भाषण

ब्रिटेन और प. बंगाल की सहभागिता

भारत के साथ वाणिज्यिक संबंधों, तथा ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन मामलों के ब्रिटिश मंत्री ग्रेग बार्कर के अभिभाषण का अंश जो उन्होंने ‘ब्रिटेन और प. बंगाल की सहभागिता’ सेमिनार में दिया था।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
The Rt Hon Gregory Barker

सम्मानित अतिथिगण, देवियो और सज्जनो,

मैं दोबारा कोलकाता आकर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं। पिछले दो वर्षों में इस शहर का यह मेरा तीसरा दौरा है- पिछली दफा मैं यहां गत वर्ष नवंबर में अपने प्रधानमंत्री डेविड कैमरून के साथ आया था। और पुनः वापस आकर अच्छा लग रहा है। यह शहर समृद्ध इतिहास, संस्कृति और विरासतों से भरा है। मैंने अपने पिछले दौरों में यह महसूस किया कि यहां आपके पास एक सक्रिय तथा तीव्र विकासशील व्यापार का आकर्षक विस्तार मौजूद है, जिनमें से कुछ का संबंध ब्रिटेन से है और हम इन संबंधों को और भी दृढ़ तथा विकसित करना चाहते हैं।

आपके अनेक व्यापार तथा राजनैतिक परिक्षेत्र के नेताओं से मेरी वार्ताओं के आधार पर भारत के इस हिस्से में महत्वाकांक्षाओं के विशुद्ध मानदंडों तथा आशाजनक संकेतों के बारे में भी मैं जानता हूं। पूर्वी तथा पूर्वोत्तर भारत के लिए प्रवेशद्वार के रूप में कोलकाता की रणनीतिक स्थिति की वजह से यह लंबे समय से अनिवार्य वाणिज्यिक केंद्र बना रहा है। इससे भी ज्यादा, भारत की पूर्वाभिमुख नीति (लुक ईस्ट पॉलिसी) तथा पड़ोसी देशों नेपाल, बांग्लादेश, भूटान तथा बर्मा के लिए के लिए अपने बाजार खोलने की नीति से यहां के व्यापारिक वातावरण में एक नयी हलचल आ रही है।

यहां वास्तविक अवसर मौजूद है। पश्चिम बंगाल सरकार के पास राज्य के विकास के लिए एक आकर्षक अभिकल्पना है, और मुझे यह कहते गर्व हो रहा है कि ब्रिटिश कंपनियां उनकी इस अभिकल्पना को हकीकत में बदल देने की बेहतरीन क्षमता रखती हैं। चाहे यह बड़े पैमाने के उद्योग और परिवहन संबंधी आधारभूत संरचना के बारे में राज्य सरकार की योजना हो; चाहे यह सरकार की नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग की महत्वाकांक्षा हो अथवा यह पं. बंगाल के असाधारण प्रतिभा संपन्न मानव संसाधन की पूरी क्षमता के इस्तेमाल के लिए उनके कौशल को समुन्नयन करने की राज्य सरकार की प्रतिबद्धता हो, ब्रिटिश कंपनियां इन सबमें अपना योगदान देने के लिए उपयुक्त हैं।

इसलिए मुझे इस सप्ताह यहां सत्रह ब्रिटिश कंपनियों के साथ उपस्थित होने पर प्रसन्नता हो रही है जो हाल के दिनों में कोलकाता आने वाले सबसे बड़े व्यापार प्रतिनिधिमंडलों में से एक है। यहां आने वाली कंपनियां जिन दो क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता के लिए जानी जाती हैं वे हैं: आधारभूत संरचना और शिक्षा, कौशल और प्रशिक्षण। हमारे साथ आज कुछ ऐसे विशेषज्ञ भी मौजूद हैं जो यहां के किसी भी व्यावसायिक उपक्रम को ब्रिटेन में अपना कारोबार स्थापित करने में मदद करने को इच्छुक हैं।

