भाषण

पुणे में वापसी : ब्रिटेन, भारतीय राज्य और भारत

मैं विभिन्न जगहों की यात्रा करता हूं क्योंकि मेरा मानना है कि भारत की सफलता की कहानी मुख्य रूप से दिल्ली में नहीं, बल्कि उसके महान राज्यों एवं शहरों में रची जाएगी, जिनमें यह महान शहर- पुणे भी शामिल है।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
James Bevan

इसी वजह से मैं आज यहां आया हूं। यह 18 महीनों में मेरी तीसरी पुणे-यात्रा है। मैं पहले यहां 2011 के वसंत में आया था। भारत में ब्रिटिश उच्यायुक्त का कार्यभार ग्रहण करने से पहले मेरी पत्नी और मैंने ढाई महीने तक इस देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की थी। हमारा उद्देश्य नई दिल्ली के कूटनीतिक बुलबुले के पार असली भारत को देखना था। यदि आप किसी देश की राजधानी को देख कर उसे ही देश समझने लगें तो यह एक कूटनीतिज्ञ के रूप में आपकी सबसे बड़ी गलती हो सकती है। इस प्रकार, मेरी पत्नी और मैंने 2011 के अंतिम दस सप्ताह तक भारत में विभिन्न जगहों की यात्रा की। हमने इस देश के चारों कोनों का भ्रमण किया: भारत के 28 राज्यों में से 20 राज्यों का। हमने ट्रेन, विमान, ऑटोमोबाइल्स, रिक्शा द्वारा और पैदल यात्रा की। हम अधिकांशतया भेष बदल कर शहरों, कॉलोनियल क्लबों एवं गांव की झोंपडि़यों में ठहरे और एक सप्ताह तक एक भारतीय परिवार के साथ रहे। हम उन जगहों पर गए, जिन्हें उच्चायुक्त आम तौर पर नहीं देखते, वे चीजें कीं, जिन्हें उच्चायुक्त आम तौर पर नहीं करते और उन व्यक्तियों से मिले, जिनसे उच्चायुक्त आम तौर पर नहीं मिलते।

यह हमारी शादी का एक अच्छा इम्तिहान था। हमारी शादी 30 साल पहले हुई थी, लेकिन यह पहला मौका था, जब हम लगातार 10 सप्ताह तक प्रतिदिन चौबीसो घंटे एक-दूसरे के साथ रहे। आपको यह जानकर खुशी होगी कि हम अभी न सिर्फ विवाहित हैं, बल्कि हमारे एक-दूसरे के साथ आत्मीय संबंध कायम हैं।

इस शुरूआती यात्रा के अंग के रूप में हम पुणे आए थे।

पुणे ने तब मुझ पर एक बड़ी अमिट छाप छोड़ी। मैंने देखा कि आप कितने खूबसूरत शहर में रह रहे हैं। मैंने इस शहर की उस आर्थिक संवृद्धि और बढ़ती समृद्धि को देखा, जिसे यह पैदा कर रहा है। हमने आपके सुखद जलवायु का आनंद लिया - मेरी समझ में आ गया कि ब्रिटेन ने गर्मी के मौसम में मुंबई को छोड़ कर पुणे को क्यों राजधानी बनाया था।

हम हरियाली और अच्छी सड़कों जैसी छोटी-छोटी चीजों से प्रभावित हुए। हमने पहली बार यहां पुणे में स्थित बेहतरीन ब्रिटिश व्यापार कार्यालय को देखा, जो ब्रिटेन और भारत के बीच व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के लिए अत्यंत कड़ी मेहनत करता है। हमने ब्रिटिश काउंसिल लाइब्रेरी का दौरा किया, जो युवाओं से भरी हुई थी और उन वृद्ध लोगों से बातचीत की, जो इस लाइब्रेरी के बारे में अपनी बाल्यावस्था की प्रिय यादें संजोए हुए हैं। उन्होंने हमें बताया कि किस प्रकार वे इस लाइब्रेरी से पीजी वुडहाउस और अगाथा क्रिस्टी की किताबें उधार लिया करते थे।

