भाषण

प्रधानमंत्री रिपब्लिकन पार्टी सम्मलेन 2017 में भाषण

प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने रिपब्लिकन पार्टी को संबोधित किया और ब्रिटेन तथा अमेरिका के विशेष संबंधों पर भाषण दिया।

यह 2016 to 2019 May Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था
PM May in Philadelphia

Prime Minister’s speech to the Republican Party conference

इस शानदार स्वागत के लिए आपका बेहद शुक्रिया।

बहुमत नेता मैककॉनेल, श्रीमान अध्यक्ष, सीनेट के गणमान्य सदस्यगण तथा सदन के प्रतिनिधिगण।

यहां उपस्थित होने के लिए आमंत्रण हेतु मैं कांग्रेस तथा कांग्रेस-संबद्ध संस्थान के प्रति आभार व्यक्त करना चाहूंगी। यूनाइटेड स्टेट्स की यात्रा का अवसर हमेशा विशिष्ट होता है। और इस महत्वपूर्ण सम्मेलन को संबोधित करने के लिए प्रथम सेवा प्रमुख होने के नाते मुझे आमंत्रित करना वस्तुतः एक सम्मान का अवसर है।

मैं चुनौती देती हूं कि कोई भी व्यक्ति कभी भी इस महान राष्ट्र की यात्रा करे और इसके वायदों और मिसालों से प्रभावित न हो पाए।

दो शताब्दियों से अधिक समय से, अमेरिका के मूल विचार, जो इतिहास से लिया गया और जिसे एक छोटे से हॉल में, जो इस हॉल से कोई ज्यादा बड़ा नहीं था, लिखित स्वरूप प्रदान किया गया, ने विश्व को प्रकाशित किया है।

वह विचार- कि सभी समान बनाए गए हैं और सभी स्वतंत्र पैदा हुए हैं- राजनैतिक विचारों के इतने लंबे इतिहास में हमेशा महत्वपूर्ण बना रहा।

और यह यहां घटित हुआ- इस महान शहर फिलाडेल्फिया के चौराहों पर और हॉलों में- कि स्थापक पूर्वजों ने प्रथमतः इसे स्थापित किया, कि स्वतंत्रता की पाठ्यपुस्तकों में लिखा गया, और कि ‘सागर से उज्ज्वल सागर तक’ विकसित यह महान राष्ट्र पैदा हुआ।

उस दिन से लेकर, यह अमेरिका का भाग्य है कि वह मुक्त विश्व के नेतृत्व का वहन करे और अपने कंधों पर यह महान दायित्व उठाए। किंतु मेरा देश, ग्रेट ब्रिटेन का यूनाइटेड किंगडम और उत्तरी आयरलैंड, गौरवान्वित है कि इसे इस भार को उठाने और विभिन्न चरणों में कदम से कदम मिलाकर चलने का अवसर मिला है।

विगत शताब्दी में, ब्रिटेन और अमेरिका- तथा हम दोनों राष्ट्रों के बीच का वह अनोखा और विशेष रिश्ता जो- उन “56 रैंक एंड फाइल, सामान्य नागरिक”, जैसा कि राष्ट्रपति रीगन उन्हें कहा करते थे, से प्राप्त है, आगे बढ़ा है। और चूंकि हमने ऐसा किया है, समय और हमारे बीच के इस रिश्ते ने फिर से आधुनिक विश्व को पारिभाषित किया है।

सौ वर्ष पहले इस अप्रैल में, प्रथम विश्वयुद्ध में आपके हस्तक्षेप से ब्रिटेन, फ्रांस, राष्ट्रमंडल के हमारे मित्रों तथा अन्य सहयोगी पक्षों को यूरोप की स्वतंत्रता कायम रखने में सहायता मिली थी।

75 वर्षों से कुछ पहले, आपने द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटेन के साथ शामिल होते हुए पर्ल हार्बर पर जापानी हमले का जबाव दिया था और न केवल प्रशांत बल्कि अफ्रीका और यूरोप में भी फासिज्म को पराजित किया था।

और बाद में, इन युद्धों के बाद की अवधि में, हम दोनों राष्ट्रों ने शीतयुद्ध, कम्यूनिज्म से मुकाबला करने और इसे, न केवल सैन्य रूप से, बल्कि वैचारिक स्तर पर विजय प्राप्त कर भी, पूर्णतः पराजित करने में पश्चिम का नेतृत्व किया। और सिद्ध किया कि मुक्त, उदार और लोकतांत्रिक समाज हमेशा उन्हें पराजित करते हैं जो बंद, संकुचित और निर्दयी हैं।

किंतु हमारे दोनों देशों के नेतृत्व ने अपने विशेष रिश्तों के माध्यम से युद्ध जीतने से ज्यादा किया और विपरीत स्थितियों पर विजय हासिल की। और इससे आधुनिक विश्व का निर्माण हुआ।

वे संस्थान जिनपर हमारा विश्व निर्भर करता है, इसीलिए हमारे दोनों राष्ट्रों के साझा कार्यों से अक्सर प्रेरित और अनुप्राणित हुए हैं।

