'ब्रिटेन तथा भारत के बीच के गहन संबंधों के लिए अब नए द्वार खुल गए हैं'
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की डायस्पोरा चैम्पियन - गुजरात चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स की एमपी प्रीति पटेल द्वारा 7 जनवरी 2015 को अहमदाबाद में दिए भाषण की लिखित प्रतिलिपि।
सुश्री पटेल ने कहा:
माननीय श्री राकेश भाई गुजरात चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के विशिष्ट अध्यक्ष, माननीय संरक्षक, बोर्ड के सदस्य, पदाधिकारी, माननीय उद्योगपति तथा मीडिया के सदस्यो।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री श्री डेविड कैमरून तथा यूके के मेरे सहकर्मियों की ओर से मेरा विनम्र सम्मान और नमस्कार!
मेरा जितना हार्दिक स्वागत आज किया गया उसके लिए धन्यवाद! आज आपके साथ आकर अपने आने वाले भविष्य को साझा करने के बारे में बोलना एक व्यक्तिगत सौभाग्य है।
यूके तथा गुजरात साथ मिलकर बहुत बड़ी चीजें कर सकते हैं।
ब्रिटिश सरकार में मेरे पास दो आधिकारिक नौकरियां हैं। मैं ट्रेजरी की एक्सचेकर सेक्रेटरी हूं और चांसलर ऑफ एक्सचेकर के साथ काम कर रही हूं। आपके काबिलेतारीफ वित्त मंत्री श्री जेटली और उनकी टीम की तरह ही ट्रेजरी में हमारी टीम का काम भी यूके में एक समृद्ध, डाइनेमिक तथा प्रतियोगी अर्थव्यवस्था का सृजन करना है। एक सफल अर्थव्यवस्था तथा व्यावसायिक माहौल किसी भी देश की बेहतरी की आत्मा होती है।
मैं यूके में प्रधानमंत्री की इंडियन डायस्पोरा समुदाय की चैम्पियन भी हूं और विकास तथा समृद्धि लाने में मैंने पहली नजर में व्यापार तथा वाणिज्य की अहमियत देखी है।
हमारी अर्थव्यवस्था में उद्यमिता, व्यवसाय विकास तथा रोजगार के लिहाज से मुझे ब्रिटिश भारतीय समुदाय की अहम भूमिका के बारे में पता है।
और मैंने देखा हमारे समुदाय तथा हमारे देश कैसे हमारे पारस्परिक लाभ के लिए साथ मिलकर काम कर सकते हैं।
भारतीय डायस्पोरा समुदाय भारत तथा यूके के बीच के गहरे तथा परिपक्व संबंध में एक मजबूत कड़ी है।
यूके में तीसरा भारतीय डायस्पोरा गौरवशाली गुजरातियों का है।
व्यापार तथा उद्यमिता में गुजरातियों का जज्बा देखकर मुझे गर्व होता है कि यहां भारत तथा यूके में यह पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है।
ब्रिटेन में जन्मे एक गुजराती के रूप में मुझे गुजरातियों के विशाल तथा शानदार इतिहास की जानकारी है। मुझे व्यापार, वाणिज्य तथा उद्योग में एक लीडर के रूप में लंबे समय से बने गुजरातियों के स्थान के बारे में भी पता है। एक प्रमुख समुद्री बंदरगाह और मनका के व्यापार केंद्र, विश्व प्रसिद्ध हीरे तथा रत्नों तथा साथ ही एक अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के रूप में, गुजरात भारत का द्वार भी बन गया है।
हाल ही में गुजरात ने प्रसिद्ध हस्तियां दीं हैं, जैसे जमशेद जी टाटा, विक्रम साराभाई तथा कस्तूरभाई लालभाई- जिन्होंने गुजरात चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की 1949 में सह-स्थापना की थी और निश्चित रूप से नरेंद्र भाई।
वर्ष 2014 भारत के लिए एक अभूतपूर्व वर्ष रहा- ऐसा वर्ष जिसमें एक अन्य महान गुजराती के प्रधानमंत्री बनने से दुनिया में भारत का कद मजबूत हुआ। यूके तथा भारत के बीच गहन संबंधों के लिए अब नए अवसरों का द्वार खुल गया है।
जैसे प्रधानमंत्री मोदी अपने देश के भविष्य के लिए महत्वाकांक्षी हैं, हम भी भारत तथा ब्रिटेन के संबंध के लिए उतने ही महत्वाकांक्षी हैं।
भारत के भविष्य के लिए उनका जो जज्बा है वह संयुक्त संबंध के लिए हमारे जज्बे में परिलक्षित होता है।
