10वें कोलकाता पर्यावरण और ऊर्जा सम्मेलन: उच्चायुक्त का भाषण
ऊर्जा और पर्यावरण पर भारत के साथ ब्रिटेन के सहयोग पर भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त सर डोमिनिक एस्क्विथ के भाषण के अंश।
बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज द्वारा कोलकाता में आयोजित 10वें एनवायरनमेंट एंड एनर्जी कॉन्क्लेव में भाग लेते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है।
कोलकाता मेरा पसंदीदा शहरों में से एक है। यहां पर विरासत और आधुनिकता का शानदार संयोजन देखने को मिलता है और हर बार इस शहर में आने पर मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है।
यह शहर तेजी से विकसित हो रहा है और पूरे राज्य और देश की तरह इसे भी उस विकास को आगे बढ़ाने के लिए सुरक्षित और सतत ऊर्जा आपूर्ति की आवश्यकता है। सुरक्षित और स्थायी ऊर्जा हासिल करना पॉलिसी, इनोवेशन और बिजनेस पर भारत व ब्रिटेन की साझेदारी का केंद्र है। इसलिए मुझे इस बात की प्रसन्नता हो रही है कि इस सम्मेलन के माध्यम से मुझे अपने साझा उद्देश्यों, समान चुनौतियों और इस क्षेत्र में साझेदारी की हमारी अद्भुत क्षमता के बारे में आपसे कुछ समय के लिए बात करने का मौका मिल रहा है।
ऊर्जा और पर्यावरण के लिए हमारे उद्देश्य समान हैं - हमें अपने विकास को गति देने के लिए, अपने नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए; और आर्थिक उतार-चढ़ाव और जलवायु परिवर्तन जैसी आपदा या दबाव की स्थिति से निपटने के क्रम में लचीलेपन को बनाने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता है।
लेकिन मुझे लगता है कि यहां मौजूद सभी लोग इस बात से सहमत होंगे कि हम केवल पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति सुनिश्चित करने के अलावा और भी बहुत कुछ करना चाहते हैं। हमें निम्नलिखित बिंदुओं की भी चिंता है।
- हमारे ऊर्जा स्रोतों की गुणवत्ता
- वे कहाँ से आ रहे हैं
- वे कैसे उत्पन्न होते हैं
- वे कितने स्वच्छ हैं
- हमारी अर्थव्यवस्था, समाज और पर्यावरण के लिए उनका क्या प्रभाव और लाभ है
इसी वजह से ब्रिटेन और भारत ने कुछ समय के लिए ऊर्जा पर अपने साझा कार्य के अंतर्गत ‘सुरक्षित और सतत ऊर्जा’ का उल्लेख साझा उद्देश्य के रूप में किया है जिसमें तेल और गैस, अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और असैन्य परमाणु भी शामिल हैं। यह भी हमारी सामान्य धारणा हैं कि जलवायु परिवर्तन वैश्विक समृद्धि और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। हम यह मानते हैं कि खतरनाक जलवायु परिवर्तन को रोकना हमारे अपने हित में है। जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए दोनों ही देश पेरिस समझौते के प्रति वचनबद्ध है।
हम दोनों मानते हैं कि काम सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है बल्कि अच्छे आर्थिक कदम भी जरूरी हैं। हम दोनों वाणिज्यिक अवसरों को जानते हैं जिन्हें लो-कार्बन युक्त अर्थव्यवस्था में महसूस किया जा सकता है। यूके का लो-कार्बन सेक्टर अकेले 46 बिलियन पाउंड से अधिक का है जिसमें 90,000 से अधिक व्यवसाय शामिल हैं। इसके द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर 238,500 से अधिक पूर्णकालिक कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है और अप्रत्यक्ष रूप से कई और लोगों का सहयोग किया गया है।
