भाषण

हमें भारत में भरोसा है

गत 21 सितम्बर 2013 को मुम्बई में आयोजित ब्रिटिश बिजनेस ग्रुप के राष्ट्रीय सम्मेलन में ब्रिटेन के उच्चायुक्त सर जेम्स बेवन द्वारा दिया गया भाषण।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
Sir James David Bevan KCMG

आज हमारे पास तीन जिम्मेदारियां हैं। पहला- इस सम्मेलन को खुला घोषित करना, जो मैं हर्षपूर्वक करूंगा। दूसरा- विवरण देना: यानी आज आप कई सारे भाषण सुनेंगे। तीसरा- जो कि शायद अन्य दोनों से अधिक कठिन है- कोई दिलचस्प बात करने से बचना या कम से कम मेरे मंत्री- लॉर्ड ग्रीन से अधिक दिलचस्प कोई बात। मेरे बाद वे इस मंच को साझा करेंगे।

पर मैं आज कुछ ऐसा महत्वपूर्ण कहना चाहता हूं, जिससे मुझे उम्मीद है कि आपके विचार-विमर्श के लिए एक रूपरेखा तैयार करने में मदद मिलेगी। दरअसल मैं कहना चाहता हूं: हम ब्रिटेन वासियों को भारत पर भरोसा है; हमें ब्रिटेन पर भरोसा है; तथा हमें अपने दोनों देशों के बीच के सहयोग पर भी भरोसा है।
मैं अब इन बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करता हूं।

हमें भारत पर भरोसा है। भारतीय आर्थिक करिश्माओं की समाप्ति की खबरें काफी बढ़ा-चढ़ा कर सुनाई गई है।

ब्रिटेन में हमें पता है कि भारत को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जब मैं इस देश के अंदर यात्रा करता हूं, इन चुनौतियों को हर दिन देखता हूं, और आप तो उन चुनौतियों को मुझसे कहीं बेहतर जानते हैं।

पर हमें यह भी पता है कि भारत में उन सभी चुनौतियों से निबटने की क्षमता है। इसके आर्थिक तत्त्व काफी मजबूत हैं। चाहे यह 5 या 10% की दर से विकास करे, पर यह जल्द ही दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। इसका एकमात्र पैमाना है यह परिसंपत्ति कि भारत किसी अन्य देश की तुलना में अधिक धन, लोगों तथा संसाधनों का दोहन कर सकता है।

भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षा, ऊर्जा, प्रतिभा तथा उत्कृष्टता है- और अभी भी इस कक्ष में इनमें से कई तत्त्व मौजूद हैं। इसका विशाल तथा विकासशील मध्यम वर्ग प्रगति तथा स्थिरता की एक ताकत है। और इसकी अनेकता में एकता अभिनव कार्यों तथा प्रगति का फॉर्मूला है।

भारत का शक्तिशाली लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, यह तथ्य कि हरेक भारतीय कुछ कर सकता है और किसी चीज पर बहस कर सकता है जैसी चीजें भारत की खूबियां रही हैं। यही कारण है कि पारम्परिक ज्ञान तथा रचनात्मक विनाश को चुनौती देने जैसी चीजों को आप भारत में हर कहीं देख सकते हैं, जो 21वीं सदी की सफलता की कुंजियां हैं।

तो पहला बिंदु: यानी हमें भारत पर भरोसा है।

बिंदु दो: हमें ब्रिटेन पर भी भरोसा है। हम ब्रिटेन वासियों को अपने अतीत पर गर्व है। पर हमें लगता है कि हमारे बेहतरीन दिन अब आने वाले हैं।

ब्रिटेन दुनिया की एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह आगे भी बना रहेगा। हमारे पास सही आर्थिक तत्त्व हैं: जैसे एक स्थिर लोकतंत्र, कानून, एक अत्यधिक शिक्षित तथा लोचशील कार्यबल, एक व्यवसाय-अनुकूल माहौल तथा नीतियां, जिनसे विकास को बढ़ावा मिलता है। यदि आप वैश्विक प्लेयर के रूप में उभरना चाहते हैं तो ब्रिटेन उसके लिए एक अनुकूल स्थान है- यही कारण है कि आज कई सारे भारतीय फर्म ब्रिटेन में काम कर रहे हैं।

ब्रिटेन आज विज्ञान, तकनीकी तथा आविष्कारी कार्यों के क्षेत्र में एक वैश्विक लीडर है और आगे भी बना रहेगा। उदाहरण के लिए आइपैड एक ब्रिटिश द्वारा तैयार किया गया; इंटरनेट का आविष्कारक एक ब्रिटिश निवासी ही है और हिग्स बॉसोन- एक ऐसा कण जो भौतिक दुनिया कैसे काम करती है इसकी व्याख्या करता है, की खोज भी एक ब्रिटिश नागरिक ने की है।

अन्य चीजों में जिनकी खोज या आविष्कार ब्रिटेन ने किया, शामिल हैं- फुटबॉल, गोल्फ, क्रिकेट, टिड्लीविंक्स, क्रोकेट, रेलवे, भाप इंजन, हॉवर क्राफ्ट, पेनिसिलीन, गुरुत्वाकर्षण, देशांतर, जेट इंजन, वर्टिकल टेक-ऑफ एयरक्राफ्ट, विकासवाद, डाक टिकट तथा स्टिकी टॉफी पुडिंग। युरोप के तट से दूर एक छोटे कोहरे में लिपटे द्वीप के लिए यह कोई बुरा आंकड़ा नहीं है।

