भाषण

ब्रिटेन, भारत और अफ़गानिस्‍तान

नई दिल्ली के विवेकानंद इंटरनेशनल फाउन्‍डेशन में, बुधवार 8 जनवरी 2014 को ब्रिटिश उच्‍चायुक्‍त सर जेम्‍स बेवन केसीएमजी द्वारा दिए गए अभिभाषण की प्रतिलिपि।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
Sir James David Bevan KCMG

कहा जाता है कि आजकल राजनयिक और कुछ नहीं बल्कि हेड वेटर होता है, जिसे किसी-किसी अवसर पर बैठने के मंजूरी दी जाती है। अतः मुझे बैठने देने के लिए आप सब का धन्‍यवाद।

यह भी कहा जाता है कि राजनयिक वह व्‍यक्ति होता है जो कुछ नहीं कहने से पहले भी दो बार सोचता हो। खैर, मैंने इस अभिभाषण पर काफी चिंतन किया है, शायद दो बार से अधिक; और मैं एक महत्‍वूपर्ण विषय पर बोलना चाहता हूं- ब्रिटेन/भारत के संबंध, और अफ़गानिस्‍तान के भावी परिदृश्‍य पर। या संक्षेप में कहें तो दोनों अच्छे हैं। ये और भी अच्‍छे हो सकते हैं यदि हम आने वाले वर्षों में सही काम करें।

ब्रिटेन/भारत

मैं शुरुआत भारत और ब्रिटेन के संबंधों से करना चाहता हूं। यह फल-फूल रहा है।

  • हमारे हित एक हैं। एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और न्‍यायपूर्ण दुनिया। कानून-आधारित एक अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यवस्‍था।
  • लोकतंत्र, मानवाधिकार, बहुलतावाद, और सम्मिलित विकास के प्रति हममें एक जैसी गहरी प्रतिबद्धता है।
  • हमारा साझा इतिहास, मूल्‍य और साझी भाषाएं हैं। हमारे एक जैसे अधिकारी-तंत्र, और एक जैसे हास्‍य बोध हैं। हम दोनों जानते हैं, उदाहरण के लिए, टीवी कार्यक्रम यस मिनिस्‍टर जो कि कोई कॉमेडी नहीं बल्कि एक डॉक्युमेंट्री है।
  • हम दोनों ही अपने दोनों देशों के बीच मैत्री मजबूत करने के लिए वचनबद्ध हैं। मेरे प्रधानमंत्री 2010 से, जब से अपना कार्यभार संभाला है, अन्‍य देशों से अधिक बार, अब तक तीन बार भारत दौरे पर आ चुके हैं।
  • हम प्रायः उन सभी मुद्दों पर साथ-साथ काम कर रहे हैं जो हमारे नागरिकों को लिए मायने रखते हैं। और हम अपने प्रयास में सफल भी हो रहे हैं।

समृद्धिः साथ काम कर हम अपने लोगों को और अधिक समृद्ध बना रहे हैं। 2010 में हमारे दोनों प्रधानमंत्रियों ने ब्रिटेन/भारत व्‍यापार को 2015 तक दोगुना करने का लक्ष्‍य रखा हैः हम अपने लक्ष्‍य की ओर सफलतापूर्वक बढ़ रहे हैं। अंत: निवेश दोनों देशों के लिए सफलता की एक बड़ी कहानी है: भारत अब, यूरोपीय संघ के बाकी सारे देशों से ज्यादा ब्रिटेन के साथ निवेश करता है, और ब्रिटेन भारत का अकेला सबसे बड़ा निवेशक है। इसके कारण हज़ारों रोजगार उत्पन्न हुए हैं और दोनों देशों का विकास हुआ है।