हम दोनों कार्रवाई कर रहे हैं। यूके में, हम भारत के उस लक्ष्य की सराहना करते हैं जिसके अंतर्गत उसने 2022 तक अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 175 जीडब्ल्यू तक ले जाने की तैयारी की है। और हम अपनी अर्थव्यवस्था को डीकार्बनाइज करने के लिए खुद एक्शन ले रहे हैं। 2050 तक अपने ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को 80% तक कम करने के लिए हम नियमावली में कंक्रीट कार्बन बजट सेट कर रहे हैं।
ये समान प्राथमिकताएं और चुनौतियां हमें सहयोग के लिए स्वाभाविक साझेदार बनाती हैं। इंडिया-यूके एनर्जी फॉर ग्रोथ पार्टनरशिप के बैनर तले अप्रैल में आयजित हमारे पहले इंडिया-यूके एनर्जी डायलॉग ने हमारे संबंधो को नई ऊंचाई दी है। बिजली और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में नई रणनीतिक प्राथमिकताओं पर सहमति बनी, और यूके की कंपनियों और भारतीय समकक्षों के बीच उपयोगी संबंधो की स्थापना हुई।
और यूके व भारतीय कंपनियों के बारे में बात करते हुए मुझे यह बताना चाहिए कि मुझे देब मुखर्जी के समर्थन करने के लिए कोलकाता आने की खुशी हो रही है, जिनका ब्रिटिश एनर्जी कंपनी सेनेरजिस्ट के साथ बना संयुक्त उपक्रम भारत और ब्रिटेन के बीच साझेदारी का एक बेहतरीन उदाहरण है। कुछ ऐसी ही कहानी इंग्लैंड के पूर्वोत्तर में इनोवेटिव सोलर टेक्नोलॉजी में बिग सोलर लिमिटेड के माध्यम से सामने आयी हैं, जहां देब भी एक निवेशक है। मुझे उम्मीद है कि ब्रिटेन और भारत व बंगाल के बीच ऐसी कई और भागीदारी हो सकती है।
ब्रिटेन और भारत के बीच साझेदारी इसलिए मजबूत है क्योंकि हम दोनों देशों में ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता के मामले में समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
हम दोनों को ऊर्जा / ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने की जरूरत है - यूके में अपने पुराने जल्द रिटायर होने वाले पुराने पावर प्लांट को बदलने के लिए और भारत में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए जो वर्ष 2030 तक दोगुना हो जाएगा।
हमें दोनों को स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को विकसित करने की आवश्यकता है। हमारे एनर्जी मिक्स में स्वच्छ ऊर्जा का बड़ा हिस्सा और ऊर्जा का बेहतर उपयोग हमारी अर्थव्यवस्था और समाज के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। हमारी स्थिरता को बढ़ाने के साथ-साथ यह हवा, सौर और प्राकृतिक गैस जैसी ऊर्जा की नई ऑनलाइन, स्वच्छ घरेलू आपूर्ति करके हमारी सुरक्षा को भी बढ़ाता है। इन सभी से ऊर्जा आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिल सकती है।
हमें दोनों को दक्षता बढ़ाने की जरूरत है। क्योंकि ऊर्जा को बचाना और प्रभावी ढंग से उसका उपयोग करना सुरक्षा के लिए अहम है और इससे व्यवसाय की लागत को कम करने में मदद मिलती है।
अपने समान उद्देश्यों और चुनौतियों से जुड़े हम लोगों ने ऊर्जा सुरक्षा व स्थिरता और जलवायु परिवर्तन की साझा चुनौतियों से निपटने के लिए कई बेहतरीन साझेदारी की है। इससे हमारे सहयोगियों को नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों को हासिल करने, निवेश के प्रवाह को सक्षम करने और तकनीक को बढ़ाने में मदद मिली है।
चलिए मैं कुछ उदाहरण बताता हूं:
- भारत के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश को हम समझते हैं जो 2040 तक लगभग 3.6 ट्रिलियन डॉलर के करीब होगी। इसलिए भारत और ब्रिटेन ने हाल ही में घोषणा की थी कि अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से अतिरिक्त 500 मिलियन पाउंड के निवेश को आकर्षित करने के लक्ष्य के साथ हम भारत के नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट फंड के अंतर्गत स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 120 मिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश किया जाएगा।