इस पहली पुणे-यात्रा के दौरान पुणे चैप्टर ऑफ द एसोसिएशन ऑफ ब्रिटिश स्कॉलर्स ने मेरी पत्नी और मेरा स्वागत किया। यह उन विशिष्ट भारतीयों का एसोसिएशन है, जिन्होंने ब्रिटेन में अध्ययन किया है और उनके स्वागत ने मुझे इस एसोसिएशन का एक बड़ा प्रशंसक बना दिया। हमने फर्गुसन कॉलेज का दौरा किया, जो भारत के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में से एक है और वहां के दो छात्र बाद में भारत के प्रधानमंत्री बने थे। भारत के वर्तमान विदेश सचिव ने भी वहां अध्ययन किया था। हमने इस कॉलेज में शिक्षा की उत्कृष्टता देखी, जिसने पुणे को ‘‘ईस्ट के ऑक्सफोर्ड’’ जैसी प्रतिष्ठा दिलवाई है।

हमने आगा खान पैलेस का दौरा किया, जहां ब्रिटेन ने 1940 के दशक में गांधी को बंदी बना कर रखा था। वहां उनके सचिव और उनकी पत्नी कस्तूरबा दोनों का निधन हुआ था। यह एक हृदयस्पर्शी एवं शांत स्थान है। और, हमने शाम को पुणे ब्रिटिश बिजनेस ग्रुप के सदस्यों के साथ भोजन कर पहले दिन का कार्यक्रम पूरा किया। हमने पुणे स्थित एक इंजीनियरिंग कंपनी- थर्मेक्स का दौरा किया और भारतीय और ब्रिटिश कंपनियों के बीच न सिर्फ घनिष्ठ संबंधों, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच नज़दीकी संबंधों को देखा। थर्मेक्स के अध्यक्ष मेहर पदमजी इम्पीरियल कॉलेज, लंदन के एक एल्यूम्नी (एक अन्य प्रसिद्ध व्यवसायी साइरस मिस्त्री भी इसके एल्यूम्नी हैं) हैं।

हमने जेसीबी पुणे की प्रभावपूर्ण फैक्टरी एवं डिजाइन सेंटर देखा। हमने जाना कि किस प्रकार ब्रिटिश कंपनियां भारत में सफल हो सकती हैं। इसके बाद, जब देहाती इलाकों में कार से सफर करने के दौरान हमने उन येलो डिग्गर्स (पीले खनकों) की संख्या गिनी, जिनके बगल में जेसीबी थे। जवाब : दो में एक से भी ज्यादा - यानी जेसीबी की यहां बाजार हिस्सेदारी 60 प्रतिशत है।

हम यंग प्रेसीडेन्ड्स ओर्गेनाइजेशन की बैठक में गए, जो युवाओं को एकजुट करता है और भारतीय युवाओं में प्रतिभा एवं आगे बढ़ने का उत्साह देखा। और, हम अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए कॉमनवेल्थ वार ग्रेव पर गए, जहां प्रथम एवं द्वितीय विश्व में मारे गए लोगों में से अनेक के स्मारक हैं। ये स्मारक नदी के किनारे पर खूबसूरत ढंग से उसी प्रकार संरक्षित किए गए हैं, जिस तरह आधुनिक पुणे सौम्य वातावरण में बसा हुआ है।

और, इस प्रकार लगभग 18 महीने पहले हुई मेरी पहली पुणे-यात्रा ने मुझे बहुत-कुछ सिखाया। इसने विशेष सीख यह दी कि यह भारत के महान शहरों का मुख्य भाग है, जिसके साथ ब्रिटेन की अधिक घनिष्ठ भागीदारी की अपार संभावनाएं हैं और यदि मैं असली भारत के साथ नाता जोड़ना चाहता हूं (और, मैं यह चाहता हूं) तो यह पुणे एवं इस जैसे स्थान हैं, जहां मुझे मेरा अधिक समय बिताना चाहिए। मेरी आज की यात्रा ने फिर पुणे के विकास के मानदंड एवं गति को रेखांकित किया है। इसलिए, यह शहर ब्रिटेन के लिए महत्वपूर्ण है। और, यह देश- भारत भी ब्रिटेन के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री की यात्रा