संयुक्त राष्ट्रसंघ- जिसमें सुधार की आवश्यकता है, किंतु जो अब भी काफी महत्वपूर्ण है- की जड़ें इसी विशेष रिश्ते में निहित हैं, सेंट जेम्स पैलेस के मूल घोषणापत्र से लेकर संयुक्त राष्ट्रसंघ घोषणापत्र तक, जिसे वाशिंगटन में हस्ताक्षरित किया गया, तथा विंस्टन चर्चिल और राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट द्वारा तैयार किया गया।

विश्व बैंक तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्वयुद्ध पश्चात ब्रेटन वुड्स में जिनका जन्म, हमारे दोनों देशों के साझा कार्यों से प्रेरित रहा है।

और नाटो- जो पश्चिम की रक्षा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है- हमारे बीच मौजूद विश्वास और साझा हितों के गठबंधन के आधार पर स्थापित हुआ है।

इनमें से कुछ संस्थाओं के सुधार और पुनर्नवीकरण की आवश्यकता है ताकि ये हमारी वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप हो सकें। लेकिन हमें अपने दोनों राष्ट्रों की उस भूमिका पर गर्व होना चाहिए- जो साझे तौर पर कार्य करते हुए- इन्होंने इनके अस्तित्व में लाने के लिए निभाई है, तथा जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोगों के जीवन में शांति और समृद्धि लाने के लिए निभाई है।

चूंकि कई वर्षों तक हमने साथ काम करते हुए शत्रुओं को पराजित किया है या विश्वको मुक्त किया है, अतः हम उन वायदों को पूरा करने में सक्षम रहे हैं जो हमारे विशेष रिश्तों की प्रकृति के अनुसार किए गए हैं। स्वतंत्रता, स्वाधीनता और मानव के अधिकारों का वायदा।

चर्चिल ने कहा था, “हम कभी रुकेंगे नहीं स्वतंत्रता के महान सिद्धांत तथा मानव के अधिकारों की भयमुक्त उद्घोषणा करने में, जो अंग्रेजी-भाषी विश्व की साझा विरासत है तथा जो इसे मैग्ना कार्टा, अधिकार पत्र, हैबस कार्पस, न्यायपीठ द्वारा विचारण, तथा इंग्लिश लोक-विधि द्वारा प्राप्त है, जिसे स्वाधीनता के अमेरिकी घोषणापत्र के माध्यम से सबसे प्रसिद्ध अभिव्यक्ति मिली”। इसलिए यह मेरा सौभाग्य और सम्मान है कि मैं आज आपके समक्ष फिलाडेल्फिया के इस महान शहर में, पुनः उन्हें उद्घोषित करने के लिए, एक बार फिर से नेतृत्व का यह आवरण उठाकर साथ हाथ मिलाने के लिए, हमारे विशेष संबंधों को फिर से नया करने के लिए और आधुनिक विश्व में नेतृत्व के उत्तरदायित्व हेतु पुनः स्वयं को प्रतिबद्ध करने के लिए उपस्थित होऊं।

अमेरिका में परिवर्तन

और यह मेरा सम्मान और सौभाग्य है कि मैं इस समय यहां उपस्थित हूं, जो अमेरिका के पुनर्निर्माण के नए युग के आरंभिक सूर्योदय का समय है।

मैं आपसे न केवल यूनाइटेड किंगडम की प्रधानमंत्री के रूप में, बल्कि एक कंजर्वेटिव सदस्य होने के नाते भी बात कर रही हूं जो उन्हीं सिद्धांतों में विश्वास करते हैं, जो आपके दल के मूल में है। स्वाधीनता का महत्व। कार्य की गरिमा। राष्ट्रीयता, परिवार, आर्थिक विवेक, देशभक्ति के सिद्धांत- तथा लोक के हाथ में अधिकार समर्पित करना।

छोटी आयु से ही ये सिद्धांत मेरे भीतर मौजूद रहे हैं। ये सिद्धांत मुझे मेरे माता-पिता ने दक्षिणी इंग्लैंड स्थित मेरे घर में ही सिखाए थे, जहां मैं बड़ी हुई।

और मैं जानती हूं कि इन सिद्धांतों को आपको अपनी सरकार की योजनाओं के मूल में रखना होगा।

और इन चुनावों में आपकी विजय ने आपको यह मौका दिया है कि आप इन्हें इस युग में अमेरिका के पुनर्निर्माण के मूल में भी रख सकें।

राष्ट्रपति ट्रम्प की विजय- जो सभी विशेषज्ञों और सभी अनुमानों के विरुद्ध हासिल हुई है- और जिसकी जड़ें वाशिंगटन के गलियारों में नहीं, बल्कि इस भूमि पर रहनेवाले सभी कामकाजी पुरुषों और महिलाओं की आशाओं और आकांक्षाओं से जुड़ी हैं। आपके दल की जीत, कांग्रेस तथा सीनेट दोनों में, जहां आपने अपने विरोधियों को लगभग साफ ही कर दिया है, महान प्रयत्नों से हासिल हुई है, तथा जो राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के महत्वपूर्ण संदेश के द्वारा प्राप्त हुई है।

और इसकी वजह से- जो आपने साथ मिलकर किया, जो महान जीत आपने हासिल की- अमेरिका और भी मजबूत, महान और आनेवाले वर्षों में और भी आश्वस्त हो सकेगा।