पिछले वर्ष हमने अपने दोनों राष्ट्रों के बीच के संबंध में गहराई लाने की दिशा में वास्तव में कुछ महत्वपूर्ण कदम देखे।
चुनावों के महज कुछ ही हफ्तों के बाद ब्रिटिश चांसलर तथा विदेश सचिव नई दिल्ली पहुंचे। उस यात्रा के अंग के रूप में हमारे चांसलर तथा भारतीय वित्त मंत्री इंडिया-यूके फाइनेंशियल पार्टनर्शिप आरंभ करने के लिए तैयार हुए, जो लंदन तथा मुम्बई के हमारे वित्तीय राजधानियों को और पास लाने, खासकर वित्तीय सेवाओं के संदर्भ में एक अहम सहयोग था।
मैं उस प्रतिनिधिमंडल का अंग थी और हम सभी में आत्मविश्वास तथा रोमांच का एक नया एहसास महसूस हुआ था।
हम सभी यहां संसद में सरकार के पहले बजट आने से पहले के दिनों में भी आए थे।
उस पहले बजट से लेकर आज तक हमने भारत की अर्थव्यवस्था में एक विस्तार देखा, विदेशों में अधिक से अधिक निवेश की इच्छा देखी तथा विकास समर्थक सरकारी संशोधनों को देखा।
आप एक अन्य आर्थिक रूपांतरण के कगार पर हैं और यूके आपके कंधे से कंधा मिलकर इस यात्रा में आपका साथ देगा।
हम एक व्यापक तथा महत्वाकांक्षी ईयू-इंडिया व्यापार तथा निवेश समझौते के आह्वान की एक मजबूत वाणी बने रहेंगे , जो दोनों ओर के व्यापार तथा निवेश अवसरों को बढ़ाएगा।
यह कोई कोई संयोग नहीं है कि ऑफशोर रुपीज मार्केट में लॉन्गेस्ट-डेटेड बॉण्ड पिछले नवम्बर में लंदन स्टॉक एक्सचेंज में जारी किया गया था और मुझे यह लॉन्च करने में काफी गर्व हुआ था। यह एक अभूतपूर्व क्षण था और एक ऐसा क्षण जिसपर गर्व होना चाहिए।
खासकर भारत तथा गुजरात यूके के दीर्घकालिक व्यापार सहयोगी रहे हैं। हम जिस वैश्वीकृत दुनिया में जीते हैं उसके लिए ये कड़ियां काफी अहम हैं।
यूके भारत में निवेश करने वाला सबसे बड़ा जी20 देश है। भारत समूचे ईयू में जितना निवेश करता है उससे कहीं अधिक अकेले ब्रिटेन में करता है, जिसके तहत यूके में 700 भारतीय स्वामित्व वाले व्यवसायों में 100,000 से अधिक लोग काम करते हैं। और हमारे प्रधानमंत्री इस व्यापार को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2009 से भारत के साथ व्यापार में वृद्धि होकर यह £11 अरब से वर्ष 2013 में £16.4 अरब पर जा पहुंचा।
मेरे कार्यक्रम में मैं लंदन के बाहर यात्रा करने के हरेक अवसर को महत्व देती हूं। वह संदेश जो लगातार प्रतिबिंबित होता है, वह है यूके में भारत के साथ और खासकर गुजरात के साथ व्यापार, निवेश तथा अनुसंधान जुड़ावों के लिए उत्साह।
यह न केवल घर-घर में प्रचलित नाम के साथ है, जैसे कि शेल, बीपी, बॉम्बार्डियर तथा जेसीबी, बल्कि एसएमई सेक्टर में भी है।
तो हम कैसे अधिक कर सकते हैं?
सबसे पहले मेरा गहन विश्वास है चैम्बर ऑफ कॉमर्स का इस द्विपक्षीय संबंध के विकास में एक अहम योगदान है और हम ऐसा करने में आपकी मदद और समर्थन करेंगे।
इसलिए इसे और आगे बढ़ाने के लिए मैं राकेश भाई को यूके में एक कारोबार प्रतिनिमंडल ले कर आने के लिए आमंत्रित करना चाहूंगी।
मुझे पता है मेरे सहकर्मी- प्रोफेसर पुरुजी तथा उदय भाई इस मिशन में मदद देंगे क्योंकि अतीत में उन्होंने अच्छा काम किया है। उनके कामों के लिए मैं उनका धन्यवाद करना चाहूंगी और आप सभी को लंदन आमंत्रित करना मेरे लिए हर्ष का विषय होगा।
दूसरा, अधिक द्विपक्षीय व्यापार तथा निवेश को बढ़ावा देने के लिए हम भारत में अपनी कूटनीतिक मौजूदगी का विस्तार कर रहे हैं।
यद्यपि हमारे पास भारत में किसी भी विदेशी राष्ट्र की तुलना में सबसे बड़ी भौगोलिक उपस्थिति है, हम और अधिक कर सकते हैं।
इसलिए मई 2012 से हमने अपने हैदराबाद तथा चंडीगढ़ के व्यापार केन्द्रों को उन्नत कर उप-उच्चायोग में बदल दिया है। और मैं इसकी पुष्टि कर सकती हूं कि अहमदाबाद में भी हमारी यही आकांक्षा है।