अब मैं इनमें से प्रत्येक क्षेत्र के बारे में दो शब्द कहूं।

आधारभूत संरचना

शहरी विकास, औद्योगीकरण, और शहरी नवीकरण तथा तटीय शहरों के विकास और विरासतों के संरक्षण के क्षेत्र में ब्रिटेन के पास वास्तविक क्षमता है। नई आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए भारत की दस खरब डॉलर की योजना ब्रिटिश आधारभूत संरचना से जुड़ी कंपनियों के लिए भारतीय सहभागियों के साथ मिलकर काम करने के रोमांचक अवसर प्रदान करती है। भारत के विकास के इस क्षेत्र में निजी कंपनियां एक महत्वपूर्ण और संवृद्धि मूलक भूमिका निभाती हैं। मुझे बताया गया है कि आधारभूत संरचना में भारत के कुल निवेश का आधा हिस्सा आने वाले सालों में निजी कंपनियों की ओर होगा। बड़ी परियोजनाओं में अब अधिक से अधिक सार्वजनिक-निजी सहभागिता को अपनाया जाने लगा है। यहां भी ब्रिटिश कंपनियों की क्षमता का बढ़िया ट्रैक रिकॉर्ड रहा है।

हमारे प्रतिनिधिमंडल की कंपनियों के पास मास्टर प्लानिंग, इंजीनियरिंग, और इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी तथा आर्किटेक्चर, जल परियोजनाओं एवं फ्लाइओवर, पुल निर्माण के क्षेत्रों में विश्वस्तरीय विशेषज्ञता और अनुभव है। ब्रिटेन आधारभूत संरचना क्षेत्र में टिकाऊ समाधान पेश करने के मामले में दुनिया में अग्रणी है। हमारे लिए आधारभूत संरचनाओं की विशाल परियोजनाओं पर काम करना हमारी स्वाभाविक रुचि का हिस्सा है।

हमारा निर्माण क्षेत्र इसका प्राथमिक उदाहरण है:

हमारे प्रसिद्ध और भव्य ओलंपिक स्टेडियम में आम तौर पर इस्तेमाल हो सकने वाले स्टील की आधी मात्रा से भी कम की जरूरत पड़ी, रिसाइकल सामग्रियों का भरपूर इस्तेमाल किया गया। छतों को संभालने वाले सहारे के लिए पुरानी गैस पाइपों का इस्तेमाल किया गया।

ओलंपिक वेलो पार्क में निर्माण में भी स्टील की आमतौर पर लगने वाली मात्रा से कम की जरूरत हुई क्योंकि इसके लिए टिकाऊ लकड़ी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया। और साथ ही इसकी ढालुआं छातों की मदद से वर्षा जल संचित कर हमने पानी की मात्रा में तीन चौथाई से भी अधिक बचत की।

ब्रैडफोर्ड युनिवर्सिटी के नए छात्रावास के निर्माण को अपने न्यूनतम कार्बन फुटप्रिंट और ऊर्जा इस्तेमाल के लिए एक यूरोपियन पुरस्कार से नवाजा गया और इसके निर्माण पर आम तौर पर ऐसे किसी भवन के निर्माण पर आने वाली लागत से पच्चीस प्रतिशत कम लागत आई।

मुझे यह कहते खुशी हो रही है कि आधारभूत संरचना क्षेत्र में प. बंगाल और ब्रिटेन के बीच कुछ बेहतरीन सहभागिता पहले से मौजूद है। हमारे शहरी पुनर्निर्माण विशेषज्ञों ने कोलकाता के पुनर्निर्माण में स्थानीय प्राधिकारों तथा निजी कंपनियों के साथ बड़े निकट से जुड़कर काम किया है। ब्रिटिश विशेषज्ञों ने नदीतट विकास के लिए कुछ साल पहले सुझाव दिए हैं और अब राज्य सरकार के आमंत्रण पर ब्रिटिश विशेषज्ञ प्रसिद्ध रायटर्स बिल्डिंग के पुनर्विकास के काम में शामिल होंगे।