ब्रिटेन में परिवर्तन

तथा एक नए उत्साह से भरा, आश्वस्त अमेरिका विश्व के लिए अच्छा है।

एक ऐसा अमेरिका जो अपने घरेलू स्तर पर मजबूत और संपन्न हो, वह विदेशों का नेतृत्व कर सकता है। लेकिन आप ऐसा अकेले नहीं कर सकते- और आपको करना भी नहीं चाहिए । आपने कहा है कि यह समय है जब दूसरे कदम आगे बढ़ाएं। और मैं इससे सहमत हूं।

संप्रभु राष्ट्र कभी भी अपनी सुरक्षा और संपन्नता अमेरिका के जरिए नहीं कर सकते। और उन्हें अपना कदम बढ़ाने तथा अपनी भूमिका निभाने में विफल होकर हमें मजबूत बनाने वाले गठबंधनों को कमजोर नहीं करना चाहिए।

यह कुछ ऐसा है जिसे ब्रिटेन ने हमेशा समझा है। यही वजह है कि आपके अलावा ब्रिटेन जी20 में अकेला ऐसा देश है- जो अपने जीडीपी के 2% को रक्षा पर व्यय करने की अपनी प्रतिबद्धता पूर्ण करता है, और जो इसमें से 20% का इस्तेमाल उपकरणों को नया करने में लगाता है। यही वजह है कि जी20 में ब्रिटेन अकेला ऐसा देश है जो अपनी सकल राष्ट्रीय आय का 0.7% विदेशी विकास पर व्यय करता है। यही वजह है कि गत वर्ष बतौर प्रधानमंत्री मेरा पहला कार्य था संसद में ब्रिटेन की स्वायत्त परमाणु नीति का नवीकरण सुनिश्चित करने के लिए बहस की शुरुआत करना।

यही कारण है कि ब्रिटेन एक अग्रणी सदस्य है- यूनाइटेड स्टेट्स के साथ-साथ- उस गठबंधन का जो डाएश को पराजित करने के लिए सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है; क्यों हम पूर्वी यूरोप में नाटो के सदस्य के रूप में अग्रिम मोर्चे पर भाग लेने के लिए 800 सैन्य टुकड़ियों को एस्टोनिया और पोलैंड भेजने पर सहमत हुए; क्यों हम नाटो के दृढ समर्थन मिशन में योगदान के लिए अपनी सैन्य टुकड़ियों में इजाफा कर रहे हैं जो आतंकवादियों से अफगान सरकार की रक्षा कर रही हैं; और यही कारण है कि हम कोसोवो, दक्षिणी सूडान और सोमालिया में जारी शांति अभियानों के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर बल दे रहे हैं।

और यही वजह है कि ब्रिटेन आधुनिक दासता जो जहां कहीं भी हो- तथा जो हमारी दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है- को तोड़ने के अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों की अगुवाई कर रहा है। मुझे आशा है कि आप इस उद्देश्य में हमारे साथ जुड़ेंगे- और मैं इस क्षेत्र में कार्यों के लिए खासतौर पर सीनेटर कॉर्कर की सराहना करती हूं। यह अच्छा है कि आज यहां उनसे मुलाकात भी हो गई।

जैसा कि अमेरिकन जानते हैं, यूनाइटेड किंगडम अपनी प्रवृत्ति और अतीत से भी, एक वैश्विक राष्ट्र है, जो विश्व के प्रति अपने उत्तरदायित्वों को समझता है।

और चूंकि हमने यूरोपीय संघ में अपनी सदस्यता समाप्त कर ली है- जैसा कि ब्रिटिश लोगों ने गत वर्ष इस अलगाव के लिए शांतिपूर्वक मतदान द्वारा अपना संकल्प व्यक्त किया था- हमारे पास अवसर है कि हम एक आत्मविश्वासी, संप्रभु और वैश्विक ब्रिटेन में अपने विश्वास को पुनः प्रमाणित कर सकें, जो अपने पुराने मित्रों के साथ ही नए मित्रों के साथ भी संबंधों का निर्माण करने के लिए तैयार हो।

हम यूरोप में अपने मित्रों के साथ नए गठबंधन बना रहे हैं। हम उनपर कोई दबाव नहीं डाल रहे, न उनके हितों पर और न मूल्यों पर जो हम साझा करते हैं। यह अत्यधिक रूप से हमारे हित में है- और व्यापक रूप से विश्व के हित में भी- कि यूरोपीय संघ को सफल होना चाहिए। और जबतक हम उसके सदस्य रहे, हमने अपनी भूमिका पूरी तरह निभाई, ठीक जैसे कि हम बाहर निकलने के बाद भी सुरक्षा, विदेश नीति तथा व्यापार के मुद्दे पर सहयोग करते आ रहे हैं।

लेकिन हमने अपने देश के लिए एक अलग भविष्य का चुनाव किया है।

एक भविष्य जहां हम अपनी संसदीय संप्रभुता और राष्ट्रीय आत्मनिर्णय को पुंर्स्थापित करने पर विचार करें, और अपने कार्यों तथा भावनाओं में अधिक वैश्विक तथा अंतर्राष्ट्रीय भूमिकाओं का निर्वाह करें।