खासकर हम भारत को यूके एसएमई के होने वाले निर्यात को बढ़ाने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। नवम्बर 2012 में पीएम ने £8m का एक नया कार्यक्रम आरंभ किया जो यूके का विदेशों में चलने वाले व्यवसायों को मजबूत करता है, जिससे ग्लोबल ब्रिटिश बिजनेस नेटवर्क का सृजन होता है।
तीसरा, हम ‘मृदु शक्ति’ को एकत्र कर रहे हैं।
भारतीय डायस्पोरा समुदाय न केवल यूके की एक महान धरोहर है। बल्कि यह एक महान जरिया भी है जिसके माध्यम से हम व्यापार तथा प्रभाव को बढ़ावा दे सकते हैं।
पीएम द्वारा डायस्पोरा चैम्पियन की भूमिका उस महत्व का परिचायक है जो यूके अपने भारतीय समुदाय को देता है। और इसमें भूमिका निभाना गर्व की बात है।
इस भूमिका का एक अहम हिस्सा रहा है समुदायों का उत्साहवर्धन करना और भारत के साथ और गहराई के साथ जुड़ने की उनकी इच्छा का इस्तेमाल करना।
न केवल गुजरात, बल्कि पंजाब, राजस्थान, बंगाल, दक्षिण भारत, यानी जहां कहीं भी इतिहास, व्यवसाय, सांस्कृतिक तथा पारिवारिक जुड़ाव है।
यहां खासकर मिशनों तथा दौरों का आयोजन कर गुजरात चैम्बर एक अहम भूमिका निभा सकता है, जिसमें वे महिला उद्यमिता तथा सामाजिक उपक्रमों की सर्वोत्तम पद्धतियों को साझा करना भी शामिल कर सकते हैं।
और चौथा, हम व्यापार तथा निवेश के बाहर के क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार कर रहे हैं- इसलिए हम लोगों का लोगों से जुड़ावों को भी मजबूत कर सकते हैं।
शिक्षा में हमने पिछले पांच वर्षों में भारत के 100,000 छात्रों का स्वागत किया है। हम अगले पांच वर्षों में 25,000 ब्रिटिश छात्रों को भारत भेजेंगे, ताकि वे भारत के साथ अपने खुद के रिश्ते भी मजबूत बना सकें। हम कई मिलियन पाउंड के विज्ञान तथा अनुसंधान परियोजनाओं पर सहयोग स्थापित कर रहे हैं, जिनमें हरित विकास भी शामिल है, जहां गुजरात तथा ब्रिटेन सबसे आगे हैं। और हमने भारतीय छात्रों के लिए शेवनिंग स्कॉलरशिप की फंडिंग को चौगुना कर दिया है।
लेस्टर विश्वविद्यालय यहां की गुजरात पुलिस के साथ डीएनए फिंगर प्रिंटर पर मिलकर काम कर रहा है। और गिर सिंह अभयारण्य टाइक्रॉस जू तथा नॉटिंगम विश्वविद्यालय के साथ अपना रिश्ता विकसित कर रहा है।
हम ऐसी परियोजनाओं को वास्तविक महत्व देते हैं, क्योंकि दो राष्ट्रों के बीच एक स्वस्थ तथा परिपक्व रिश्ता सांस्कृतिक तथा आर्थिक होता है।
कल मैं गांधी आश्रम की यात्रा करूंगी, जो महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से भारत वापसी का एक सौवां दिन होगा।
और इस वर्ष यूके पार्लियामेंट स्क्वेयर में उनकी प्रतिमा का अनावरण कर उन्हें सम्मानित करेगा। यह नया स्मारक ब्रिटेन में उनकी स्मृति के लिए एक चिरकालिक तथा उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी तथा हमारे तथा भारत के बीच मित्रता के लिए एक स्थाई स्मारक होगा।
हमारे दोनों देश- यूके तथा भारत के पास एक-दूसरे को देने के लिए बहुत कुछ है।
और यूके तथा गुजरात के बीच के रिश्ते की गहराई खास तौर से विशेष महत्व का है।
गुजरात चैम्बर का लक्ष्य है “ गुजरात के वाणिज्य तथा उद्योग को संवारना…सुगम बनाना…रूपांतरित करना।”
हम चिरकालिक समृद्धि कैसे लाते हैं, उसके लिए यह जरूरी है।
और आप जब उस यात्रा पर अग्रसर होंगे हम आपके सहयोगी बनेंगे। हम कंधे से कंधा मिलाकर आपके साथ खड़े होंगे। भारत की बात आती है तो हमारी प्रतिबद्धता अभूतपूर्व होती है। पर और भी बहुत कुछ हम कर सकते हैं।
धन्यवाद और आप सभी को शुभकामनाएं!