भाषण

'आइपी किसी भी सफल अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग है'

चेन्नई में आइपी स्मार्ट टूलकिट के शुभारंभ पर ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त भरत जोशी के द्वारा दिए गए भाषण की प्रतिलिपि, 20 अप्रैल 2016।

यह 2015 to 2016 Cameron Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था
Chennai

स्वप्ना आपका धन्यवाद। सबसे पहले मैं चेन्नई के आइपी डोम को बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने सफलतापूर्वक बौद्धिक संपदा का (आइपी) स्मार्ट टूलकिट विकसित किया। यह कम्पनियों, खासतौर से लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमइ) के लिए व्यावहारिक उपकरण है, जिससे भारत में सफलतापूर्वक आईपी की दिशा में नेविगेशन सुगम हो जाएगा। इस क्षेत्र में रुचि रखने वालों के लिए यह नि:शुल्क उपलब्ध होने वाला संसाधन है।

आइपी की भूमिका को निवेश का निर्णय लेने वाली कम्पनियों के लिए गुप्त और परिधीय मानकर और केवल आर्थिक विकास के लिए आकस्मिक मानकर खारिज करना काफी आसान है। लेकिन यह एक बहुत बड़ी भूल होगी। आइपी किसी भी सफल अर्थव्यवस्था में विकास का सारथी होने के नाते बेहद महत्वपूर्ण अंग है। यूके में आइपी अधिकारों जैसे पेटेंट, डिजाइन, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क में कुल निवेश भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4 प्रतिशत से भी ज्यादा है। 2011 में प्रत्यक्ष संपत्ति की अपेक्षा हमने तकरीबन आधे से ज्यादा खर्च आईपी सहित अप्रत्यक्ष संपत्ति में किया था- प्रत्यक्ष संपत्ति में 88 अरब पाउंड के मुकाबले अप्रत्यक्ष संपत्ति में 127 अरब पाउंड।

इसी कारण बौद्धिक संपदा बेहद महत्वपूर्ण है। बेहतरीन विचारों को अगर सही तरीके से सुरक्षित रखा जाए और असरदार तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो कम्पनियों को घरेलू और विदेशी दोनों बाजारों में सफलतापूर्क प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलती है। व्यापार का प्रदर्शन भी बेहतर होता है, विकास तेजी से होता है और लचीलापन भी आ जाता है।

यूके के पास कुछ खास है बताने के लिए। 2013 में टेलर वेसिंग ग्लोबल आइपी इंडेक्स के निर्णय के अनुसार यूके बौद्धिक संपदा के अधिकारों को प्राप्त करने, उपयोग में लाने और लागू करने के लिए सबसे उत्त्म स्थान है। यह विश्वास यूके की कुछ वैश्विक स्तर की कम्पनियों की सफलता का सबसे मौलिक हिस्सा है।

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का एक सक्रिय सदस्य होने के नाते भारत में बौद्धिक संपदा का एक ढांचा और उसे लागू करने का एक तंत्र भी है। मौजूदा सरकार ने पिछले बजट में आइपी की महत्ता को पहचाना है। लेकिन क्योंकि आइपी विशिष्ट रूप से अधिकार क्षेत्र के भीतर आता है इसलिए यूके की कम्पनियां भारत में व्यापार करते वक्त अपने आइपी को सुरक्षित रखने, मौद्रीकरण करने और लागू करने के विषय में अक्सर चिंतित रहती हैं जिसकी वजह से उन्हें अपने आइपी संबंधित संपत्तियों को भारत लाने में काफी घबराहट हो सकती है।

आइपी डोम द्वारा बनाया गया ‘आइपी स्मार्ट टूलकिट’ भारत में व्यापार करते समय देश में किसी भी नए व्यापारी को होने वाली व्यावहारिक आइपी समस्याओं के विषय में चर्चा करता है, जिसमें शामिल है स्थानीय साझेदारी, आइपी को कब और कैसे भारत लाना है, इसकी गोपनीयता बनाए रखना, प्रौद्योगिकी का हस्तांतारण और अन्य मुख्य चिंताओं के विषय में आगे दिन में जानकारी दी जाएगी।

हम इस टूलकिट के विकास की प्रक्रिया को समर्थन देकर खुश हैं और भारत में आइपी लाने संबंधी चिंताओं को दूर करने ओ लेकर आशान्वित हैं।

मैं इस मौके पर दिल्ली स्थित यूके की बौद्धिक संपदा के कार्यालय की प्रतिनिधि अंशिका झा से मिलवाना चाहता हूं। अगर आपके पास आईपी कानून से संबंधित प्रश्न है या फिर भारत में इसे लागू करने या नीति के विषय में कोई भी जानकारी चाहिए तो कृपया उनसे संपर्क कर सकते हैं।

अब समाप्ति से पहले मैं भारत में आसीटी इनोवेशन को समर्थन देने वाले यूके के रोमांचक व्यापार और निवेश (यूकेटीआइ) के पहल के विषय में कुछ बताना चाहता हूं, जिसपर दोनों देश भरोसा करते हैं। वर्ष 2016-17 के ग्रेट (जीआरइएटी) टेक रॉकेटशिप पुरस्कार के लिए तेजी से बढ़ती उन भारतीय प्रौद्योगिकी कम्पनियों को चुना जाएगा जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बाजार में उच्च अवसरों वाले उत्पाद और सेवाएं प्रदान करती हैं। यूके सहयोगियों, निवेशकों और सलाहकारों की भागीदारी के लिए टेक रॉकेतशिप अवार्ड्स पर लॉग ऑन कर सकते हैं या यहां उपस्थित मेरे सहयोगियों से संपर्क कर सकते हैं।

आपके बहमूल्य समय के लिए धन्यवाद और मुझे उम्मीद है कि आप शेष कार्यक्रम का आनंद लेंगे।

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प्रकाशित 20 अप्रैल 2016