भाषण

ब्रिटेन का ध्यान क्षेत्रीय व्यापार और संयोजकता को बढ़ाने पर केंद्रित है

कोलकाता में बुधवार 8 नवंबर, 2017 को आयोजित यंग थिंकर्स कॉन्फ्रेंस में भारत के ब्रिटिश उप उच्चायुक्त डॉ. अलेक्जैंडर इवांस के व्याख्यान का उद्धरण।

यह 2016 to 2019 May Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था
Dr Alexander Evans OBE

बीबीआईएन की निगाह चार दक्षिण एशियाई देशों के बीच आर्थिक सहयोग और कनेक्टिविटी में सुधार करना है।

लेकिन यह कनेक्टिविटी सिर्फ सड़क, रेलवे अंतर्देशीय जलमार्ग, या ऊर्जा संचरण लाइन तक सीमित नहीं है। इससे आप केवल एक निश्चित दूरी तक जा सकते हैं। इसमें स्ट्रीमलाइनिंग प्रक्रिया की बाधाओं को दूर करना - टैरिफ और कस्टम्स को कनेक्टिविटी के तौर पर देखना और निजी क्षेत्र पर व्यापक विनियामक भार शामिल हैं।

विश्व बैंक का अनुमान है कि अगर बाधाओं को हटा दिया जाए और प्रक्रियायों को सुव्यवस्थित कर दिया जाए तो दक्षिण एशिया में अंतर-क्षेत्रीय व्यापार लगभग चौगुना होकर 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है; भौतिक कनेक्टिविटी को बढ़ाकर इसे प्रभावशाली तरीके से आगे बढ़ाया जा सकता है।

बीबीआईएन लोगों के लिए भी है। इस क्षेत्र में पहले से ही इसे जोड़ने करने के लिए बहुत कुछ है - समान व्यवस्था, समान मूल्य, जनता के पारस्परिक और सांस्कृतिक संबंध। बेहतर ढंग से जुड़ने के साथ ही एक दूसरे के प्रति हमारी समझ बेहतर होगी और हमारी समानता में ताकत है।

यह कोई जीरो-सम गेम या प्रतियोगिता नहीं है। आर्थिक सहयोग और कनेक्टिविटी को सुव्यवस्थित करके सभी के लिए सतत और साझा समृद्धि विकसित की जा सकती है।

यह सिर्फ बेहतर अर्थव्यवस्थाओं तक सीमित नहीं है - बल्कि इसमें बेहतर सुरक्षा, हमारे देशों के बीच बेहतर समझ और अधिक पारदर्शी प्रणाली तथा आपदा प्रबंधन, साइबर सुरक्षा या आइडिया व टेक्नोलॉजी के आदान-प्रदान में आगे के सहयोग की संभावनाएं भी शामिल हैं।

ब्रिटेन कैसे मदद कर रहा है? हमारे काम का एक हिस्सा पूरे क्षेत्र में क्षेत्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने पर केंद्रित है जिससे आर्थिक विकास को बढ़ाने और गरीबी को कम करने के लिए निकटता से प्रतिस्पर्धात्मक लाभ लेने में मदद मिल सके विशेष तौर पर ऐसे क्षेत्रों में जो वैश्विक बाजारों के साथ ठीक से नहीं जुड़े हैं और एकीकृत हैं। इसके अंतर्गत निम्न पर काम किया जाना हैं:

  • परिवेष्टन क्षेत्रों को क्षेत्रीय और वैश्विक वैल्यू चैन में एकीकृत करने के लिए ऊर्जा और परिवहन क्षेत्रों में (और अगले कुछ वर्षों में संभवत: आईटी) फिजिकल कनेक्टिविटी और बिल्डिंग इंफ्रास्ट्रक्चर
  • सीमाओं पर माल की आवाजाही को आसान बनाने और राष्ट्रीय सीमाओं पर ऊर्जा के कारोबार की अनुमति देने के लिए लाल फीताशाही और नियामक भार को कम करना।
  • नियामक सुधार और निवेश की पहचान और निवेशक मैचमेकिंग दोनों के जरिए महत्वपूर्ण क्षेत्रीय वैल्यू चेन में निवेश करना।

चुनौतियों का सामना करना होगा: राजनीतिक उद्देश्य और देशों की प्राथमिकताएं हमेशा संरेखित नहीं होंगी। सुरक्षा और क्रॉस-बार्डर संबंधित मामले हैं। इन वार्तालापों के अंतर्गत अपने आर्थिक लक्ष्यों को संरेखित करने वाले देशों को सीमा और जल विवादों, लोगों और सामानों की अनुपयोगी आवाजाही और सीमा पार की घुसपैठ से निपटने के लिए ऐसी जटिल बातचीत करनी चाहिए।

मुझे उम्मीद है कि आज के विचार-विमर्श से हमें इनमें से कुछ सवालों का जवाब देने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

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प्रकाशित 8 नवंबर 2017