एक भविष्य, जहां हम उन चीजों पर नियंत्रण रख सकें जो हमारे लिए मायने रखती हैं- चीजें, जैसे राष्ट्रीय सीमाएं तथा आप्रवासन नीति, और वे तरीके जिनसे हम अपने कानून स्वयं निर्धारित करें तथा उनकी व्याख्या करें- जिससे कि हम ब्रिटेन के कामकाजी पुरुषों और महिलाओं के लिए एक बेहतर और समृद्ध भविष्य गढ़ने में सक्षम हो सकें।

एक भविष्य, जिसमें हम एक नई और अधिक अंतर्राष्ट्रीय भूमिका में विश्वासपूर्वक कदम रख सकें, जहां हम अपने मित्रों तथा सहयोगियों के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह कर सकें, अंतर्राष्ट्रीय गठबंधनों तथा सहभागिताओं की रक्षा कर सकें, जिनसे विश्वभर में हम अपनी अहमियत साबित कर सकें, और दुनियाभर में कहीं भी व्यवसाय, मुक्त बाजार तथा मुक्त व्यापार के एक अत्यधिक मजबूत और शक्तिशाली पैरोकार के तौर पर अपनी भूमिका का निर्वाह कर सकें।

यह उस भविष्य की एक कल्पना है जिसके साथ मेरा देश एकजुट हो सकता है- और मुझे आशा है कि हमारे निकटस्थ मित्र और सहयोगी होने के नाते आपका देश भी जिसका स्वागत और समर्थन करे।

एक नए सिरे से विशेष संबंध

जैसे जैसे हम एक साथ अपने आत्मविश्वास को खोज रहे हैं-जैसे आप बिल्कुल हमारी तरह अपने देश को नवीकृत कर रहे हैं-हमारे पास अवसर है-वास्तव में जिम्मेदारी है-कि हम इस नए युग के लिए एक नए सिरे से इस विशेष संबंध को स्थापित करें। अब हमारे पास फिर से साथ मिलकर नेतृत्व करने का अवसर है।

क्योंकि विश्व एक बदलाव के दौर से गुजर रहा है, इसकी प्रतिक्रिया में या तो हम केवल मूक दर्शक बनकर रह सकते हैं या हम एक बार फिर नेतृत्व करने के अवसर का लाभ उठा सकते हैं। और साथ में नेतृत्व कर सकते हैं।

मेरा विश्वास है कि ऐसा करना हमारे राष्ट्रीय हित में हैं। क्योंकि समूचा विश्व ऐसी अस्थिरता और ऐसे खतरों से चिन्हित है जो हमारी जीवन जीने की पद्धति और हमारी प्रिय वस्तुओं को खोखला कर सकते हैं।

शीत युद्ध की समाप्ति से किसी नए विश्व का उद्गम नहीं हुआ। उससे इतिहास का अंत घोषित नहीं हुआ। उससे शांति, समृद्धि और विश्व के मामलों में पूर्वानुमेयता का मार्ग प्रशस्त नहीं हुआ।

कुछ के लिए-विशेषत: मध्य और पूर्वीय यूरोप के लिए-एक नई स्वतंत्रता का आगमन हुआ।

लेकिन विश्व भर में, प्राचीन, जातीय और राष्ट्रीय प्रतिद्वंद्विता-ऐसी प्रतिद्वंद्विता जो शीत युद्ध के दशकों बाद तक ठंडी पड़ी थी-का पुनरागमन हो गया है।

पश्चिमी देशों और हमारे मूल्यों के नए शत्रु-विशेषत: कट्टरपंथी इस्लामवादियों के रूप में-उभर गए हैं।

और ऐसे देश जिनकी जनतंत्र, स्वतंत्रता और मानवाधिकार की काफी छोटी परम्परा है-विशेषत: चीन और और रूस की- वैश्विक मामलों में अधिक मुखर हो गए हैं।

एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के उद्गम- वाकई में चीन, लेकिन भारत जैसे लोकतांत्रिक सहयोगी का हम स्वागत करते हैं। अरब का गरीबी से उत्थान हुआ है और हमारे उद्योगों के लिए नए बाजारों के द्वार खुल रहे हैं।

लेकिन ऐसी घटनाओं-जिनका आना उसी समय हुआ जब वित्तीय संकट और विच्छेद हुए-और साथ ही 9/11 के बाद पश्चिमी देशों पर विश्वास कम हुआ-और इराक और अफगानिस्तान में कठिन सैन्य हस्तेक्षेप-से कई लोगों के मन में यह भय कायम हो गया कि इस सदी में हम पश्चिम पर ग्रहण का अनुभव कर सकते हैं।

लेकिन उस विषय के संबंध में कुछ भी अपरिहार्य नहीं हैं। अन्य देश और अधिक मजबूत हो सकते हैं। बड़े, घनी जनसंख्या वाले देश अधिक धनवान हो सकते हैं। लेकिन ऐसा करने की प्रक्रिया में वे हमारे लोकतांत्रिक और स्वतंत्रता के मूल्यों को अधिक पूर्ण रूप से आलिंगन कर सकते हैं।

यदि वे ऐसा न भी करें तब भी हमारा हित बरकरार रहेगा। हमारे मूल्य टिके रहेंगे। और उनका बचाव करना और उन्हें दर्शाने की आवश्यकता हमारे लिए हमेशा की ही भांति महत्वपूर्ण रहगी।

इसलिए हमारी-हम दोनों देशों की साझा रूप से-नेतृत्व करने के जिम्मेदारी बनती है। क्योंकि हमारे पीछे कदम रखते समय अन्य आगे बढ़ जाएं, तो यह अमेरिका, ब्रिटेन और विश्व के लिए हानिकारक है।