सुरक्षा: साथ मिलकर हम अपने लोगों को सुरक्षित कर रहे हैं। दोनों देशों ने लोगों की सुरक्षा के लिए जो काम किए हैं, उनके कारण आज लोग बरमिंघम और बैंगलुरु की गलियों में ज़िंदा है। हमारी पुलिस और न्यायिक प्रणालियों के बीच बढ़ते सहयोग के कारण ही अपराधियों को हम अपनी-अपनी अपने-अपने अदालतों तक पहुंचा पाते हैं। विज्ञान और आविष्कार : हमारे पास सफलता की वास्तविक कहानी है जिसका हम जश्न मना सकते हैं। पिछले कुछ सालों में भारतीय और ब्रिटिश अनुसंधान केन्द्रों और विश्वविद्यालयों के बीच की साझेदारी लगातार बड़ी तेजी से बढ़ी है। 2009 में हमारी दोनों सरकारों द्वारा शोधकार्यों पर संयुक्त रूप से केवल दस लाख पाउंड की धनराशि प्रदान की गई थी और आज यह संयुक्त धनराशि बढ़कर 15 करोड़ पाउंड हो गई है। इस R+D का ज्यातार हिस्सा व्यावहारिक अनुप्रयोगों से संबंधित है जिसे आगे चलकर हमारे दोनों देशों की समृद्धि में वृद्धि होगी।

वैश्विक चुनौतियां: ऐसे वैश्विक मुद्दों से जूझने के लिए, जिनका दोनों देशों द्वारा सामना किया जाता है, जैसे- जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सुरक्षा, भारत और ब्रिटेन, केन्द्र तथा राज्य दोनों स्तरों पर एक साथ काम कर रहे हैं।

विकास : ब्रिटेन और भारत विकास के लिए एक नई आधुनिक साझेदारी पर सहमत हुए हैं, जिसमें 2015 में ब्रिटेन द्वरा भारत को आर्थिक मदद देना बंद कर इसके स्थान पर निजी क्षेत्र को ऋण सहायता प्रदान करना शुरू किया जाएगा जो लोगों को गरीबों से उबारने में मदद करेगा, साथ ही, तकनीकी सहायता प्रदान करने और वैश्विक विकास को प्रभावित करने वाले अंतर्राष्ट्रीय नीतिगत मुद्दों पर सहयोग किया जाएगा।

विदेश नीति : ज्यादातर बड़े मुद्दों पर अलग-अलग दृष्टिकोणों के बावजूद ब्रिटेन और भारत का उन मुद्दों पर समान लक्ष्य होता है। हमलोग अब विदेश नीति के अनेक मुद्दों पर एक साथ और ध्यानपूर्वक काम कर रहे हैं। ऐसा ही एक मुद्दा है ईरान पर परमाणु समझौता, जो अगर सफल होता है तो यह भारत और ब्रिटेन द्वारा प्रोत्साहित शांतिपूर्ण वार्ता के जरिए विवाद हल करने के दृष्टिकोण की भी सफलता होगी। हमने श्रीलंका में समझौता और मानवाधिकार तथा मालदीव्स और बांग्लादेश की प्रजातांत्रिक प्रक्रिया के समर्थन के लिए साथ में काम किया है।

अंग्रेज़ी: ब्रिटिश सरकार और ब्रिटिश काउंसिल की मदद से ज्यादा से ज्यादा भारतीय अंग्रेज़ी सीख रहे हैं। यह उनके रोजगार और जीवन अवसरों के लिहाज से अच्छा है। लेकिन यह अपने दो देशों के बीच के संबंध के लिए भी अच्छा है। सच कहा जाए तो यही भाषा हमें एक दूसरे के नजदीक लाएगी।

संस्कृति: हमारे बीच फलती-फूलती संस्कृति और कला क्षेत्र में आदान-प्रदान होते रहे हैं । उन में से कुछ को हमारी सरकार द्वारा मदद मिलती है, लेकिन ज्यादातर सांस्कृतिक आदान-प्रदान अब प्राकृतिक और स्वाभाविक रूप से हो रहे हैं- ठीक उसी तरह जैसा कि इन्हें होना चाहिए।

