भाषण

‘भारत के 100 स्मार्ट शहरों के लक्ष्य में समर्थन के लिए प्रतिबद्ध है यूके’

19 अप्रैल को आयोजित दीर्घकालिक शहरीकरण सम्मेलन में बेंगलुरु स्थित ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त डॉमिनिक मैकएलिस्टर के द्वारा दिए गए भाषण की प्रतिलिपि।

यह 2015 to 2016 Cameron Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था
100 स्मार्ट शहर

देवियों और सज्जनों,

सीआइआइ के वार्षिक पर्यावरण और धारणीयता सम्मेलन में बोलते हुए मुझे अपार प्रसन्न्ता हो रही है।

ब्रिटेन के व्यापार की ही तरह ब्रिटेन ‘मेक इन इंडीया’ अभियान को भी समर्थन देता है। ब्रिटेन भारत के 100 स्मार्ट शहरों के निर्माण के लक्ष्य के समर्थन के लिए प्रतिबद्ध है।

नवम्बर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूके यात्रा के दौरान दोनों प्रधानमंत्री नई पंचवर्षीय योजना के तहत अमरावती, इंदौर और पुणे में तीन स्मार्ट शहरों के निर्माण पर सहमत हुए थे।

डिजाइन बनाने, कूड़ा प्रबंधन, पानी, ऊर्जा और खाद्य प्रणाली, शहरी परितंत्र प्रणाली, परिवहन, मूलभूत संरचना के विकास और पुन:संयोजन जैसे क्षेत्रों में वर्तमान में किए गए चयनों का भविष्य के शहरी आवासों पर गहरा असर होगा।

यूके की कम्पनियां भारत के चार स्तंभीय स्मार्ट शहरों के ढांचे/निरंतर शरीकरण की संपूर्ण अवधि तक सहायता दे सकती हैं। हमारे पास मूलभूत संरचनाओं के विशेषज्ञ हैं-स्मार्ट परिवहन से लेकर पानी और कचरा प्रबंधन के लिए गतिशीलता तक- डिजिटल में- खासतौर से वित्तीय तकनीक और ई-कॉमर्स में- और डिजाइन, विशेषज्ञ सेवाओं, स्वास्थ्य-सेवा और ई-गर्वनेंस में।

2012 का लंदन ओलम्पिक दीर्घकालिक शहरीकरण के सिद्धांतों पर विकसित पूर्वी लंदन का एक बेहतीरन उदाहरण है। इसकी कुछ उपलब्धियां इस प्रकार हैं

