अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2014
शनिवार, 8 मार्च 2014 को नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त सर जेम्स बेवन केसीएमजी द्वारा दिए गए भाषण की लिखित प्रतिलिपि।
देवियो-सज्जनो, सम्मानित मेहमानो, मित्रो और सहकर्मियो!
मैं एक कथन से आरंभ करता हूं, जो मुझे मेरी बेटी ने कहा था:
“महिलाएं जो भी करें उन्हें दो बाद करना चाहिए, जिससे कि वे पुरुषों की तुलना में आधी अच्छी मानी जाएं। सौभाग्य से ऐसा करना कठिन नहीं है।” इसलिए यदि यह भाषण आज रात दूसरे भाषणों की तुलना में आधा ही अच्छा हो तो मैं आपसे पहले ही माफी मांग लेता हूं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए मायने रखता है। मैं तीन बेटियों का पिता हूं और मुझे कोई बेटा नहीं है..मैं इसे एक पल के लिए बदलूंगा भी नहीं। मेरी सबसे बड़ी बॉस एक महिला- माननीया महारानी एलिजाबेथ II हैं।
मेरे जीवन का अधिकतर हिस्सा विकासशील देशों में गुजरा है: और मैंने अपनी आंखों से देखा है कि विकास की यदि कोई जादुई छड़ी है, तो वे हैं दो शब्द: एजुकेट गर्ल।
मैं इस महान देश भारत से प्रेम करता हूं और मैं इसे 21वीं सदी में बढ़ता देखना चाहता हूं। मुझे भरोसा है कि यह ऐसा करेगा पर यह तभी संभव हो सकेगा, जब यह मेरे जैसे पुरुषों की आधी आबादी की बजाए अपनी संपूर्ण आबादी की प्रतिभाओं को बढ़ावा देगा।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ब्रिटिश सरकार के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिसका मैं प्रतिनिधित्व करता हूं। मेरी सरकार समानता तथा सभी के लिए समान अवसर में विश्वास रखती है, और इसे बढ़ावा देने के लिए अपने देश तथा विदेशों में जमकर मेहनत करती है।
यही कारण है कि मेरे प्रधानमंत्री, श्री डेविड कैमरून ने आज के अपने भाषण में जिक्र किया है, कि वर्ष 2014 में ब्रिटेन हिंसा और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को समाप्त करने के लिए अपने प्रयासों को दुगने स्तर तक बढ़ाएगा। हम ब्रिटेन में और दुनिया भर में, स्त्री जननांग विकृति और जबरन शादी के मुद्दे से लड़ने की अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए यह हासिल करेंगे।
ब्रिटेन के इंटरनैशनल डेवलपमेंट विभाग ने महिलाओं तथा लड़कियों को भारत में अपने प्रयासों के मध्य में रखा है।
अपने भारतीय सहयोगियों के साथ कईयों ने आज रात यहां प्रतिनिधित्व किया है, डीएफआइडी लाखों लड़कियों को माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने तथा वे वहां टिके रहें यह सुनिश्चित करने में मदद की है। हम महिलाओं को वित्त तथा कौशल सहायता प्रदान कर रहे हैं, जिनकी खुद की मदद के लिए उन्हें जरूरत है। हम महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए और अपनी इच्छा से शिशु जन्म के लिए मदद कर रहे हैं। हम बच्चों के स्वास्थ्य तथा पोषण को बढ़ावा दे रहे हैं। और साथ ही हम महिलाओं तथा लड़कियों के खिलाफ हिंसा कम करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
सबसे हाल में हमने एक नए मोबाइल ऐप- सेफ्टीपिन के निर्माण को बढ़ावा दिया है, जो प्रयोक्ता को किसी विशेष एरिया जैसे स्ट्रीट लाइटिंग, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, वहां चलना-फिरना कितना सुरक्षित है इत्यादि के सेफ्टी ऑडिट करने तथा परामर्श प्राप्त करने में मदद देगा। यह ऐप खासकर महिलाओं की मदद के लिए डिजाइन किया गया है। इसे देखें।
और आज की रात डीएफआइडी के सहयोग से हम महिलाओं के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण प्रयास आरंभ कर रहे हैं: आज रात से दूरदर्शन पर एक टीवी सीरियल- ‘मैं कुछ भी कर सकती हूं’ आरंभ होगा।
इसमें एक रोमांचक कहानी कही गई है, जो मुझे लगता है करोड़ों लोग पसंद करेंगे। बल्कि यह कुछ गंभीर संदेश भी देती है: जैसे लिंग चुनाव वाले अबॉर्शन व बाल विवाह के खतरों तथा परिवार नियोजन व जन्म के अंतरल के फायदों के बारे में।
आप सभी को यहां आने के लिए मेरा धन्यवाद और महिलाओं के मुद्दों को आगे बढ़ाने के आपके प्रयास के लिए भी धन्यवाद!
आज के इस समारोह से जुड़े सभी लोगों को मेरा धन्यवाद: विशेषकर हमारे मेजबान तथा ब्रिटिश काउंसिल, डीएफआइडी व पोपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के उनके सहयोगियों को।
मैं अपनी बात तीन और कथनों से समाप्त करना चाहूंगा, जो मुझे लगता है इस शाम के समारोह के लिए उपयुक्त होंगे।
पहला है अमेरिकी लेखक श्री एलिस वाकर का कथन: “लोग इसलिए अपनी शक्ति खो देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके पास कोई शक्ति ही नहीं है। यहां इस कक्ष में उपस्थित हम सभी में काफी शक्ति है, शायद उतनी जितनी हमें पता भी नहीं है। भारत और दुनिया भर की महिला में अपार शक्ति है। आइए हम सभी अपनी अधिकतम शक्ति का इस्तेमाल करते हैं।”
दूसरा कथन है: “नारीवाद यह क्रांतिकारी अवधारणा है कि महिला भी मनुष्य होती है।” मैं दुनिया से क्रांतिकारी बनने का अनुरोध करता हूं।
और मेरा आखिरी कथन वह है जो मुझे मेरी बेटी कभी-कभी मुझे कहती रहती है: ‘अच्छे व्यवहार वाली औरत कभी-कभार ही इतिहास रचती है,’ मैं आप सभी से बाहर आने और बुरे तरीके से बर्ताव करने को प्रोत्साहित करता हूं।