भाषण

ब्रिटेन-भारत: स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में साझेदारी

चेन्नई में ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त श्री भरत जोशी द्वारा 26 अप्रैल को पुदुच्चेरी स्थित जेआईपीएमईआर (जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) के 5वें दीक्षांत एवं स्वर्णजयंती समारोह के अवसर पर दिए गए अभिभाषण की प्रतिलिपि।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
HM Ambassador to Angola and São Tomé and Príncipe Bharat Joshi

आदरणीय अध्यक्ष डॉ. महाराज किशन भान; माननीय निदेशक टी एस रविकुमार, आदरणीय डीन डॉ. एस महादेवन

इस गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए धन्यवाद, या शायद इस ख्यातिप्राप्त संस्थान का उद्भव L’École de Médicine de Pondichérry के रूप में होने के मद्देनजर मुझे कहना चाहिए- merci fortement pour cet bienvenu tres chaleureux!

आज यहां आकर मैं अत्यंत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। सम्मानित इसलिए क्योंकि मुझसे पहले यहां वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और प्रो. एम.एस. स्वामिनाथन जैसे लोग यहां आ चुके हैं। सम्मानित इसलिए कि जेआईपीएमईआर की वैश्विक प्रतिष्ठा भारत के अग्रणी चिकित्सा महाविद्यालय के रूप में रही है। और जेआईपीएमईआर की 50वीं वर्षगांठ पर आमंत्रित होने पर तो खास तौर पर सम्मानित महसूस कर रहा हूं।

जेआईपीएमईआर के साथ हमारा खास संबंध रहा है। जेआईपीएमईआर पहला भारतीय संस्थान है जिसने हेल्थकेयर यूके के साथ एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया है। और ज्यादातर ब्रिटिश अस्पतालों की तरह 99.5% स्वास्थ्य सुविधाएं निःशुल्क प्रदान की जाती हैं। इंटरनेशनल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (जेआईएसपीएच) सहित जेआईपीएमईआर के भविष्य की आकांक्षाओं तथा ट्रॉमा केयर, अलाइड हेल्थ साइंस और रिसर्च जैसे नए केन्द्रों को लेकर हम बेहद रोमांचित है।

मैं यह भी स्वीकार करना चाहता हूं कि आप सब जो कुछ करते हैं उसकी मैं कितनी तारीफ करता हूं। स्वास्थ्य सेवा महत्वपूर्ण क्षेत्र है। मेरा मतलब प्राथमिक देखभाल या जन स्वास्थ्य अथवा शिक्षा, प्रशिक्षण या शोध के सीमित दायरे से नहीं है। मेरा तात्पर्य व्यापक अर्थ में है। कूटनीति के समान स्वास्थ्य सेवा भी जनता का विषय है जिसका लक्ष्य होता है लोगों के जीवन को बेहतर बनाना। यही सिद्धांत स्वास्थ्य सेवा के मूल में होना चाहिए। आखिर, स्वास्थ्य सेवा का संबंध लोगों के स्वास्थ्य से है न कि बीमारियों से। हर दिन ब्रिटिश स्वस्थ्य सचिव जेरेमी हंट को कम से कम एक पत्र ऐसा मिलता है जो ऐसे व्यक्ति की ओर से आता है जिसे गलत एनएचएस सेवा का अनुभव मिला होता है।

ब्रिटेन भारत का संबंध महत्वपूर्ण है। हम ऐतिहासिक तौर पर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। चेन्नई में भारतीय मूल के पहले ग्रेट ब्रिटेन के राजदूत के रूप में मैं स्वयं इस बात का प्रमाण हूं कि यह संबंध कहां तक गहरा है। ब्रिटेन भारत के लिए केवल प्रतिबद्ध ही नहीं है बल्कि हमारी सरकार ने भारत के भविष्य में अपने आर्थिक और मानवीय संसाधनों का निवेश करना जारी रखा है जबकि आर्थिक संकट के बाद हमने दुनिया के बाकी देशों में अपने निवेश कम करते जाने की नीति बना रखी है। हमारी कंपनियों और संस्थाओं ने भी इसी नीति को अपनाया है।