सचमुच, ब्रिटेन और भारत के संबंध की सबसे आकर्षक बात यह है कि हमारे द्विपक्षीय संबंध महत्वपूर्ण सरकारी स्तर के संबंधों तक ही सीमित नहीं हैं। बल्कि हमारे बीच के अधिक व्यापक संबंधों का तो सरकार से कुछ लेना-देना ही नहीं है। हमारे बीच ये संबंध व्यापार, मीडिया, बुद्धिजीवियों, एनजीओ, सांसदों, राज्यों और स्थानीय कर्मियों के स्तर पर बने हैं।

जैसा मजबूत और दीर्घकालीन संबंध हम दोनों देशों के बीच चाहते हैं उसके मद्देनजर ब्रिटेन और भारत के बीच के सभी संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण है व्यक्ति से व्यक्ति के बीच प्रत्यक्ष और निजी संबंध। ब्रिटेन और भारत के बीच व्यक्तिगत संबंध बहुत मजबूत है। तकरीबन 400,000 भारतीय अब प्रत्‍येक वर्ष घूमने, अध्‍ययन, या व्‍यापार के सिलसिले में ब्रिटेन आते हैं। और इसकी दुगनी संख्‍या में ब्रिटेन को लोग हर वर्ष भारत आते हैं, और इनमें एक बड़ी तादाद ब्रिटेन में बसे भारतीय मूल के लोगों की होती है।

हाल की ब्रिटिश जनगणना से यह पता चलता है कि ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों का समुदाय किसी भी अन्य प्रवासी समुदाय की तुलना में अधिक बड़ा है। यह समुदाय सबसे अमीर और सबसे सफल भी है- जो कि भारतीय मूल के लोगों की प्रतिभा और ऊर्जा के बारे में बहुत कुछ कहता है, लेकिन यह आधुनिक ब्रिटेन का नए आगंतुकों के प्रति उदारता और उन प्रतिभाओं को फलने-फूलने देने की चाह के बारे में भी बहुत कुछ कहता है।

इसलिए ब्रिटेन-भारत का संबंध मजबूत, गहन और व्यापक है। लेकिन हम और भी बेहतर कर सकते हैं। मैं इसके तीन उदाहरण दे रहा हैं:

  • व्यापार: हमारे व्यापार के आंकड़ों में बढ़त के बावज़ूद ब्रिटेन अभी भी भारत (जनसंख्या:1.2अरब) से ज्यादा स्विट्ज़रलैंड (जनसंख्या 80 लाख) को वस्तुएं बेचता है। हमारी दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच की स्वाभाविक अनुकूलता और हमारे देशों के बीच के प्राकृतिक संबंध के मद्देनज़र, यह अजीब है। हमें इससे कई गुना बेहतर करने की जरूरत है।

  • शिक्षा: अपने बीच के संबंध को चिरस्थायी बनाने का सबसे बेहतर संभव तरीका है हमारे सबसे श्रेष्ठ और प्रतिभाशाली युवाओं को एक-दूसरे के देशों में पढ़ाना। तब भी, बहुत कम ब्रिटिश छात्र भारत आते हैं, और ब्रिटेन आने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में भी कमी आई है। यह हमारे भविष्य के दीर्घकालीन संबंध पर मंडराते खतरे को दर्शाता है। हम, ब्रिटेन में, और अधिक भारतीय छात्रों को अपने विश्वविद्यालयों में देखना चाहते हैं। साथ ही, मैं चाहता हूं कि और अधिक संख्या में ब्रिटिश छात्र इस अनोखे देश में शिक्षा प्राप्त करने आएं।

  • विदेश नीति: जैसा कि मैंने कहा सामान्यत: ब्रिटेन और भारत विदेश नीति के मुद्दों पर साझा समझ रखते हैं। वर्तमान में जिस चीज़ की कमी है, वह है उन मुद्दों को सुलझाने के लिए एकजुट होकर कार्य करने की। हमें महत्वपूर्ण विदेश नीति और क्षेत्रीय मुद्दों पर साथ काम करने का लक्ष्य रखना चाहिए।