यह हमारे साझा हित में है-ब्रिटेन और अमेरिका साथ में-कि हम अपने मूल्यों, हमारे हितों और हमारे विश्वास करने योग्य विचारों के संरक्षण के लिए मजबूती से साथ खड़े रहें।

इसका मतलब यह कतई नहीं है कि भूतकाल में हमारी निष्फल नीतियों का दोबारा सहारा लिया जाए। वो दिन लद गए जब ब्रिटेन और अमेरिका समूचे विश्व को अपनी छवि के अनुरूप ढालने के प्रयास में संप्रभु देशों में हस्तक्षेप करते थे। लेकिन हम हाथ पर हाथ धरे भी नहीं खड़े रह सकते और तब जब हस्ताक्षेप करना हमारे अपने हितों में हो। हमें मजबूत, चालाक और कठोर होना होगा। और हमें हमारे हितों के समर्थन में हमारे आवश्यक संकल्प का प्रदर्शन करना होगा।

फिर चाहे वह मध्य पूर्व में इज्रायल की या पूर्वी यूरोप में बाल्टिक राज्यों की सुरक्षा का मामला हो हमें हमेशा लोकतांत्रिक देशों में हमारे मित्रों और सहयोगियों का समर्थन करना चाहिए जो स्वयं को कठोर पड़ोसियों से घिरा हुआ पाते हैं।

हम दोनों की अपनी-अपनी राजनीतिक परम्पराएं हैं। हम कभी-कभी अलग घरेलू नीतियां अपना सकते हैं। और कई अवसर ऐसे आएंगे जहां हम एक दूसरे से असहमत होंगे। लेकिन हमें साथ लाने वाले साझा मूल्य और हित अत्यंत मजबूत हैं।

और आपका सबसे प्रमुख मित्र और सहयोगी होने के नाते हम अमेरिका की विश्व भर में वचनबद्धता आपकी सरकार द्वारा तय की गई अनेक प्राथमिकताओं का समर्थन करते हैं।

यही कारण है कि मैं दाइश और उनके जैसे विश्व के कई अन्य आंतकवादी संगठनों को प्रेरित करने वाले इस्लामी चरमपंथ से निपटने और पराजित करने की आपकी प्रतिबद्धता के साथ हूं। ऐसा करना हम दोनों की राष्ट्रीय हित में शामिल है। इसके लिए हमें विश्व की सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उपलब्ध कराई गई खुफिया जानकारियों का उपयोग करना होगा। और इसके लिए सैन्य शक्ति की भी आवश्यकता होगी।

इस दिशा में अधिक व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है। क्योंकि पिछले 15 से अधिक वर्षों से आतंकवाद के खिलाफ युद्ध से एक पाठ अवश्य सीखा गया है कि आतंकवादियों को मारने से निर्दोष जिंदगियों को बचाया जा सकता है। लेकिन जब तक उन्हें प्रेरित करने वाली विचारधारा को नष्ट नहीं कर देते, हमें हमेशा इस भय के साथ जीना होगा।

और जब जमीनी स्तर पर ये आंतकवादी हार रहे हैं तो वे अपनी विचारधारा को फैलाने के लिए इंटरनेट और सोशल मीडीया का शोषण कर रहे हैं जो हमारे अपने देश के नागरिकों को अपना शिकार बनाकर हमारे अपने ही शहरों पर आंतकवादी हमला करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

यही कारण है कि ब्रिटेन ने विश्व को हिंसक चरमपंथ को रोकने के लिए रणनीति तैयार करने की राह दिखाई है और यही कारण है कि ब्रिटिश और अमेरिकी सरकार साथ मिलकर इस्लामी चरमपंथ से निपटने और पराजित करने के कार्य में जुटे हैं। मैं राष्ट्रपति और उनके प्रशासन के साथ इस बुरी विचारधारा से निपटने के हमारे प्रयासों को बढ़ावा देने के प्रति उत्साहित हूं।

लेकिन निश्चित रूप से हमें हमेशा इस कट्टरपंथी और घृणित विचारधारा और इस्लाम जैसे शांतिपूर्ण धर्म और उसके लाखों अनुयायियों के बीच अंतर करने में सावधानी बरतनी होगी-जिसमें हमारे अपने लाखों नागरिक और बाहर बसे हमारे लोग शामिल हैं जो अक्सर इस विचारधारा के आंतक का पहला शिकार हो जाते हैं। और केवल हिसंक चरमपंथ पर ध्यान केंद्रित करना ही काफी नहीं। हमें चरमपंथ के संपूर्ण परिप्रेक्ष्य को समझने की आवश्यकता है जिसकी शुरुआत कट्टरता और घृणा से शुरू होती है और यह अक्सर हिंसा में परिवर्तित हो जाती है।

फिर भी अंतत: दाइश को पराजित करने के लिए हमें हमारे नियंत्रण में सभी राजनयिक माध्यमों को उपयोग में लाना होगा। इसका मतलब है सीरिया में राजनीतिक समाधान हासिल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करना और सीरिया के शासन और तेहरान में उनके समर्थकों के बीच गठबंधन को चुनौती देना।