इसी वजह से ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन फरवरी में यहां आए थे। यह प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी दूसरी भारत-यात्रा थी। उनका मानना है कि द्विपक्षीय संबंधों की दृष्टि से ब्रिटेन-भारत साझेदारी को 21वीं शताब्दी में एक शीर्ष स्थान पर ले जाया जाए।

प्रधानमंत्री ने भारत में तीन दिन बिताए। वह पहले दिन मुंबई में थे और इस शहर की यात्रा का उद्देश्य मुख्यत: व्यापार से (जैसाकि इस शहर को लेकर अपेक्षा की जाती है) संबंधित था। वह दूसरे दिन दिल्ली में थे, जिसका उद्देश्य मुख्यत: राजनीतिक था (जैसाकि इस शहर को लेकर अपेक्षा की जाती है)। और, वह तीसरे दिन अमृतसर में थे, जिसका उद्देश्य मुख्यत: स्वर्ण मंदिर एवं जलियांवाला बाग की यात्रा करने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति एवं अतीत के प्रति सम्मान दर्शाना था।

अपनी इस पूरी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने तीन सीधे-सादे संदेश दोहराए :

पहला संदेश यह है कि हम ब्रिटेन और भारत के बीच एक अधिक मजबूत, अधिक व्यापक और अधिक गहन साझेदारी चाहते हैं। यह साझेदारी आगे बढ़ रही है।

ब्रिटेन की वर्तमान सरकार द्वारा सत्ता संभालने के बाद से ब्रिटेन एवं भारत के बीच व्यापार में वृद्धि हुई है। वर्ष 2010 और 2011 में व्यापार में औसत 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

निवेश में वृद्धि हो रही है। भारत यूरोपियन यूनियन (ईयू) के सभी देशों में किए जा रहे अपने कुल निवेश की तुलना में ब्रिटेन में अधिक निवेश कर रहा है। टाटा समूह ब्रिटेन में विशालतम मैन्यूफैक्चरिंग नियोक्ता है। और, वोडाफोन एवं बीपी जैसी ब्रिटिश कंपनियां भारत में प्रमुख निवेशक हैं।

वैज्ञानिक सहयोग बढ़ रहा है। ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य की देखभाल जैसी उन चुनौतियों पर ध्यान दिया जा रहा है, जो भारत और ब्रिटेन दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। संयुक्त वित्तीय सहायता-प्राप्त अनुसंधान में भारी वृद्धि हुई है, जो तीन साल पहले एक मिलियन पाउंड का था और अब बढ़ कर 125 मिलियन पाउंड तक पहुंच गया है।

हमारे कूटनीतिक संबंधों में वृद्धि हो रही है। ब्रिटेन ने हैदराबाद में एक नया उपउच्चायोग खोला है और शीघ्र ही चंडीगढ़ में एक अन्य उपउच्चायोग खोलेगा। ब्रिटेन का भारत में विशालतम कूटनीतिक नेटवर्क है और इसके आगे भी विस्तार की आशा है।

संपर्कों में वृद्धि हो रही है। 2010 से ब्रिटिश कैबिनेट के आधे से अधिक मंत्रियों ने भारत का दौरा किया है-एक महीने में औसतन एक मंत्री (कुल 39 मंत्रीस्तरीय दौरे)। प्रतिवर्ष 400,000 से भी अधिक भारतीय ब्रिटेन की यात्रा करते हैं और लगभग 800,000 ब्रिटिश नागरिक भारत आते हैं।

प्रधानमंत्री का दूसरा संदेश था कि ब्रिटेन के दरवाजे खुले हुए हैं : आगंतुकों के लिए (उन्होंने व्यवसायियों के लिए पहली बार यूकेबीए सेवा उसी दिन देने की घोषणा की), छात्रों के लिए (उन्होंने स्पष्ट किया कि ब्रिटेन में अध्ययन के इच्छुक छात्रों की संख्या की कोई सीमा तय नहीं की गई है और हम चाहते हैं कि भारत के उत्कृष्ट एवं अति-प्रतिभाशाली छात्र ब्रिटेन में अपना अध्ययन करें), और व्यवसायियों के लिए (उन्होंने नई वचनबद्धता प्रकट की कि उच्च प्रौद्योगिकी की आपूर्ति में भारत के साथ एक विशेषाधिकार-प्राप्त साझेदार के रूप में व्यवहार किया जाएगा)।