अफगानिस्तान

उदाहरण के लिए, मुझे यकीन है जहां हम यह कर सकते हैं ऐसी एक जगह है अफगानिस्तान।

पहला बिन्दु: अफगानिस्तान हमारे लिए मायने रखता है। यह रणनैतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक अस्थिर अफगानिस्तान इस संपूर्ण परिक्षेत्र तथा भारत सहित इस क्षेत्र के हमारे सभी मित्रों को आशंकित करता रहेगा। यह हमारी सुरक्षा के लिए एक मुद्दा है, क्योंकि अगर अफगानिस्तान फिर से आतंकियों का स्वर्ग बन गया तो यह न केवल अपने पड़ोसियों बल्कि ब्रिटेन के लिए खतरनाक होगा। और यह राजनैतिक तथा गहन व्यक्तिगत स्तर पर भी एक समस्या है, क्योंकि ब्रिटेन ने अफगानिस्तान में अपना खून बहाया है और धन व्यय किए हैं। हमें यह सुनिश्चित करना है कि हमारे बहादुर सेवाकर्मियों ने यहां अपने बलिदान के रूप में जो कीमत चुकाए हैं उसका उन्हें सही प्रतिदान मिले।

ये सारी बातें इसलिए क्योंकि- दूसरा बिन्दु- ब्रिटेन अफगानिस्तान से 2014 के बाद नहीं निकलेगा। हमारी युद्धक टुकड़ियां इस वर्ष के अंत तक निकल जाएंगी। किंतु अफगानिस्तान अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा इसकी स्थिति तब भी इतनी असुरक्षित और नाजुक होगी कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा इसे छोड़ कर जाना इसके हित में नहीं होगा। इसलिए एक प्रत्याशित भविष्य के लिए ब्रिटेन यहां अपनी व्यापक भूमिका निभाना जारी रखेगा। वे विशिष्ट विषय जिनपर हमें सहायता करनी है:

  • अफगानिस्तान की सुरक्षा सुनिश्चित करना। अफगानिस्तान को स्वयं को नियंत्रित करने में सहायता पहुंचा कर ही हम अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। इसलिए काबुल के निकट स्थापित अफगान नेशनल आर्मी की ऑफिसर्स एकेडमी, जो “सैंडहर्स्ट इन द सैंड” के नाम से विख्यात है, के लिए परामर्श तथा प्रशिक्षण सहायता प्रदान कर ब्रिटेन अफगान नेशनल आर्मी की सहायता करेगा। हम 2014 के बाद भी अफगान नेशनल आर्मी को कायम रखने के लिए वित्तीय सहायता देना जारी रखेंगे

  • अफगानिस्तान के विकास को बढ़ावा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि चल रही विकास की प्रक्रिया रुके नहीं, ब्रिटेन कम से कम 2017 तक प्रतिवर्ष 300 मिलियन डॉलर से अधिक की विकास सहायता उपलब्ध कराता रहेगा।

  • अफगानिस्तान के लोकतंत्र को समर्थन। हम इस साल सफलतापूर्वक चुनाव कराने में अफगानिस्तान की सहायता करेंगे। हम उन संस्थाओं के निर्माण में सहायता कर रहे हैं, जो सुशासन, कानून व्यवस्था, उत्तरदायित्व तथा चिरस्थायी स्थिरता सुनिश्चित कर सकें। इस प्रक्रिया के एक अन्य अंश के रूप में, हम तालिबान से सीधा संवाद स्थापित करने के प्रयासों को प्रोत्साहित करते हैं। अफगानिस्तान में कोई भी राजनैतिक समझौता अनिवार्य रूप से सभी पक्षों को सम्मिलित कर होना चाहिए। किंतु वे वार्ताएं निश्चित रूप से अफगानों के नेतृत्व में होनी चाहिए, और जब तक तालिबान अपनी आतंकी गतिविधियां नहीं छोड़ते और अफगान संविधान में आस्था नहीं जताते, उनके साथ हमारा किसी तरह का वास्ता नहीं हो सकता।