ब्रिटेन शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षत्र में एक विश्व लीडर है और आगे भी बना रहेगा। दुनिया के दस शीर्ष विश्वविद्यालयों की सूची में चार ब्रिटेन में स्थित हैं। हमें अबतक 78 से अधिक नोबेल पुरस्कार मिले हैं, जो अमेरिका को छोड़कर किसी भी अन्य देश से अधिक है।

और ब्रिटेन एक ऐसा देश है और आगे भी रहेगा जो मुश्किल चीजों को पूरा कर सकता है। उदाहरण के लिए- पिछले वर्ष संपन्न लंदन ओलम्पिक। जिसे समय पर, बजट के भीतर, मित्रवत माहौल, अच्छे हास्यबोध तथा शैली के साथ संपन्न किया गया। और ब्रिटेन की दो सबसे बड़ी हस्तियों- माननीय महारानी और जेम्स बॉन्ड का साथ मिलकर हेलीकॉप्टर से हवा में छलांग लगाना तो एक यादगार पल ही बन गया।

अंत में हमें यूके/भारत के सहयोग पर काफी भरोसा है। यह सहयोग पिछले कुछ वर्षों से बढ़ा ही है। वर्ष 2010 से हमने निम्नांकित सफलता हासिल की है:

  • यूके/भारत के व्यापार में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल हुई है। जब श्री डेविड कैमरन सत्ता में आए तो हमें अपने दोनों देशों के बीच के व्यापार को दुगना करने और 2015 तक पूरा करने का लक्ष्य सौंपा। ब्रिटेन के व्यवसाय और समृद्धि को बढ़ावा देना मेरी और भारत की मेरी पूरी टीम की पहली जिम्मेदारी है।
  • हमने देखा कि ब्रिटेन भारत का सबसे बड़ा निवेशक बन गया है। बीपी/रिलायंस गैस का संयुक्त उपक्रम भारत का सबसे बड़ा एकल निवेश है।
  • अन्य युरोपीय संघ के देशों की तुलना में ब्रिटेन में भारतीय निवेश की मात्रा अधिक है।
  • हमने लोगों से लोगों के बीच के संवाद को और मजबूत किया। अब हर वर्ष लगभग 800,000 ब्रिटिश भारत आते हैं और लगभग 400,000 भारतीय ब्रिटेन जाते है।
  • हमने अपनी वीजा सेवा में सुधार किया। इस साल हमने नए ‘सेम डे वीजा सर्विस’ का आरंभ किया है- जो दुनिया में अपने आप में अकेला है।
  • दुनिया के किसी अन्य हिस्से की तुलना में भारत के साथ ब्रिटेन ने सबसे बड़ा राजनयिक नेटवर्क तैयार किया है। अन्य देशों की तुलना में भारत में हमारे पहले से अधिक राजनयिक तथा वाणिज्य कार्यालय हैं।
  • विज्ञान तथा आविष्कारी कार्यों में हमारे सहयोग में तेजी से इजाफा हुआ। कुछ वर्ष पहले, भारत के साथ संयुक्त रूप से वित्तीय सहायता वाले अनुसंधान केवल £1 मिलियन का था, जो अब बढ़कर £125 मिलियन तक जा पहुंचा है।
  • हमने भारतीयों को अंग्रेजी सीखने के लिए बढ़ावा दिया, जिससे दोनों के लिए रोजगार अवसर बढ़े हैं तथा आपसी रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने में मदद मिली है। हाल के वर्षों में ब्रिटिश काउंसिल ने भारत के कई राज्यों के लगभग 10 लाख अंग्रेजी शिक्षकों को प्रशिक्षित किया।
  • 21वीं सदी की बढ़ती चुनौतियों: ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद तथा साइबर सुरक्षा पर दोनों देशों के बीच नए सहयोग विकसित हुए।
  • इसलिए यूके/भारत का सहयोग व्यापक, गहरा तथा मजबूत बनता जा रहा है। यह एक उचित पैमाने का सहयोग है, जिससे दोनों ही देशों को लाभ पहुंचेगा। यह दोनों देशों को समीप ला रहा है। और यह हमारे नागरिकों को सुरक्षित, अधिक समृद्ध और अधिक खुशहाल बनाने में मदद कर रहा है।
  • क्या यह सहयोग उपयुक्त है? नहीं। क्या यह हमेशा आसान रहा? नहीं। क्या इसने पूरी संभावनाओं का दोहन किया? नहीं। पर हम जो प्रयास कर रहे हैं वे उपयुक्त हैं? हां, हां और हां।
  • देवियों और सज्जनों निष्कर्ष यह है: हमें भारत पर भरोसा है, हमें ब्रिटेन पर भरोसा है और हमें दोनों देशों के बीच के सहयोग पर भी भरोसा है। आपने इस सहयोग की मिसाल कायम की है। आपके साथ मिलकर हम आने वाले समय में इसे और भी मजबूत बनाएंगे।

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प्रकाशित 21 सितंबर 2013