पिछले साल नवंबर में हमारे प्रधानमंत्री, डेविड कैमरून ने सं.रा. सुरक्षा परिषद के पुनर्गठन में भारत की सदस्यता सुनिश्चित करने के लिए हमारे समर्थन की बात सार्वजनिक रूप से कही है। हमने अभी हाल में विकासशील देशों के साथ विज्ञान एवं अभिनवता के लिए भागीदारी हेतु 37.5 करोड़ पाउंड के न्यूनट फंड की घोषणा की है जिसमें से 5 करोड़ पाउंड की राशि केवल भारत के लिए रखी गई है।

ब्रिटेन भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है। भारत ईयू के शेष सभी देशों में सम्मिलित रूप से जितना निवेश करता है उससे कहीं अधिक अकेले ब्रिटेन में करता है इसमें ब्रिटेन के विनिर्माण क्षेत्र में सर्वाधिक 45,000 रोजगार सृजन करने वाले के रूप में टाटा शामिल हैं। अभी वर्तमान में 30,000 भारतीय छात्र ब्रिटेन में शिक्षा पाप्त कर रहे हैं। इस साल हमारी सरकार भारतीय छात्रों के लिए 1000 अतिरिक्त छात्रवृत्ति प्रदान करेगी और आने वाले दिनों में इससे भी अधिक की संभावना है।

ब्रिटेन-भारत शैक्षिक शोध कार्य ने नेतृत्व, अभिनवता, दक्षता और छात्र गतिशीलता में इसके उतरने के बाद से अब तक 1047 भागीदारों को सहायता प्रदान किया है।
संयुक्त रूप से वित्त प्रदान किया गया शोध जो महज पांच साल पहले 10 लाख पाउंड का था आज 15 करोड़ पाउंड का है। आरसीयूके इंडिया ने 80 से अधिक उच्च गुणवत्ता और उच्च प्रभाविता वाले ब्रिटिश-भारतीय शोध परियोजनाओं में सहायता की है जिसमें 90 औद्योगिक भागीदार शामिल हैं।

भारत और ब्रिटेन अपनी सुरक्षा और समृद्धि के लिए एक दूसरे पर निर्भर हैं। इस तरह हम एक परिवार की तरह हैं। द्विपक्षीय संबंध के मूल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग निहित है—यह पिछले साल भारत आने वाले हमारे प्रधान मंत्री और प्रिंस ऑफ वेल्स जैसे वरिष्ठ ब्रिटिश अतिथियों का विषय रहा है।

हमें ठीक-ठीक पता है कि हम क्या चाहते हैं: हम चाहते हैं स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भारत का पसंदीदा साझेदार बनना। और यह हो रहा है।

मौजूदा भागीदारी को कायम रखने और नई भागीदारी स्थापित करने के उद्देश्य से पिछले साल श्री गुलाम नबी आजाद ने ब्रिटिश स्वास्थ्य मंत्री जेरेमी हंट के साथ ब्रिटेन और भारत के बीच अतिमहत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। प्रमाण आधारित स्वास्थ्य सेवा एवं तकनीकी मूल्यांकन विषय पर नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस ने भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य शोध विभाग के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है।

2012 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) ने एक ऑनलाइन भारतीय संस्कारण की शुरुआत की। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की दक्षता और योग्यता के विकास हेतु ब्रिटिश एवं भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की दक्षता परिषदें साथ मिलकर काम कर रही हैं। भारत में स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शोध परियोजनाओं पर वेलकम ट्रस्ट 15 करोड़ पाउंड की राशि खर्च करने को प्रतिबद्ध है, और नर्सिंग के क्षेत्र में साझेदारी को मजबूत करने के लिए इस साल की शुरुआत में ब्रिटेन के नर्सिंग एंड मिडवाइफ काउंसिल ने भारत का दौरा किया।

मैं जरा स्पष्ट करूं: हम साझेदारी की बात कर रहे हैं। हम अपनी जानकारी और अपनी गलतियां भारत से साझा करना चाहते हैं। और भारत से हम अधिक से अधिक से सीखना चाहते हैं। एक ओर जहां चिकित्सा के क्षेत्र में ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने 34 नोबेल पुरस्कार जीते हैं वहीं दूसरी ओर भारत अपने किफायती अभिनव स्वास्थ्य सेवाओं के केन्द्र के रूप में दुनिया भर में प्रतिष्ठित है।