इस शहर के साथ हमारा मजबूत और विकसित होता संबंध तथा शहरी आधारभूत संरचना के सृजन और पुनर्निर्माण में ब्रिटेन की प्रमाणित विशेषज्ञता और नेतृत्व के कारण ही प. बंगाल सरकार ने कोलकाता शहर को विकसित करने के मानक आधार के रूप में दुनिया में बड़े-बड़े शहरों में से लंदन को ही चुना।

कौशल

ब्रिटेन के व्यावसायिक कौशल और प्रशिक्षण प्रदाताओं के पास दुनिया भर के लोगों को विश्वस्तरीय कौशल प्रदान करने का सौ साल से अधिक का अनुभव है। हम अकेले ब्रिटेन में ही दुनिया भर के 30 लाख प्रशिक्षुओं/विद्यार्थियों को सालाना प्रशिक्षित करते हैं और इससे कई गुना अधिक संख्या में हम दुनिया के उन एक सौ देशों में प्रशिक्षुओं/विद्यार्थियों को तैयार करते हैं जहां ब्रिटिश कौशल प्रदाता कार्यरत हैं।

अधिक से अधिक संख्या में कुशल कार्यबल का विकास करना भारत के भविष्य के विकास कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है और इस तथ्य से केन्द्र और राज्य सरकार अच्छी तरह अवगत हैं। मुझे इस बात का गर्व है कि भारत में पहले से ही ब्रिटेन के सबसे अनुभवी और अभिनव कौशल विकास प्रदाता कार्यरत हैं। वे नीति विकास के परामर्श, तकनीकी सहायता, क्षमता विकास, पाठ्यक्रम और पाठ सामग्री के विकास, प्रशिक्षण, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, मूल्यांकन और प्रमाणन के क्षेत्रों में अपनी सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। उनके लिए संभावनाएं और भी अधिक हैं और मुझे इस बात की खुशी है यहां मौजूद कुछ कंपनियों ने भी इसमें सक्रिय रुचि दिखाई है।

जलवायु परिवर्तन तथा ऊर्जा

अब मैं ब्रिटेन का भारत से व्यापार समझौते का मंत्री होने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन तथा ऊर्जा मंत्री भी हूं। ब्रिटिश सरकार ने जलवायु परिवर्तन को वैश्विक समृद्धि तथा सुरक्षा के लिए एक मूलभूत संकट स्वीकार किया है। जलवायु परिवर्तन को जिस तरह आर्थिक उसी तरह पर्यावरण अनिवार्यता के रूप में ग्रहण किया जाता है। हमने हाल के वर्षों में “विकास” तथा “निम्न कार्बन” दोनों पक्षों पर समान बल देते हुए निम्न कार्बन आधारित आर्थिक विकास की दिशा में केंद्रित काफी काम किए हैं। मुझे खुशी है कि पश्चिम बंगाल सरकार के साथ हमारी सरकार की साझेदारी में जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। हम साथ-साथ कई प्रस्तावों पर कार्य कर रहे हैं जो राज्य की निम्न कार्बन तथा जलवायु-सुनम्य नीतियों को और विकसित करने में सहायक होंगे। ये नीतियां इस राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगी और मैं आश्वस्त हूं कि इन नीतियों से प.बंगाल के आर्थिक और वाण्यिज्यिक भविष्य में नए अवसरों का सृजन होगा। अब मुझे इनमें से कुछ की खासतौर पर चर्चा करने की अनुमति दें:

  • हम साथ-साथ निम्न कार्बन विकास के लिए आर्थिक संसाधन जुटाने की एक परियोजना पर काम कर रहे हैं। इस परियोजना का लक्ष्य: ऊर्जा, उद्योग, इमारत तथा अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में ऊर्जा उपभोग में सुधर हेतु प्रोत्साहन उपलब्ध कराना है। भारत में यह अपने तरह की अकेली परियोजना है जिसमें आर्थिक आकलन, प्रोत्साहन तथा कर-नीतियां के अलावा वर्तमान औद्योगिक नीतियों के लिए जलवायु-परिवर्तन के नजरिए से पुनर्निरीक्षण की अभिकल्पना की गई है।
  • हमने सड़कों के प्रकाश-स्रोतों (स्ट्रीट लाइटिंग) के लिए निम्न कार्बन ऊर्जा संरक्षक लेड तकनीक की उपलब्धि और स्वीकार्यता के लिए साथ मिलकर काम किया है
  • नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत परियोजनाओं के लिए निवेश जुटाने के प्रयत्नों से प्रेरित होकर हमने प. बंगाल के लिए एक नवीकरणीय ऊर्जा नीति विकसित करने की दिशा में साथ मिलकर काम किया है। अभी प. बंगाल में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग बढ़ाने की संभावना के लिए ब्रिटिश दल राज्य सरकार के ऊर्जा विभाग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

अपने गत दौरे में, मैंने इंग्लैंड तथा कोलकाता महानगरपालिका के बीच एक समझौता ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जो नगरनिकाय की 2020 विज़न रणनीति के एक भाग के रूप में एक समावेशी, निम्न कार्बन तथा जलवायु परिवर्तन सहनीय कोलकाता के विकास में सहयोग हेतु प्रस्तावित था। यहां मुझे इसका जिक्र करते हुए खुशी हो रही है कि आज इसके बाद मैं इस नीति के कार्यान्वयन तथा आर्थिक सहायता के लिए एक कार्ययोजना की घोषणा करने जा रहा हूं, जिसे ब्रिटिश सरकार अपने अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग की परियोजना मद से उपलब्ध कराएगी।

आवक निवेश

मैं जरा संक्षेप में आपको अपने देश के बारे में बताऊं। आपमें से बहुतों ने वैश्विक रूप से अपने व्यापार को फैलाने की योजना बनाई होगी। आपके लिए मेरा एक सरल संदेश है: ब्रिटेन आइए, आपका बहुत हार्दिक स्वागत होगा। दुनिया में हमारे देश का माहौल सबसे अधिक व्यवसाय हितैषी है। जी 7 देशों में हमारा सबसे कम कॉरपोरेशन टैक्स है, और साथ ही हमारी गतिमान व्यवसाय संस्कृति है और हमारे देश का माहौल ऐसा है जो अभिनव प्रयासों एवं उद्यमिता के अनुकूल है। ब्रिटेन के बाजारों में भारी अवसर उपलब्ध होने के साथ-साथ ब्रिटेन यूरोपीय संघ के बाजारों का उपयुक्त प्रवेश द्वार भी है और ब्रिटेन को आधार बनाकर आप संपूर्ण यूरोप में अपना व्यवसाय फैला सकते हैं।

यही कारण है कि ब्रिटेन को बाकी संपूर्ण यूरोपीय संघ की तुलना में अधिक भारतीय निवेश प्राप्त होता है। इस निवेश का एक बड़ा हिस्सा भारत के इसी इलाके से आता है, लेकिन इससे भी बहुत अधिक हो सकता है और होना चाहिए। कल मैं कोलकाता के बहुत से निवेशकों से मिल रहा हूं जिनका ब्रिटेन में सफल व्यवसाय है। उनके साथ मेरी मुलाकात का उद्देश्य है उनके व्यवसाय के विस्तार की उनकी योजना पर चर्चा करना। मुझे विश्वास है आपमें से कुछ उनके साथ जरूर शामिल होंगे। ब्रिटिश वाणिज्य और निवेश की हमारी टीम को आपके साथ आपकी योजनाओं पर चर्चा कर बड़ी प्रसन्नता होगी।