जहां तक रूस का प्रश्न है, राष्ट्रपति रेगन के उदाहरण पर ध्यान देना बुद्धिमानी होगी-जो अपने प्रतिद्वंद्वी मिखाइल गोर्बाचेव के साथ बातचीत करते वक्त अपनाते थे-जो इस इस कहावत का पालन करते थे कि ‘ विश्वास करो लेकिन जांचों-परखो”’। राष्ट्रपति पुतिन के साथ मेरी यह सलाह है ‘संबंध बनाएं लेकिन सावधान रहें”।

रूस और पश्चिमी देशों के बीच मतभेद के संबंध में कुछ भी अपरिहार्य नहीं है। और साथ ही शीत युद्ध के पुराने दिनों में पीछे हटना भी अपरिहार्य नहीं है। लेकिन हमें रूस से संबंध बनाते हुए एक ताकतवर स्थिति में होना चाहिए। और हमें मजबूत संबंध, प्रणाली और प्रक्रियाओं का निर्माण करना होगा जिससे मतभेद की बजाय सहयोग का वातावरण निर्माण हो- और विशेषत: क्रिमिया के अवैध विलय के बाद हमें रूस के पड़ोसी राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी सुरक्षा पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं है। हमें राष्ट्रपति पुतिन के इस दावे के बाद कि अब सब कुछ उनके प्रभाव के दायरे में हैं, राष्ट्रपति रेगन और श्रीमती थैचर द्वारा पूर्वी यूरोप को दी गई स्वतंत्रता को खतरे में नहीं डालना चाहिए।

इस मामले में प्रगति से राष्ट्र के अन्य हित की भी पूर्ति हो जाएगी- और वह है मध्य पूर्व में ईरान के बुरे प्रभाव को कम करना।

यह ब्रिटेन के लिए भी प्राथमिकता है क्योंकि हम तेहरान से भूमध्यसागर तक प्रभाव का एक वृत्तखंड बनाने के ईरान के आक्रामक प्रयासों के खिलाफ जाने के लिए खाड़ी देशों का समर्थन करते हैं।

ईरान के साथ परमाणु समझौता काफी विवादास्पद था। लेकिन इससे ईरान के परमाणू हथियार हासिल करने के एक दशक से अधिक की संभावनाएं निष्प्रभावी हो गई हैं। इसके तहत ईरान ने 13,000 अपकेंद्रण यंत्रों, जो बुनियादी ढांचे से जुड़े हैं, को एकसाथ हटा दिया है और 20% संवर्धित युरेनियम के शेयर को समाप्त कर दिया है। यह कदम क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक था। लेकिन समझौते की अब सावधानीपूर्वक और कड़ाई से जांच होनी चाहिए-और किसी भी प्रकार के उल्लंघन को कड़ाई से और तुरंत निपटना चाहिए।

मजबूत संस्थान और राष्ट्र

आधुनिक जगत के खतरों से निपटने के लिए हमें अपने भरोसे योग्य संस्थानों को पुनर्निमित करना होगा।

आंशिक रूप से इसका अर्थ है बहुराष्ट्रीय संस्थान। क्योंकि हमें पता है कि हम आजकल बहुत सारे खतरों का सामना करते हैं जैसे-वैश्विक आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, संगठित अपराध, लोगों का अभूतपूर्व जन आंदोलन-राष्ट्रीय सीमा का सम्मान न करना। इसलिए हमें यूएन और एनएटीओ जैसे बहुराष्ट्रीय संस्थानों की सहायता लेनी चाहिए जो अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देते हैं।

लेकिन उन बहुराष्ट्रीय संस्थानों को उन देशों के लिए कार्य करना चाहिए जिन्होंने उसे स्थापित किया है, और उनके लोगों की आवश्यकताओं और हितों के प्रति सेवा प्रदान करनी चाहिए। उनका अपना कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं होता। इसलिए मैं आपके सुधार के एजेंडा को साझा करती हूं और मुझे विश्वास है कि हम मिलकर उन संस्थानों को वर्तमान की अपेक्षा और प्रासंगिक और उद्देश्यपूर्ण बनाएंगे।

इसलिए मैं अन्यों को भी इस प्रयास से जुड़ने की अपील करती हूं और साथ ही वे ये सुनिश्चित करें कि वे आगे बढ़कर योगदान करेंगे। इसलिए मैंने यूएन के नए सेक्रेटरी जनरल अंतोनियो ग्युटेर्स को एक महत्वकांक्षी सुधार कार्यक्रम का अनुसरण करने के प्रति प्रोत्साहित किया है, जिसके चलते संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना, संघर्ष की रोकथाम और संकल्प के अपने प्रमुख कार्यों पर ही ध्यान केंद्रित करता रहेगा। इसलिए मैंने अपने साथी यूरोपीय नेताओं के समक्ष अपने जीडीपी का 2% रक्षा पर खर्च करने-और रक्षा बजट का 20% उपकरणों पर खर्च करने- की प्रतिबद्धता पर खरा उतरने की आवश्यकता को प्रस्तुत किया है।

और यही कारण है कि मैंने एनएटीओ के सेक्रेटरी जनरल जेंस स्टॉटनबर्ग के समक्ष यह मुद्दा उठाया है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि गठबंधन किसी भी पारम्परिक रूपों के युद्ध के एही तरह आतंकवाद और साइबर युद्ध से लड़ने के लिए भी पूरी तरह से लैस हो।