भारत के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा शिक्षा, शोध और प्रशिक्षण संस्थान को हम क्या प्रदान करना चाहते हैं? मैं आपके समक्ष कुछ उदाहरण प्रस्तुत करता हूं:

  • दुनिया भर में मेडिकल रोबोटिक्स का बाजार सालाना 50% की दर से बढ़ रहा है। रोगियों के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले इस ओर रुझान है। iLIMB दुनिया का सबसे दक्ष, बहुआयामी, मानवरूपी रोबोटिक हाथ है जिसे कई जरूरतमंद लोगों के शरीर में लगाया गया है। इसका विकास ब्रिटिश एसएमई टच बायोनिक्स द्वारा एडिनबर्ग युनिवर्सिटी के साथ मिलकर किया गया है।

  • रीजेनेरेटिव दवाइयों के निर्माण में ब्रिटेन अग्रणी है। ब्रिटेन के कार्डियोवैस्क्युलर केन्द्रों में हृदय की पेशी के ऊतक तैयार किए जा रहे हैं और जब यह जरूरतमंद रोगियों तक पहुंचने लगेगा तब इसकी धूम मचेगी। हम ऐसे नए ऊतक तैयार कर सकते हैं जो रोगियों के शरीर द्वारा नकारे जाने वाले कारकों का समाधान कर पाएगा जिससे उन रोगियों का जीवन बचाया जा सकेगा जो उन दवाइयों को लेने में सक्षम नहीं होते जिन्हें उनके शरीर के ऊतक स्वीकार नहीं करते। इस तकनीक का इस्तेमाल नेत्र रोग और पर्किंसन रोग के उपचार के लिए किया जा रहा है।

  • 2018 तक ब्रिटेन की सरकार का लक्ष्य है कागजी कामकाज को बंद कर देना। क्यों? क्योंकि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा के लिए अच्छी तरह से प्रलेखित और सटीक मेडिकल रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण है। ब्रिटेन की कंपनियां नए-नए चिकित्सीय आईटी समाधान ढूंढ़ रही हैं ताकि चिकित्सीय अनुप्रयोगों में अत्याधुनिक ध्वनि पहचान क्षमताओं का इस्तेमाल किया जा सके।

ये उन चीजों के कुछ उदाहरण हैं जो हम भारत को प्रदान कर सकते हैं।

और हम भारत से क्या सीख सकते हैं? ऐसी बहुत चीजें हैं।

महत्वपूर्ण चिकित्सीय, तकनीकी और वैज्ञानिक उन्नतियों तथा साथ ही साथ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए मांग में परिवर्तन, उच्च रोगी प्रत्याशा, उम्रदराज और बुजुर्ग होती जनसंख्या एवं लगातार जटिल होती चिकित्सीय परिस्थितियों के कारण ब्रिटेन मे स्वास्थ्य सेवा का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है।

ऐसे में भारत के पास समाधान है। हम भारत की जटिलताओं और व्यापकता से सीखने को इच्छुक हैं। यहां हमारे लिए सीखने के लिए बहुत कुछ है कि एनएचएस की तुलना में भारत किस प्रकार चिकित्सा-सेवा अधिक किफायती और प्रभावी तरीके से उपलब्ध कराता है।

हम उस कम लागत वाले अभिनव तरीकों के बारे में सीखना चाहते हैं जिसके लिए भारत जाना जाता है, जो संपूर्ण भारत के संस्थानों में हमेशा संभव हो रहा है। हम चाहते हैं हमारी शोध सहभागिता रोगी-केन्द्रित नए समाधानों पर ध्यान दे जो लागत प्रभावी हों तथा जिसका लाभ दुनिया भर के लोगों खासकर सर्वाधिक पिछड़े समुदायों के निर्धनतम लोगों तक पहुंचाया जा सके। हमारी स्वास्थ्य सेवा दुनिया भर में पहले स्थान पर है जिसने शोध को बढ़ावा देने को वैधानिक कर्तव्य माना है। ब्रिटेन का स्वास्थ्य विभाग एनएचएस में स्वास्थ सेवा परियोजनाओं, ऊतक रोग और विरूपण, स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली मानसिक स्वास्थ्य जीवनशैली, पर्यावरण और स्वास्थ्य, जरायुता, रोग निरूपण तथा किफायती स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में शोध केन्द्रों और सुविधाओं के लिए कोष उपलब्ध कराने हेतु सालाना लगभग 10 लाख पाउंड की राशि प्रदान करता है।