भारत-ब्रिटेन: फलते-फूलते वाणिज्य-संबंध में भूमिका

भारत और ब्रिटेन के संबंध निरंतर फल-फूल रहे हैं। 2015 तक हमें अपने व्यापार के दुगुना हो जाने की उम्मीद है। और दोनों ओर के निवेश लगातार बढ़ रहे हैं। बीपी और वोडाफोन जैसी ब्रिटिश कंपनियों ने भारत में भारी निवेश किए हैं। ब्रिटेन अब भारत का तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है और भारत ब्रिटेन में 5वां सबसे बड़ा निवेशक है।

इन परिवर्तनों की दिशा में और अधिक प्रयास करने की जरूरत है, इस बात को समझकर प्रधानमंत्री ने मुझे मेरे ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन विभाग के अतिरिक्त एक और महत्वपूर्ण दायित्व सौंपते हुए मुझे ‘भारत के साथ वाणिज्यिक संबंधों का मंत्री’ नियुक्त किया है। ब्रिटिश सरकार में किसी भी अन्य देश के लिए इस तरह के पद और कार्यभार का यह प्रथम और एकमात्र उदाहरण है। यह इस बात का परिचायक है कि ब्रिटिश सरकार भारत के साथ व्यापार संबंधों को कितना महत्व देती है। मुझे लगता है हमने अभी केवल इस संबंध की क्षमता और संभावना को केवल ऊपरी या सतही स्तर पर ही छुआ है और मैं ब्रिटेन/भारत व्यापार सहयोग को और आगे ले जाने को दृढ़संकल्प हूं।

निष्कर्ष

मैं जानता हूं कि प. बंगाल तथा इंग्लैंड के मध्य फलते-फूलते संबंधों के प्रति प. बंगाल सरकार का रुख हमेशा सहयोगी और सकारात्मक रहा है। तथा प. बंगाल का सक्रिय निजी क्षेत्र परियोजनाओं में सहयोग के लिए हमेशा उत्सुक और तत्पर रहता है।

हमें केवल आधारभूत संरचना या शिक्षा, कौशल तथा प्रशिक्षण या ऊर्जा क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रहना है, यद्यपि स्वास्थ्य, खाद्य एवं पेय, अभियंत्रण या आइटीसी, इन सभी क्षेत्रों में ब्रिटिश कंपनियां आपके साथ काम करने के लिए इच्छुक हैं। इंग्लैंड के व्यापार तथा निवेश दल आपके व्यापार को और आगे विकसित करने हेतु इंग्लैंड में आपके लिए साझीदार ढ़ूंढ़ने, तथा इंग्लैंड में आपके व्यापार की स्थापना करने के लिए सहायता जैसे मामलों में आपके सहयोग के लिए बहुत उत्सुक हैं।

जैसा कि आप इस कमरे में प्रदर्शित ब्रांड नामों से पाते हैं कि हम ब्रिटेन के ग्रेट होने का उत्सव मना रहे हैं। जब हमें यह कहते हुए गर्व होता है कि ब्रिटेन ग्रेट है। हम ब्रिटेन निवासी इस बारे में भी बिल्कुल स्पष्ट हैं कि भारत भी महान है। जबकि हमारे दोनों ही देश महान हैं, तो साथ मिलकर हम और भी महान बन जाते हैं। यही कारण है कि ब्रिटिश सरकार ने भारत और ब्रिटेन के मध्य अपेक्षाकृत अधिक दृढ़ सहभागिता के निर्माण का लक्ष्य बनाया है। मैं इस बारे में आश्वस्त हूं कि आज की सुबह किए गए व्यापार सेमिनार की तरह मुक्त वार्ताओं से न केवल सकारात्मक रुख बना रहेगा जिसे हमने वर्षों में निर्मित किया है बल्कि यह अन्य कई क्षेत्रों में अधिक घनिष्ठ संबंधों को सुनिश्चित करने तथा आने वाले वर्षों में और अधिक उपलब्धियों का उत्सव मनाए जाने के लिए भी मददगार सिद्ध होगा।

धन्यवाद।

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प्रकाशित 7 फरवरी 2014