृजन के लिए जिन क्षेत्रों में अभी भी काम किया जा रहा है उसके इर्द-गिर्द तक सीमित नहीं है।

यह स्थानीय रूप से एक जीवंत परिचर्चा है जिसमें ब्रिटेन भारत के प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर भी शामिल है खास कर हमारे बेटर रेग्युलेशन डेलिवरी ऑफिस के जरिए।

अगले महीने हम प्रधानमंत्री की ब्रिटेन यात्रा की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

लेकिन इससे पहले हम इस सम्मेलन को सफल बनाना चाहते हैं।

आपके विमर्शों के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

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प्रकाशित 14 अक्टूबर 2015