ब्रिटेन महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध होने वाली हिंसा का उन्मूलन करने के लिए प्रतिबद्ध है
कोलकाता में आयोजित'' इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग'' में ब्रिटिश उप उच्चायुक्त कोलकाता ब्रूस बक्नेल द्वारा दिए गए भाषण के अंश।
हमें यानि कोलकाता के ब्रिटिश उप-उच्चायोग को आज के कार्यक्रम में भागीदार के रूप में शामिल करने के लिए आपका धन्यवाद।
मैं इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन करने और पूरे देश और विदेशों के प्रतिभागियों को एक साथ लाने के लिए कोलकाता के मैरी वार्ड सोशल सेंटर की निदेशक सिस्टर मोनिका सुचियांग और उनकी टीम को बधाई देता हूं।
लेकिन मुझे इस बात की खुशी नहीं है कि हम इस विषय पर 2017 में चर्चा कर रहे हैं। यह एक घृणित अपराध है।
मानव तस्करी के पीडितों को भयानक दुर्व्यवहार और शोषण का सामना करना पड़ता है। इसमें शामिल लोग आत्मसम्मान या इंसान के मूल्यों को नहीं समझते हैं। लोग सामान नहीं हैं।
निजी या व्यावसायिक लाभ के लिए अक्सर अपने जीवन के अतिसंवेदनशील बिंदु पर इस तरह के अपराधों को अंजाम देने वालों और अन्य लोगों का शोषण करने वालों के खिलाफ हमें कार्यवाही करनी चाहिए। हमें इसे बर्दाश्त नहीं करना चाहिए यह सिर्फ व्यक्तिगत लोगों के बारे में नहीं है। मानव तस्करी ने समुदायों की सुरक्षा और एकजुटता को समाप्त कर दिया है। इसने देशों की समृद्धि को खोखला कर दिया है।
बेगारी और मानव तस्करी एक वैश्विक समस्या है। तस्कर न तो सीमाओं का सम्मान करते हैं और न ही न्यायालय का। इसके लिए वैश्विक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। यह कहते हुए काफी आश्चर्य हो रहा है लेकिन दुनिया भर में इसके लगभग 40 मिलियन शिकार हैं।
यह समस्या केवल दूसरों के लिए ही नहीं है - हमारे अनुमान के मुताबिक ब्रिटेन में 10,000-13,000 पीड़ित हैं।
2015 में यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (एसडीजी 8.7) में सर्वसम्मति से हुई स्वीकृति के अनुसार यूके सरकार 2030 तक सभी प्रकार की बेगारी और मानव तस्करी के उन्मूलन हेतु प्रतिबद्ध है।
ब्रिटिश प्रधान मंत्री ने इस मुद्दे को विदेश नीति में शीर्ष प्राथमिकता दी है। यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के अंतर्गत की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए वे बेहतर अंतर्राष्ट्रीय समन्वय की पक्षधर हैं।
सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों को समस्याओं से निपटने और पीड़ितों की मदद करने के लिए हस्तक्षेप और संसाधनों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
यहां भारत में, मेरी सरकार द्वारा कई परियोजनाओं का समर्थन किया जा रहा है। उनमे शामिल है:
- उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना और महाराष्ट्र में 660 दलित मानवाधिकार रक्षकों के लिए पैरालीगल ट्रेनिंग प्रोग्राम
- मानव तस्करी के शिकार लोगों की मदद के दौरान कानून प्रवर्तन एजेंसियों का क्षमता निर्माण
- ब्रिटिश डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट ने तस्करी और बेगारी हेतु असुरक्षित लोगों के सशक्तिकरण के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए हैं।
पुअरेस्ट एरिया सिविल सोसायटी प्रोग्राम (पीएसीएस) स्थानीय नागरिक समाजिक संगठनों के माध्यम से काम करता है जिससे 9 लाख से अधिक गरीब लोगों को उनके अधिकारों तक पहुंचने में सहायता मिल सके और बेगारी के खतरों को कम किया जा सके।
उड़ीसा गर्ल्स इंसेंटिव प्रोग्राम के अंतर्गत 1.3 मिलियन वंचित किशोरों (जिसमें 600,000 से अधिक लड़कियां शामिल हैं) को स्कूल में बने रहने और समय से पहले शादी से बचने व तस्करी के खतरों को कम करने में मदद की गई है।
आइएलओ के साथ मिलकर चलाये जा रहे डीएफआईडी के क्षेत्रीय कार्यक्रम, वर्क इन फ्रीडम (डब्लूआईएफ) के अंतर्गत राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर सुरक्षित प्रवास और सरकारी क्षमता निर्माण का समर्थन किया जाता है। बेहतर प्रवासन निर्णय लेने में मदद करने के लिए इस प्रशिक्षण से 90,000 से अधिक महिलाएं लाभान्वित हुई जिससे भारत, नेपाल और बांग्लादेश से उनकी तस्करी का खतरा कम हुआ है।
मैं जानता हूं कि भारत में व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया गया है जिससे मानव तस्करी के पीडितों के बचाव और पुनर्वास हेतु संगठित अपराध जांच एजेंसी की स्थापना होगी। मुझे उम्मीद है कि विधेयक पर असहमति को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।
अक्सर समाज के सबसे संवेदनशील वर्ग यानि महिलाओं और लड़कियों को मानव तस्करी का शिकार होना पड़ता है।
आज भी महिलाओं के विरूद्ध होने वाली हिंसा को खत्म करने का अंतर्राष्ट्रीय दिवस है। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ होने वाली हिंसा एक ऐसा मुद्दा है जिसे समाप्त करने के लिए ब्रिटेन पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
यह “लीव नो वन बिहाइंड” थीम के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में चलने वाले 16 दिनों के एक्टिविज्म का पहला दिन भी है। क्या करना है?
हमें एक-दूसरे का सहयोग और समर्थन जारी रखते हुए एक बार में सभी के लिए इन घृणित अपराधों को समाप्त करना होगा। हमें समस्त हितधारकों: निजी क्षेत्र, सिविल सोसाइटी और कानून प्रवर्तन व अन्य सीमावर्ती एजेंसियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है।
हमें आम जनता के और शोषण हेतु संवेदनशील समुदाय के बीच मुद्दो को और बेहतर ढंग से समझाने की जरूरत है।
फिर से शोषण के खतरे को कम करने के क्रम में हमें पीड़ितों को उपयुक्त सहायता और पुनर्गठन सेवाओं से जोड़ने के हमें उनकी बेहतर सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए।
[एसडीजी 8.7 - बेगारी को खत्म करने, आधुनिक गुलामी और मानव तस्करी को समाप्त करने और बाल सैनिकों की भर्ती और उपयोग सहित बाल श्रम के सबसे खराब प्रकारों के उन्मूलन और 2025 तक बाल मजदूरी के पूरी तरह से समाप्त करने के लिए तत्काल और प्रभावी उपाय करें।]