उड़ीसा का टिकाऊ एवं जलवायु हितैषी भविष्य
ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त स्कॉट फर्सडोनवुड द्वारा 27 अगस्त 2015 को जलवायु परिवर्तन से निबटने हेतु ब्रिटेन-उड़ीसा साझेदारी विषय पर आयोजित सेमिनार में दिए गए अभिभाषण की अनूदित प्रति।
सम्मानित अतिथिगण, देवियो और सज्जनों!
भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, उड़ीसा सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय तथा ब्रिटिश सरकार द्वारा आयोजित आज के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आपके बीच होने पर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।
यह कार्यक्रम भुवनेश्वर में हमारे द्वारा आयोजित ‘उड़ीसा में ग्रेट ब्रिटेन’ सप्ताह के आयोजनों की श्रृंखला का एक भाग है। कल उड़ीसा के माननीय मुख्यमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय विकास मामलों के ब्रिटिश मंत्री डेसमंड स्वेन के साथ इन कार्यक्रमों का उद्घाटन किया। उन्होंने कई क्षेत्रों में ब्रिटेन-उड़ीसा साझेदारी की शक्ति पर चर्चा की। जलवायु परिवर्तन की ज्वलंत समस्या से निबटने की दिशा में हमारा संयुक्त प्रयास सबसे महत्वपूर्ण प्रयासों में से एक है।
जलवायु हितैषी भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में उड़ीसा के पास एक स्पष्ट दृष्टि वाला मजबूत नेतृत्व है। उड़ीसा भारत के उन पहले राज्यों में है जिसने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर राज्य स्तरीय कार्य योजना तैयार किया है। यह भारत के उन पहले राज्यों में है जिन्होंने अभिनव जलवायु अनुकूल नीतियों के निर्माण हेतु विशेषज्ञों और अधिकारियों को एकजुट कर क्षेत्रवार निम्नकार्बन समितियों का गठन किया।
इससे प्रतिबद्धता और सहभगिता के प्रबल तथा प्रभावशाली स्तर का प्रमाण मिलता है।
जलवायु परिवर्तन के खतरे उड़ीसा के लिए बहुत अधिक हैं। यह भारत के सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में है। चक्रवात, बाढ़ और सूखा तथा तटीय आपदाओं जैसी भीषण प्राकृतिक परिस्थितियां लोगों के जीवन और आजीविका को प्रभावित कर रही हैं। इनसे व्यवसाय, संपत्ति और अवसंरचना; भोजन और पानी की उपलब्धता तथा कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को भारी नुकसान पहुंचता है।
इसका अर्थ यह हुआ कि उड़ीसा की आर्थिक और सामाजिक विकास यात्रा में जलवायु परिवर्तन के खतरे गंभीर चुनौती हैं। राज्य ने इसे समझा है और इससे निबटने के लिए कई अभिनव प्रयास किए हैं। इसने यह भी देखा है कि स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता राज्य के समृद्ध भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
मुझे इस बात का गर्व है कि ब्रिटिश सरकार ने उड़ीसा के साथ मिलकर इन चुनौतियों से निपटने में घनिष्ठ रूप से काम किया है। दीर्घकालीन विकास लक्ष्यों को हासिल करने हेतु हमने संसद के सदस्यों और विधायकों के साथ मिलकर समग्र नवीकरणीय ऊर्जा नीति पर काम किया है। निम्न कार्बन प्रकाश प्रणाली के व्यापक इस्तेमाल के लिए मॉडल विकसित करने हेतु हमने मिलकर काम किया है। हमने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निबटने के लिए उचित आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने वाले वित्तीय साधन भी विकसित किए हैं। इन सबमें हमने उड़ीसा की राज्य सरकार तथा अन्य सहयोगियों को बेहतरीन साझेदार के रूप में पाया है।
यही कारण है कि बस कुछ ही महीनों पहले हमने उड़ीसा सरकार तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन पर एक अन्य कार्यक्रम – क्लाइमेट चेंज इनोवेशन प्रोग्राम (सीसीआईपी) की शुरुआत की है। सीसीआईपी को ब्रिटेन के अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग द्वारा 1.2 करोड़ पाउंड के तकनीकी सहायता के तहत कोष मुहैया किया जा रहा है और यह उड़ीसा सहित भारत के छह राज्यों में कार्यरत है। इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन में हम अगले कुछ वर्षों तक उड़ीसा सरकार के साथ काम करते रहेंगे।
इस संदर्भ में आज का सेमिनार मील का पत्थर है। इस कक्ष में अनुभवों, विचारों और समवेत ज्ञान रूपी दौलत आपस में बांट कर हमने उड़ीसा के लिए एक टिकाऊ तथा जलवायु हितैषी भविष्य के निर्माण का सर्वोत्तम अवसर पाया है।
और, मुझे उम्मीद है कि उड़ीसा और यहां संपन्न हुए इस महती कार्य से बाकी देश तथा दुनिया के अन्य जोखिमग्रस्त क्षेत्रों में जलवाय परिवर्तन की चुनौतियों से निबटने के लिए एक अनुकरणीय मॉडल तैयार होगा।
आज यहां उपस्थित होने के लिए तथा उड़ीसा के जलवायु हितैषी तथा निम्न कार्बन भविष्य के निर्माण में आपके योगदान के लिए मैं एक बार फिर आप सबको धन्यवाद देता हूं।
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