प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद प्रधानमंत्री श्रीमती थेरेसा मे का बयान: 7 नवम्बर 2016
भारत में अपने व्यापारिक शिष्टमंडल और द्विपक्षीय वार्ता के तहत थेरेसा मे ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक प्रेस सम्मेलन आयोजित किया।
दिल्ली में आज मेरा स्वागत करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद।
यूरोप के बाहर अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा पर मैं भारत आने की इच्छुक थी, क्योंकि यह संबंध मेरे लिए पहले से भी अधिक मायने रखता है।
भारत विश्व में एक प्रमुख शक्ति है- सबसे बड़ा लोकतंत्र, सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था, संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में दूसरा सबसे बड़ा सहयोगी है।
एक ऐसा देश जिसे हम संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में एक स्थायी पद पर देखना चाहेंगे।
और यह ब्रिटेन का एक स्वाभाविक साझेदार है।
हम भारत के साथ अपनी साझा समृद्धि, अपने साझा सुरक्षा की वजह से और विश्व में अच्छाई के लिए प्रयास करते ताकत के रूप में कार्य करना चाहते हैं।
आज, प्रधानमंत्री मोदी और मैंने मिलकर चर्चा की है कि किस तरह हम हर क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत कर सकते हैं।
साझा समृद्धि
सबसे पहले, हमारी साझा समृद्धि
एक नेता के रूप में हम अपने नागरिकों की आजीविकाओं को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं- जिसके लिए हम रोजगार निर्माण, कुशलताओं का विकास, बुनियादी ढांचे में निवेश और भविष्य की प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहायता देते हैं। इसी से ब्रिटेन के व्यापारियों और निवेशकों के लिए भारत में अवसरों का निर्माण होता है। और यही विपरीत क्रम में भी होता है।
अब स्मार्ट शहरों की परिकल्पना को ही ले लें-आज हम एक नई साझेदारी पर सहमत हुए हैं जिससे सरकार, निवेशक और विशेषज्ञ शहरी विकास की ओर साथ मिलकर कार्य करने के लिए एकजुट होंगे, जिससे ब्रिटिश व्यापारियों के लिए अगले पांच वर्षों के लिए दो बिलियन पाउंड के अवसर खुल जाएंगे।
इसके तहत मध्यप्रदेश जैसे गतिशील राज्य पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा-साथ ही किसी भी अन्य जगह की अपेक्षा और अधिक स्मार्ट शहर बनाने की योजना है- और साथ ही शामिल होगा ऐतिहासिक शहर वाराणसी।
अब भारत की मूलभूत संरचनाओं में लगने वाली पूंजी की ही बात करें तो जुलाई में पहले मसाला बॉन्ड जारी होने के बाद से अब तक 900 मिलियन पाउंड के मूल्य के रुपया-नामित बॉन्ड जारी हो चुके हैं।
और हमें अगले तीन महीनों में 600 मिलियन पाउंड के मूल्य के चार बॉन्ड जारी होने की उम्मीद है।
यह भारत की विकास गाथा में विश्वास मत की तरह है। और यह लंदन के विश्व के प्रमुख वित्तीय केंद्र के रूप में भी विश्वास मत की तरह है।
इसके साथ-साथ, ब्रिटेन एक संयुक्त कोष में 120 मिलियन पाउंड के निवेश पर सहमत हुआ है जिससे लंदन शहर से निजी क्षेत्र से निवेश के द्वार भारत के बुनियादी ढांचे को वित्तीय सहायता देने की ओर खुल जाएंगे।
इसलिए दोनों देशों के पास व्यावसायिक अवसरों को विस्तारित करने की विशाल संभावनाएं हैं। केवल अकेले इसी यात्रा पर एक बिलियन पाउंड के व्यापारिक सौदों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
लेकिन हम इससे अधिक बहुत कुछ कर सकते हैं।
व्यापार और निर्यात
हम दोनों ही मुक्त व्यापार के कट्टर समर्थक हैं। हम दोनों ही महान निर्यातक राष्ट्र बनना चाहते हैं।
और इसलिए हमें व्यापार और निवेश की राह की बाधाओं को तोड़ने के लिए लंबी दौड़ में साथ मिलकर कार्य करना चाहिए।
आज यहां हम बौद्धिक संपदा अधिकार के संरक्षण और प्रवर्तन को मजबूत बनाने के लिए सहयोग के नए कार्यक्रमों पर सहमत हुए हैं, जो व्यापार के लिए अधिक निश्चितता प्रदान करता है।
और ब्रिटेन विनियमन में ढील देगा और कर जैसे मुद्दों पर अपनी तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करेगा ताकि भारत में व्यापार करना और आसान हो सके।
वीजा
हम आधिकारिक स्तर पर सुगठित वार्ता को बहाल करने पर सहमत हुए हैं, ताकि यह जान सकें कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने से पहले व्यापार में बाधाओं को हटाने के लिए वर्तमान में और क्या कर सकते हैं। और यही आगे चलकर ब्रिटेन के अलग होने के बाद एक गहरे व्यापार और निवेश संबंध की राह प्रशस्त करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी और मैंने ब्रिटेन आने वाले भारतीय यात्रियों की व्यापारिक यात्रा को सुधारने के मुद्दे पर भी चर्चा की। यूके अनेक भारतीयों को सीमा पर बिना तकलीफ के और तेजी से निकासी की सुविधा प्रदान कर भारत को अपने पंजीकृत यात्रियों की योजना तक आसानी से पहुंचने वाला पहला वीजा राष्ट्र बनाएगा।