हम चाहते हैं कि भारत में प्रशिक्षित डॉक्टर ब्रिटेन आकर प्रैक्टिस करें और अपनी दक्षता निखारें और हमें इस बात से खुशी है बहुत से डॉक्टर इस तरह निखरी हुई अपनी दक्षता के साथ वापस भारत लौटते हैं और वहां सिखाते हैं। यहां भी ब्रिटेन के डॉक्टरों को अपने इन सहयोगियों से सीखने के लिए बहुत कुछ है और मुझे इस बात की खुशी है कि इस दिशा में भी हम आगे बढ़ रहे हैं।

और हमारा मानना है कि जिस भूमि में सुश्रुत और चरक जैसी विभूतियों ने जन्म लिया वहां हम आयुर्वेद सहित चिकित्सा शास्त्र की अन्य पद्धतियों से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। मुझे पता है महामहिम प्रिंस ऑफ वेल्स भी यही विचार रखते हैं।

हम अच्छे भागीदार हैं। ब्रिटेन के वैज्ञानिक दुनिया के साथ काम करते हैं और उनके लगभग आधे शोधपत्र विदेशी भागीदारों के साथ मिलकर तैयार किए जाते हैं। इस महती शोध आधार को दुनिया के सबसे मजबूत युनिवर्सिटी प्रणालियों में से एक द्वारा अपना सहयोग प्रदान किया जाता है।

महत्वपूर्ण बात है कि यह कोई भविष्य में होने वाली साझेदारी नहीं है बल्कि यह साझेदारी मौजूदा समय में फल-फूल रही है। स्वास्थ्य सेवा के सभी क्षेत्रों में भारत और ब्रिटेन की संस्थाओं के बीच हम वास्तव में सैकड़ों साझेदारियों को सहयोग देते हैं। उदाहरण के लिए, लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसीन, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एलएसई), टीपीपी सिस्टम वन, लंदन एम्बुलेंस सेवा तथा एनआईसीई इंटरनेशनल सहित कई ब्रिटिश संस्थानों के साथ भागीदारी करने के लिए हम जेआईपीएमईआर के साथ काम कर रहे हैं।

हम इस बात की संभावना देखते हैं कि आपने यहां जिन दक्षताओं को हासिल किया है और जिन दक्षताओं को आप आगे हासिल करेंगे उनका इस्तेमाल कर आप दुनिया को रहने की एक बेहतर जगह बनाने के लिए एक अधिक स्थायी ब्रिटेन-भारत सहभागिता के निर्माण हेतु आप सभी उस साझेदारी के लिए महत्वपूर्ण वितरण सहयोगी और राजदूत बनने वाले हैं।

आप सबको बधाई और ध्यान देने के अनुग्रह के लिए धन्यवाद!

आगे की जानकारी

  • चेन्नई में ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त श्री भरत जोशी द्वारा यह अभिभाषण 26 अप्रैल को पुदुच्चेरी स्थित जेआईपीएमईआर (जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) के 5वें दीक्षांत एवं स्वर्णजयंती समारोह के अवसर पर दिया गया। श्री जोशी और जेआईपीएमईआर के अध्यक्ष डॉ. महाराज किशन भान ने स्नातक छात्रों को पुरस्कार भी दिए।

  • पिछ्ले साल जिन ब्रिटिश हस्तियों ने भारत का दौरा किया उनमें हैं- प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और वर्तमान रक्षा मंत्री, अन्ना सॉब्री, कैबिनेट मंत्री केनेथ क्लार्क, प्रोफेसर लॉर्ड केकर और स्वस्थ्य विभाग के स्थायी सचिव ऊना ओ’ब्रायन।

  • मीडिया जानकारी: ब्रिटिश उप-उच्चायोग चेन्नई के प्रेस एवं पब्लिक अफेयर्स ऑफिसर अनिता मॉड्सले से इस मोबाइल नंबर पर संपर्क करें: +91-96001-99956

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प्रकाशित 26 अप्रैल 2014