और, प्रधानमंत्री का तीसरा संदेश था कि हम इस साझेदारी की आकांक्षा कर सकते हैं क्योंकि हमारे दोनों देशों के बीच स्वाभाविक मेल है। यह मेल न सिर्फ हमारी अर्थव्यवस्थाओं, बल्कि हमारी सुरक्षा जरूरतों और हमारी जनता के बीच भी है।

भारत ब्रिटेन को उन चीजों की पेशकश करता है, जिनकी हमें जरूरत है। ये हैं : विश्व की कुछ उत्कृष्ट प्रतिभाएं, विश्व के सबसे बड़े विकासमान बाजार के साथ व्यापार की क्षमता, आवक निवेश, जिसमें आज यहां प्रतिनिधित्व करने वाली कई कंपनियां भी शामिल हैं और ब्रिटेन में नौकरियों का सृजन एवं संवृद्धि तथा एक ऐसे देश के साथ साझेदारी, जो 21वीं शताब्दी के भविष्य को आकार देगा।

और, ब्रिटेन भारत को उन चीजों की पेशकश करता है, जिनकी भारत को जरूरत है। ये हैं : विश्व के उत्कृष्ट शिक्षा संस्थान, विश्वस्तरीय साजसामान एवं सेवा, जिनसे घरेलू तथा विदेशी स्तर पर प्रगति में भारत को मदद मिल सकती है, प्रमुख-संघीय निवेश, जिससे नए भारत के निर्माण में मदद मिल सकती है और व्यवसाय करने के लिए एक अनुकूल स्थान।

इस प्रकार, यह प्रधानमंत्री की भारत-यात्रा का एक संक्षिप्त विवरण है। अच्छी खबर यह है कि उनकी यात्रा सफल रही। आप यह इस तथ्य के आधार पर कह सकते हैं कि मैं अभी भी नौकरी पर हूं। लेकिन, इसके क्या नतीजे रहे?

हमने व्यापार एवं निवेश के क्षेत्रों में प्रगति की है। 2010 में प्रधानमंत्री ने लक्ष्य तय किया था : भारत और ब्रिटेन के बीच 2015 तक व्यापार को दुगुना करना। बेशक, हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री कैमरॉन भारत में एक बहुत बड़े व्यावसायिक प्रतिनिधिमंडल के साथ आए थे, जो अब तक किसी भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री की भारत-यात्रा के प्रतिनिधिमंडल की तुलना में बड़ा था। इस प्रतिनिधिमंडल में एक सौ बड़ी व्यावसायिक हिस्तयां शामिल थीं। उनके संपर्कों ने ब्रिटेन और भारत के बीच व्यापार के नए रास्ते खोलने में मदद की है।

प्रधानमंत्री कैमरॉन ने भारत की शीर्ष व्यावसायिक हस्तियों से मुलाकात की और उन्हें ब्रिटेन में अधिक निवेश के लिए प्रेरित किया। और, ब्रिटिश कंपनी- बीपी ने भारत में एक प्रमुख नए निवेश की घोषणा की: रिलायंस के साथ संयुक्त उपक्रम के जरिए तेल एवं गैस क्षेत्र में 5 अरब पाउंड का निवेश। अब यहां बीपी का कुल निवेश अब तक भारत में किए गए विदेशी निवेशों में से अकेला विशालतम निवेश है और कुछ मायनों में ब्रिटेन अब भारत में विशालतम निवेशक है।

भारत इस पहल में मार्ग प्रशस्त कर रहा है। हमने पिछले माह घोषणा की कि हम पूरे भारत में छह ब्रिटिश बिजनेस सेन्टर्स के एक नेटवर्क की स्थापना को समर्थन देंगे, जो बीबीजी (ब्रिटिश बिजनेस ग्रुप) के सहयोग से यूके-इंडिया बिजनेस काउंसिल की अगुआई में होगा। इससे व्यापार बढ़ेगा।

प्रधानमंत्री कैमरॉन ने ब्रिटिश कंपनियों, खासकर लघु एवं मझोले उद्यमों द्वारा भारत और अन्य उभरते बाजारों में व्यापार करने में उनकी मदद के लिए एक पहल की घोषणा की। हम इस समय भारत में कारोबार कर रही कंपनियों और अन्य इच्छुक कारोबारी कंपनियों को समर्थन देकर यह काम करेंगे ताकि वे यहां अपने व्यवसाय का विस्तार या नया कारोबार शुरू कर सकें।