और हमने ‘ग्रेट क्लब’ के लिए प्रमुख व्यापारिक अधिकारियों को चयनित करने वाला पहला राष्ट्र बनने के लिए विश्व भर में से भारत सरकार को आमंत्रित किया है।
हम वीजा, वापसी और संगठित अपराध जैसे गृह मंत्रालय के मामलों पर रणनीतिक बातचीत स्थापित करने पर सहमत हुए हैं।
इसके तहत, ब्रिटेन अपने वीजा के ऑफर में आगे और सुधार करेगा अगर उसी समय हम ब्रिटेन में बिना किसी अधिकार के रहने वाले भारतीयों के लौटने की प्रक्रिया अधिक तेज और अधिक मात्रा में करने का कदम उठा सकें।
और ब्रिटेन सबसे प्रतिभावान और सर्वश्रेष्ठ भारतीय विद्यार्थियों को आमंत्रित करना जारी रखेगा। ताजा आंकड़ों के मुताबिक हर 10 में नौ आवेदन पत्रों को स्वीकार कर लिया जाता है।
सुरक्षा
अब सुरक्षा के मुद्दे की ओर रुख करते हैं।
पिछले वर्ष, हम एक महत्वाकांक्षी रक्षा एवं अंतराष्ट्रीय सुरक्षा साझेदारी को स्थापित करने पर सहमत हुए।
हम इस प्रतिबद्धता पर अडिग हैं। लेकिन अब हमें राजनीतिक इच्छाशक्ति को नतीजों में परिवर्तित करने की आवश्यकता है। ब्रिटेन प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और अन्य बाजारों में अपने रक्षा उपकरणों के साझा प्रचार के साथ ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए भारत की रक्षा क्षमताओं को सहायता देने के लिए तैयार है।
अगले हफ्ते शीर्ष रक्षा अधिकारी दिल्ली में मुलाकात करेंगे। हमने उन पर सैन्य प्रशिक्षण में प्रगति, प्रौद्योगिकी और उपकरण में सहयोग और नई क्षमताओं पर संयुक्त शोध का कार्यभार सौंपा हैं।
हम नए और उभरते खतरों के लिए प्रतिक्रिया में एक दूसरे की सहायता करने की ओर भी प्रतिबद्ध हैं।
अब जब दोनों देश डिजिटल नवाचारों में सबसे आगे हैं, हम दोनों ही अपनी अर्थव्यवस्थाओं को प्रौद्योगिकी द्वारा प्रदान किए जाने वाले अवसरों से अवगत हैं, लेकिन इसके खतरे भी हो सकते हैं।
ब्रिटेन और भारत दोनों ही अन्य देशों, आंतकवादियों और साइबरस्पेस में सक्रिय अपराधियों द्वारा साइबर हमले के बढ़ते खतरों का सामना कर रहे हैं।
हम पहले से ही साइबर अपराधों के साझा खतरों से निपटने की ओर संयुक्त स्तर पर प्रयास कर रहे हैं।
और आज, प्रधानमंत्री मोदी और मैं दोनों देशों के बीच एक साइबर ढांचे पर बातचीत कर स्थापित करने की ओर सहयोग पर सहमत हुए हैं, जिससे हमारी साझा साइबर सुरक्षा बेहतर होगी, मुक्त और सुरक्षित साइबरस्पेस को बढ़ावा मिलेगा और ब्रिटेन के उद्योगों के लिए व्यावसायिक अवसरों के द्वार खुल जाएंगे।
अंतत: हम दोनों ही साझा रूप से आंतकवाद का सामना कर रहे हैं-व्यक्तिगत देशों के तौर पर, सहयोगियों के तौर पर और नियमों पर आधारित प्रणाली की नींव पर बसे स्थाई विश्व में रुचि रखने वाले वैश्विक ताकतों के तौर पर।
आज हम अपने सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हुए हैं, खासतौर से हिंसक उग्रवादियों द्वारा इंटरनेट के उपयोग से निपटने और ऑनलाइन भर्ती कर आतंकवाद की ओर नियुक्तियां कम करने की ओर साझा रूप से प्रयासरत हैं।
निष्कर्ष
ये काफी अच्छी और रचनात्मक बातचीत रही है।
जैसा मैंने आज सुबह कहा, जब भारत और युनाइटेड किंग्डम जैसे दो देशों के बीच दीर्घकालिक संबंध रहे हों, ऐसा संभव है कि कभी हम आपसी कड़ी नजरअंदाज कर दें।
मैं ऐसा नहीं करना चाहती। मैं एक मजबूत, रणनीतिक साझेदारी के लिए भविष्य और असीमित संभावनाओं की ओर देखना चाहती हूं।
ब्रिटेन और भारत दोनों देशों का महत्वाकांक्षी, आत्मविश्वासी, वैश्विक नजरिया है।
अब जब यूके यूरोपीय संघ से अलग होने जा रहा है और विश्व में भारत की कीर्ति बढ़ती जा रही है, हमें भविष्य की संभावनाओं का लाभ उठाना चाहिए।
हम अपने लोगों के बीच मजबूत संबंधों के जरिए यह हासिल कर पाएंगे, साथ ही ब्रिटेन और भारतीय व्यापारियों के साथ मिलकर काम करने के जरिए और उससे भी महत्वपूर्ण कारण यह है कि प्रधानमंत्री मोदी और मैं दोनों ही इस संबंध में निवेश करने और इस परिकल्पना को सार्थक करने की ओर व्यक्तिगत रूप से प्रतिबद्ध हैं।
मैं दोनों देशों के लाभ के लिए एक विशिष्ट मैत्री संबंध बनाने और साथ कार्य करने की ओर आशान्वित हूं।
हमारे साझा संबंध और साझा मूल्य इस साझेदारी को स्वाभाविक बनाते हैं, लेकिन हमारा साझा भविष्य ही हमें और करीब लाएगा।
प्रधानमंत्री की भारत यात्रा की नवीनतम जानकारी।