एनएटीओ में अमेरिका का नेतृत्व-ब्रिटेन द्वारा समर्थित-गठबंधन की स्थापना का प्रमुख तत्व होना चाहिए। लेकिन इस निरंतर प्रतिबद्धता के साथ-साथ मैं इस बारे में भी स्पष्ट हूं कि यूरोपीय राष्ट्रों को भी इसी तरह आगे बढ़कर इस संस्थान की उसकी क्षमता के अनुरूप प्रभावी बनाना चाहिए, जो पश्चिमी रक्षा को आधारशिला प्रदान करता है।

फिर भी सबसे महत्वपूर्ण संस्थान है-जो हमेशा ही रहेगा-राष्ट्र। मजबूत राष्ट्र मजबूत संस्थान का आधार बनते हैं। और वे अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों और सहयोग का आधार बनते हैं जो विश्व को स्थिरता प्रदान करते हैं।

ऐसे राष्ट्र जो अपनी आबादी के प्रति जवाबदेह हैं-जो अपने स्वतंत्रता की घोषणा ‘शासन की सहमति से अपने अधिकार’ से प्राप्त है- अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से जुड़ने या न जुड़ने का चुनाव स्वयं कर सकते हैं। वे दूसरों से सहयोग करने या न करने का चुनाव स्वयं कर सकते हैं। दूसरों के साथ व्यापार करने या न करने का चुनाव खुद कर सकते हैं।

यही कारण है कि यदि यूरोपीय संघ के राष्ट्र स्वेच्छा से संघटित होना चाहते हैं तो मेरे विचार से वे ऐसा करने के लिए मुक्त हैं। क्योंकि यह उनका निजी चुनाव है।

लेकिन ब्रिटेन-एक संप्रभू राष्ट्र जिसके समान मूल्य हैं लेकिन विलग राजनीतिक और सांकृतिक इतिहास-ने एक अलग राह का चुनाव किया है।

क्योंकि हमारा इतिहास और हमारी संस्कृति गहराई से अंतर्राष्ट्रवादी है।

हम एक यूरोपीय राष्ट्र हैं- और साझा यूरोपीय धरोहर पर हमें गर्व है-लेकिन हम ऐसे भी राष्ट्र हैं जिसने यूरोप के आगे भी व्यापक विश्व की ओर नजर रखी है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, कैनेडा, न्यूजीलैंड और समूचे अफ्रीका, पैसिफिक और कैरिबियाई देशों से भी हमारे परिवार,रिश्तेदारी और इतिहास के संबंध रहे हैं।

और निस्संदेह अमेरिका के साथ भी हमारे रिश्तेदारी, भाषा और संस्कृति के संबंध रहे हैं। चर्चिल के अनुसार, “एक ही भाषा बोलें, एक ही वेदियों पर घुटना टेकें और व्यापक रूप से एक ही विचारधारा अपनाएं”।

और आज विस्तार रूप से हमारे बीच मजबूत आर्थिक, व्यावसायिक, रक्षात्मक और राजनीतिक संबंध हैं।

इसलिए मैं प्रसन्न हूं कि नए प्रशासन ने दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को अपनी शीघ्रताशीघ्र प्राथमिकता बनाई है।

ब्रिटेन और अमेरिका के बीच नए व्यापार समझौते से दोनों देशों के लिए लाभकारी होना चाहिए और दोनों देशों के हितों की सेवा होनी चाहिए। इसे हमारी संबंधित अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि करनी चाहिए और अमेरिका और ब्रिटेन भर के कामकाजी लोगों को उच्च कुशलता और उच्च वेतन वाले रोजगार उपलब्ध कराना चाहिए।

और इसे उन लोगों के लिए भी कारगर साबित होना चाहिए जो वैश्विकरण के ताकतों के कारण अपने आपको पिछड़ा समझते रहे हैं। लोग, अक्सर अपेक्षाकृत धनी देशों में रहने वाले मामूली आमदनी वाले लोग, महसूस करते हैं कि मुक्त बाजार और मुक्त व्यापार की वैश्विक प्रणाली अपने वर्तमान स्वरूप में उनके लिए कारगर नहीं है।

ऐसे समझौते-उन सुधार कार्यों के साथ मिलकर जो हम अपनी अर्थव्यवस्था में कर रहे हैं जिनसे हमारी जमीन पर धन और अवसर का फैलाव सुनिश्चित हो पाएगा- उन लोगों को यह दर्शा सकते हैं, जो अपने आपको अलग-थलग और पीछे छूटा हुआ महसूस करते हैं, कि मुक्त बाजार, मुक्त अर्थव्यवस्थाएं और मुक्त व्यापार उनकी आवश्यकतानुसार अधिक उज्ज्वल भविष्य प्रदान कर सकते हैं। और वह निश्चित ही अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को समर्थन प्रदान कर सकते हैं जिनपर विश्व की स्थिरता निर्भर करती है।

ब्रिटेन पहले ही निर्यात के लिए पांचवां सबसे बड़ा गंतव्य है, वहीं आपके बाजार वैश्विक निर्यात का पांचवां हिस्सा हमारे तटों से उपलब्ध करवाता है। केवल अकेले पेनिसिल्वेनिया के इस राज्य से ब्रिटेन को प्रति वर्ष 2 बिलियन डॉलर का निर्यात होता है। ब्रिटेन यहां के निर्यात के लिए यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा बाजार है-और विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है।