  • लंदन 2012 की सबसे स्पष्ट उपलब्धि रही है कभी एक दूषित औद्योगिक जमीन रह चुकी जगह पर ओलम्पिक पार्क का निर्माण करना, जो 150 वर्षों तक के लिए यूरोप का सबसे बड़ा नवीन शहरी बागीचा बन गया।
  • लंदन वेलोड्रोम को प्राकृतिक ठंडक, जल संचयन और दिन के प्रकाश का गौरव हासिल है, और उसे काफी हल्की साम्रग्रियों से बनाया गया था।
  • ओलम्पिक में इस्तेमाल किए गए 4,000 वाहनों में से 240 विद्युतीय और हाइब्रिड कार थी।
  • माड़ और सेल्यूलोज जैसे अपघटनीय पदार्थों के इस्तेमाल से फूड पैकेजिंग किया गया था।
  • हैंडबॉल के अखाड़े के स्थान ‘कॉपर बॉक्स’ को बनाने में 3,000 वर्ग मीटर के अधिकतर पुनरावर्तित तांबे का इस्तेमाल किया गया था, जिससे कि दिन में रोशनी की आवश्यकता नहीं हुई और बारिश के पानी के संग्रहण को बढ़ावा मिला।
  • ओलम्पिक की दूसरी सबसे बड़ी इमारत अक्वाटिक सेंटर को व्यावसायिक या औद्योगिक इस्तेमाल के बाद बेकार पड़ी जगह (ब्राउनफील्ड) पर दीर्घकाल तक चलने वाली लकड़ी से निर्मित किया गया। ट्रकों के ईंधन को बचाने के लिए सामाग्रियों को रेलगाड़ियों के जरिए पहुंचाया गया।
  • खेल के संचालन से उत्पन्न हुए 100 प्रतिशत कचरे को कचरा भराव क्षेत्र से हटाया गया और उसमें से 62 प्रतिशत कचरे का पुन:उपयोग, पुनर्नविनिकरण और खाद में परिवर्तित किया गया। इसके अतिरिक्त शुरुआत से लेकर अंत तक खेलों के स्थानों से उपजे 99 प्रतिशत कचरे का पुन:उपयोग और पुनर्नवीनीकरण किया गया।
  • यूके की योग्यता उसकी शहरी डिजाइन, योजना और संरचना में निहित है। बीआरई यूके ने बीआरईईएएम ग्रीन इमारतों का मानक और बिल्डिंग इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट (बीआइएम) सॉफ्टवेयर विकसित किया जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल किया जाता है।
  • यूके की निर्माण और सिविल इंजीनियरिंग कम्पनियां दुनियाभर की शहरी मूलभूत संरचनाओं के विकास में अग्रणी रही हैं। उनमें से एक एटकिंस (एटीकेआइएनएस) बैंगलोर में स्थित है।
  • यूके के इन गुणों को वैश्विक स्तर पर बड़े मूलभूत संरचनाओं और शहरी विकास वित्तीय और योजना के कार्यों में लागू किया गया।
  • अब यूके में 3,384 से अधिक निम्न कार्बन उत्सर्जन करने वाली बस चल रही हैं (जिससे 15 प्रतिशत वेल-टू-व्हील- जीएहजी की बचत होती है)। 1,500 विद्युतीय हाइब्रिड बसें और 15 शुद्ध विद्युतीय बसें लंदन की सड़कों पर दौड़ रही हैं। तकरीबन 3,000 बसों को बायोडीजल, अपशिष्ट उत्पादों से अक्षय बायोडीजल पर चलाए जाने की उम्मीद है जिसमें खाद्य तेल और मांस प्रसंस्करण व्यवसाय से उत्पन्न तेल भी शामिल है।

भारत में कार्बन के कम उत्सर्जन और जलवायु के लचीलेपन के क्षेत्र में हमारे द्वारा किए जाने वाले कार्यों में शामिल है:

  • मदुरई और मैसूर को विशेष योजना संबंधी उपकरणों के जरिए उनके निम्न कार्बन वाली मुख्य योजनाओं को समर्थन देना। प्रारंभिक जांच के काफी प्रभावशाली नतीजे सामने आए हैं और इसमें 30 प्रतिशत कम जमीनी विस्तार हुआ है, 45 प्रतिशत कम निवेश और 33 प्रतिशत कम कार्बन उत्सर्जन। इनमें से कई सिफारिशों को नगर निगमों द्वारा उनकी मुख्य योजनाओं में शामिल किया गया है।
  • एक और योजना जिसे हम समर्थन दे रहे हैं वह है ‘अलुवा’ को भविष्य के लिए सुरक्षित बनाना। केरल के कोच्चि शहर के अलुवा कस्बे को जलवायु स्तर पर लचीला बनाने के लिए एक फ्रेमवर्क बनाने का कार्य जारी है।
  • डीएफआइडी ने कोलकाता में भी कार्बन के कम उत्सर्जन, कुशलता और क्षमता के निर्माण और शहरों को जलवायु के स्तर पर और लचीला बनाने की दिशा में वहनीय व्यावसायिक अवसरों के निर्माण के लिए योजना बनाई है।

स्थिरता के लिए सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय पहलुओं पर समग्र विचार की आवश्यकता है ताकि शहरी चुनौतियों का सामना कर भविष्य की जरूरतों को पूरा किया जा सके। धारणीय शहरीकरण शहरी इलाकों में धारणीय विकास की प्रक्रिया का ही एक हिस्सा है।

विभिन्न हितधारकों को एक छत के नीचे एकत्रित कर स्थाई शहरीकरण की आवश्यकता पर चर्चा की पहल करने के लिए मैं सीआइआइ को बधाई देना चाहता हूं।

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प्रकाशित 20 अप्रैल 2016