हमारी योजनाएं तैयार करने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए मैं बीबीजी, पुणे के प्रति विशेष रूप से आभारी हूं। और, हमें आशा है कि इनको अंजाम तक पहुंचाने में आपका सहयोग जारी रहेगा। पुणे स्वाभाविक मेल का एक सटीक उदाहरण है। ब्रिटिश कंपनियों द्वारा यहां अधिक कारोबार करने की अपार संभावनाएं हैं। आपकी मदद से उन्हें अधिक व्यापार करने के अवसर प्राप्त होंगे।

प्रधानमंत्री कैमरॉन की यात्रा से एक अन्य क्षेत्र में भी प्रगति हुई है, जो यहां पुणे के लिए दिलचस्पी का विषय है : प्रस्तावित बेंगलुरू-मुंबई आर्थिक कॉरिडोर का विकास, जिस पर प्रधानमंत्री कैमरॉन और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहमत हुए थे कि यह ब्रिटेन एवं भारत के बीच एक संभावित साझेदारी का आधार बन सकता है।

हमने सुरक्षा के क्षेत्र में प्रगति की और आतंकवाद से संघर्ष के लिए ब्रिटेन एवं भारत के बीच पहले से मौजूद नज़दीकी सहयोग को मजबूत बनाने पर सहमति कायम हुई। मुझे मालूम है कि आतंकवाद ने इस शहर को भी अपनी चपेट में ले लिया था। हमने मिल कर साइबर हमले और संगठित अपराध जैसे अन्य खतरों का सामना करने का दृढ़ संकल्प किया है।

हमने दोनों देशों की जनता के बीच संपर्कों के क्षेत्र में प्रगति की है। प्रधानमंत्री कैमरॉन और उनकी टीम ने उन अनेक युवा भारतीयों से मुलाकात की, जो भविष्य में इस देश में अग्रणी भूमिका निभाएंगे। और, ब्रिटिश काउंसिल ने भारत के सभी राज्यों में अंग्रेजी भाषा पढ़ाने की पेशकश को समर्थन देने के इरादे की घोषणा की : हमारा लक्ष्य यह है कि प्रत्येक भारतीय को अंग्रेजी सीखने का अवसर प्राप्त हो, जो उसके द्वारा अपने आर्थिक भविष्य को बेहतर बनाने और दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को बनाए रखने के सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधनों में से एक है।

और, हम अन्य विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों- स्वास्थ्य की देखभाल, विज्ञान, नव-प्रवर्तन, आर एंड डी, ऊर्जा, शिक्षा एवं संस्कृति में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए, जो हमारे नागरिकों को अधिक समृद्ध या अधिक सुरक्षित या दोनों बनाएंगे।

निष्कर्ष: मैं भारत के बारे में क्यों आशावादी हूं?

इस प्रकार, मुझे ब्रिटेन-भारत संबंधों के भविष्य पर बहुत भरोसा है। और, इस महान देश के भविष्य पर बहुत भरोसा है। इसलिए, मैं निष्कर्ष में यह बतलाना चाहता हूं कि मैं भारत के बारे में क्यों आशावादी हूं। मैंने अपनी पहली पुणे-यात्रा और 18 महीने पहले शेष भारत की यात्रा में जो कुछ देखा, वह इस भरोसे का आधार है। इसके बाद से मैंने देखा है कि यह देश चुनौतियों का सामना कर रहा है। मेरी तुलना में आप इनके बारे में अच्छी तरह जानते हैं। लेकिन, मुझे भरोसा है कि भारत इन सभी चुनौतियों पर काबू पा लेगा।