अमेरिका ब्रिटेन के बाह्य रूप से निवेश का एकल सबसे बड़ा गंतव्य है और ब्रिटेन का सबसे बड़ा निवेशक है। और आपकी कम्पनियां ब्रिटेन में एक सप्ताह में दस योजनाओं के दर से निवेश और विस्तार कर रही हैं।

ब्रिटिश कम्पनियां टेक्सास से वेरमाउंट तक अमेरिका के प्रत्येक राज्य में लोगों को रोजगार देती है। और ब्रिटेन-यूएस रक्षा संबंध सैन्य हार्डवेयर और विशेषज्ञता साझा करने वाले कोई भी दो देशों की अपेक्षा व्यापक, गहरा और उन्नत है। और निस्संदेह हमने हाल में हमारे नए एयरक्राफ्ट वाहकों के लिए नए एफ-35 स्ट्राइक हवाई जहाजों में निवेश किया है जिससे हमारी नौसेना की उपस्थिति का एहसास होगा और जो आने वाले वर्षों में विश्व भर में हमारी क्षमता और ताकत को दर्शाएगा।

इन मजबूत और व्यावसायिक संबंधों के कारण-और हमारे साझा इतिहास और संबंधों की ताकत से-मैं राष्ट्रपति ट्रम्प और उनके नए प्रशासन से आने वाले महीनों में नए ब्रिटेन-यूएस मुक्त व्यापार समझौते के संबंध बातचीत करने की ओर आशांवित हूं। इसमें विस्तृत कार्य की आवश्यकता होगी, लेकिन हम उन चर्चाओं के प्रति आपकी उन्मुक्तता का स्वागत करते हैं और हम प्रगति की आशा करते हैं ताकि ब्रेक्जिट के बाद उभरने वाला ब्रिटेन और बेहतर तरीके से विश्व में पूरी आत्मविश्वास के साथ स्थान बनाने में समर्थ हो।

निष्कर्ष

इस तरह के समझौते से सभी हमारे बीच के विशेष संबंध में अगला कदम लेने के साक्षी बनेंगे। इससे प्रगति की ओर एक महान ताकत की नींव मजबूत और सुनिश्चित हो जाएगी जो विश्व ने कभी नहीं देखा होगा।

सत्तर वर्ष पूर्व 1946 में, चर्चिल ने इस संबंध में एक नए पहलू का प्रस्तावित किया था-एक शीतयुद्ध जीतना, जिसकी शुरुआत का अंदाजा किसी को भी नहीं लग पाया था। उन्होंने बताया था कि किस तरह एक लोहे का पर्दा बाल्टिक से एड्रियाटिक तक गिर चुका है, जिसमें मध्य और पूर्वी यूरोप के पौराणीक राज्यों की सभी राजधानियां शामिल हैं जैसे वारसॉ, बर्लिन, प्राग, विएना, बुडापेस्ट, बेल्ग्रेड, सोफिया और बुखारेस्ट।

आज वे सभी महान शहर-महान संस्कृतियों और धरोहर के निवासस्थान- स्वतंत्र और शांतिपूर्ण माहौल में जी रहे हैं। और वे ऐसा ब्रिटेन और अमेरिका के नेतृत्व में और श्रीमती थैचर और राष्ट्रपति रेगन के नेतृत्व में ऐसा कर पा रहे हैं।

वे ऐसा इसलिए कर पा रहे हैं, क्योंकि हमारे विचार हमेशा प्रबल रहेंगे।

और वे ऐसा इसलिए भी कर पा रहे हैं क्योंकि जब विश्व नेतृत्व की मांग करता है, मूल्यों और हितों का यही गठबंधन, दोनों देशों के बीच का यही विशेष संबंध, मैदान में प्रवेश करता है जिसके लिए मैं अमेरिका के और अन्य महान राजनीतिज्ञ के शब्दों का सहारा लूंगी, ‘हमारे चेहरे धूल और पसीनों से लथपथ बहादुरी के लिए प्रयास करते हैं और उच्च उपलब्धि के विजय से अवगत होते हैं।

जब हम अपने ही गृह में अपने राष्ट्रों को मजबूत करने के वादे को और मजबूत कर रहे हैं-राष्ट्रपति रेगन के शब्दों में ‘सुप्त दानव उपद्रव मचाता है’- हम अपने संबंधों को नवीनिकृत करें जिससे समूचा विश्व स्वतंत्रता और समृद्धि के वादे की ओर लक्ष्य करे जो 240 वर्ष पहले आम नागरिकों द्वारा चर्मपत्र में दर्ज कर दिया गया है।

ताकि हमें ‘ऐसी निष्क्रिय और डरपोक आत्माएं न समझा जाए जो न जीत जानते हैं न हार’ बल्कि हमें ऐसे समझा जाए ‘ जो कर्म करने के लिए प्रयास करते हैं’ जिससे एक बेहतर विश्व की ओर मार्ग प्रशस्त हो सके।

ऐसा बेहतर भविष्य हमारी पहुंच में है। मिलकर हम इसका निर्माण कर सकते हैं।

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प्रकाशित 26 जनवरी 2017