- हमने लंदन स्टॉक एक्सचेंज से जारी ग्रीन बॉन्ड के माध्यम से पूंजी एकत्र करने के क्रम में जुटाने के प्रयासों के लिए कई इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसियों सहित कई कंपनियों के साथ मिलकर काम किया है। पिछले महीने ग्रामीण विद्युतीकरण निगम के 450 मिलियन डॉलर के ग्रीन बॉन्ड को जारी होते देखना बहुत अच्छा था।
- डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर बनाए गए हमारे ज्वाइंट वर्चुअल सेंटर के माध्यम से हमारे रिसर्च और इनोवेशन कार्य को और बढ़ावा मिलेगा।
- ऊर्जा के क्षेत्र में सुधार की पहल के लिए हम केन्द्र और राज्य स्तर पर सहयोग कर रहे हैं जो रिन्यूएबल को अवशोषित करके, डिमांड साइड मैनेजमेंट प्रदान करके, ग्राहकों के लिए ऊर्जा के लागत को किफायती रखके उपयोगिताओं को भविष्य के लिए अनुकूल बनाने में मदद करेंगे। इस पहल के अंतर्गत उज्जवल डिस्काम एश्योरेंस योजना के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा परिनियोजन व उपयोग दक्षता और उपभोक्ता सेवा प्रावधान से सभी के लिए 24x7 बिजली देने की भारत की प्राथमिकताओं को मदद मिलेगी।
- हमने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में भारत के प्रदर्शन को हासिल करने और व्यापार योजनाओं के कार्यान्वयन में सहयोग किया है। इससे व्यापार सूचनाओं से जुड़ा है और अपने ऊर्जा के उपयोग को कम करने के लिए साझेदारी विकसित हुई है।
- और इस अवसर पर मैं एनर्जी इफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) को हमसे साझेदारी करने और यूके में अपने ऑपरेशन की शुरूआत करने के लिए बधाई देता हूं। मुझे यह बताने में खुशी हो रही है कि ईईएसएल ब्रिटेन की कंपनियों के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाने के प्रयास में है और हमें इस तरह की साझेदारी के लिए अपने सहयोग में विस्तार करते हुए बहुत प्रसन्नता होगी। मुझे उम्मीद है कि ईईएसएल के अधिकारियों ने कल यहां ब्रिटेन की कंपनियों के साथ उपयोगी चर्चा की होगी।
- हाल के दिनों में, हमने रूफटॉप सोलर व लो कार्बन छत और कोलकाता के जलवायु विकास के लिए पश्चिम बंगाल के साथ मिलकर काम किया है। और मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि यूके की ऊर्जा कंपनियों के विजिटिंग डेलिगेशन ने कल पश्चिम बंगाल सरकार के बिजली विभाग के साथ काफी उपयोगी बातचीत की है।
निष्कर्ष
साथ मिलकर हम बेहतरीन व्यवसाय कर सकते हैं और वास्तविक बदलाव को हासिल कर सकते हैं। मुझे दृढ़ विश्वास है कि हम निम्नलिखित बिंदुओ के माध्यम से इस एजेंडा पर और काम कर सकते हैं:
- वित्तीय लाभ
- कौशल और विशेषज्ञता को साझा करके
- शोध और विकास पर प्रयासों को संगठित करके या
- नई वाणिज्यिक साझेदारियों को स्थापित करके
आज, यहां कमरे में कुछ यूके की कुछ ऐसी एनर्जी कंपनियाँ हैं जो ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता की हमारी साझा प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों सहित अपने भारतीय भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रही हैं। आज उनके द्वारा एनर्जी स्पेक्ट्रम में अपनी अनोखी ताकत का प्रदर्शन किया जाएगा और मुझे यकीन है कि आप उनके साथ बातचीत करके लाभान्वित होंगे।
यह सम्मेलन बेहतरीन पारस्परिक लाभों के लिए साझीदारी के शानदार अवसर प्रदान करता है। साझा समृद्धि के लिए, साझा आर्थिक विकास के लिए, और ऊर्जा और पर्यावरण दोनों को प्रदान करने के लिए। मैं आप सभी को बहुत ही सफल और उत्पादक कार्यक्रम की शुभकामना देता हूं।