और, यह इसलिए है क्योंकि भारत के पास वे शक्तियां हैं, जो अन्य देशों के पास नहीं हैं। इतिहास : हजारों साल की सभ्यता ने भारत को अपनत्व की मजबूत भावना प्रदान की है। लचीलापन : अपने अनेक पारस्परिक विरोधाभासी हितों के बीच सामंजस्य बिठाने की भारत की क्षमता ने उन सभी पश्चिमी राजनीतिक शास्ति्रयों को गलत साबित किया है, जिन्होंने भविष्यवाणी की थी कि स्वतंत्रता मिलने के बाद उसके अंतर्निहित तनावों से यहां लोकतंत्र समाप्त हो जाएगा और/या देश टूट जाएगा। संस्कृति : सहनशीलता और सम्मान की भारतीय परम्परा ने एक विशाल एवं विविधता भरे देश के अंतर्निहित तनावों के साथ तादात्म्य बिठाने में मदद की है। परिमाण : यदि आप उत्पादन दस या एक सौ गुना बढ़ाना चाहते हैं तो भारत में इसे अंजाम देने वाले लोग मिल जाएंगे। शिक्षा : जैसाकि आप सभी जानते हैं, भारतवासी अपने बच्चों का भविष्य बेहतर बनाने के प्रति कृत-संकल्प रहते हैं और इसके लिए वे भारी कुर्बानी करेंगे - यह किसी भी देश के भविष्य में बेहतरीन निवेश है। सृजनशीलता : भारतवासी जिस सरलता और उत्साह के साथ किसी बाधा को दूर करने या समस्या के समाधान के लिए नए सिरे से प्रयत्नशील रहते हैं, उसे देख कर ही अनुभव किया जा सकता है। उच्चाकांक्षा : भारतीय कंपनियां और प्रतिभाशाली व्यक्ति न सिर्फ भारत में उत्कृष्ट बनने का प्रयास करते हैं, बल्कि उनका लक्ष्य विश्व में उत्कृष्टता पाना होता है और अनेक मामलों में वे उत्कृष्ट हैं भी। संवृद्धि : भारत में समृद्धि स्पष्ट नज़र आती है और पूंजी का प्रसार हो रहा है। विविधता में एकता : नेहरू ने इस उपलब्धि की चर्चा की थी, जो एक आर्थिक संचालक है। प्रतिभा का उलटा पलायन : मैं जहां कहीं जाता हूं, वहां युवा और प्रतिभाशाली भारतीयों से मिलता हूं, जिन्होंने विदेश में अच्छा करियर बनाया, लेकिन अब वे भारत लौट रहे हैं क्योंकि वे यहां अपने लिए बेहतर अवसर पाते हैं। और, आशावाद : प्रत्येक भारतीय का मानना है कि आज अच्छा है, लेकिन कल बेहतर होगा।

ये इस देश के मजबूत भविष्य में विश्वास के कारण हैं।

मैं एक अंतिम अमिट छाप के बारे में बतलाना चाहता हूं और यह मेरे मन-मस्तिष्क पर अभी भी अंकित है, जो पुणे पर भी लागू होती है। भारत में ब्रिटेन का स्वागत किया जाता है। हमारे लिए भारत एक ऐसा स्थान है, जिसके बारे में हम ब्रिटिश नागरिक जानते हैं और यहां बहुत-कुछ घर जैसा महसूस करते हैं।

बेशक, सतही तौर पर भारी फर्क हैं। इस देश के आकार, भूगोल और विविधता की तुलना ब्रिटेन के साथ नहीं की जा सकती। लेकिन, हम हृदय में गहरे परिचित पाते हैं। हम समान भाषा में संवाद करते हैं। हमारी हास्य भावना समान है। हमारा यकीन समान मूल्यों में है। हमारा भोजन समान है। दोनों देशों में समान तरह की नौकरशाही है, इसलिए हम जानते हैं कि ‘‘येस मिनिस्टर’’ एक कॉमेडी प्रोग्राम नहीं, बल्कि एक डॉक्यूमेन्टरी है। हम एक-दूसरे को बखूबी समझते हैं और हम एक-दूसरे के साथ घर जैसा महसूस करते हैं।

और, मैं पुणे में घर जैसा महसूस करता हूं। इसलिए, मेरा स्वागत करने और आतिथ्य के लिए आपको धन्यवाद। मुझे यहां वापस आने और ब्रिटेन एवं पुणे के बीच, ब्रिटेन एवं इस महान भारत के बीच एक मजबूत साझेदारी के निरतंर निर्माण का इंतजार रहेगा।

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प्रकाशित 24 अप्रैल 2013