तो अफगानिस्तान का भविष्य कैसा होगा? सुंदर, अगर हम प्रगति का क्रम जारी रखें।

हम प्रगति कर रहे हैं। अफगान नेशनल आर्मी में लगातार बेहतरी आ रही है, और अब यह लगभग संपूर्ण अफगानी जनता की सुरक्षा में मुख्य भूमिका निभा रही है। देश भर में आर्थिक विकास देखा जा सकता है: अफगानिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद में 2001 से दस गुनी वृद्धि हुई है, और अब काबुल एक फलता-फूलता वाणिज्यिक केंद्र है। शिक्षा-क्षेत्र में भी विकास हो रहा है: लगभग 60 लाख अफगान बच्चे अब स्कूलों में हैं, जिनमें 20 लाख से अधिक लड़कियां हैं- और सफल विकास के लिए अगर कोई अकेली जादू की छड़ी है तो वह है-लड़कियों को शिक्षित करना।

स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार: केवल एक दशक में जीवन प्रत्याशा 18 वर्ष बढ़ गई है। प्रशासन में सुधार: इस वर्ष का राष्ट्रपति चुनाव अफगानिस्तान के आजतक के इतिहास में होनेवाला पहला लोकतांत्रिक सत्ता हस्तांतरण है। और ज्यादा से ज्यादा अफगान अपने पैरों पर चलकर वोट देने जा रहे हैं और वापस घर लौट रहे हैं: अभी तक 50 लाख से ज्यादा।

हम जानते हैं कि अफगानिस्तान में भारत के महत्वपूर्ण हित निहित हैं। और वहां भारत की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत पर अफगानिस्तान के लोग विश्वास करते हैं: जनमत सर्वेक्षणों में लगातार यह प्रदर्शित होता है कि अफगान लोग किसी अन्य देश के मुकाबले भारत को सर्वाधिक उच्च महत्व देते हैं। भारत की निकट स्थिति तथा इसके आकार का अर्थ है कि आने वाले वर्षों में यह इस देश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। भारत की आर्थिक समृद्धि तथा अफगानिस्तान से इसके निकट व्यापारिक संबंधों का आशय है कि विकास प्रक्रिया को मदद पहुंचाने तथा देश की अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाए रखने में इसकी निर्णायक भूमिका होगी। और भारत अपने 2 अरब डॉलर के सहायता कार्यक्रम द्वारा अफगानिस्तान के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह सहायता सड़क और ऊर्जा जैसी वृहत ढांचागत परियोजनाओं तथा कृषि, शिक्षा तथा स्वास्थ्य जैसी छोटी परियोजनाओं- दोनों के लिए है।

अफगानिस्तान में भारत सरकार के कार्य जितने महत्वपूर्ण हैं, निजी क्षेत्रों द्वारा किए जाने वाले कार्य भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। अफगानिस्तान में भारतीय कंपनियां सबसे बड़ी निवेशक हैं। गत वर्ष भारतीय कंपनियों के एक संगठन ने लौह अयस्क खनन के क्षेत्र में 10 अरब डॉलर का करार किया है। अन्य भारतीय कंपनियां इससे आगे खनिज, स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसे क्षेत्रों में निवेश के अन्य अवसरों की तलाश में हैं। अगले दशक तक धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहायता समाप्त होनी शुरू हो जाएगी। ऐसा होने पर, एक सुखी-संपन्न और स्थिर अफगानिस्तान को व्यवस्थित करने की प्रक्रिया में हमेशा भारत के नेतृत्व में निजी क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण बनी रहेगी। इसलिए व्यापक तौर पर अफगानिस्तान, ब्रिटेन तथा भारत दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, और हम दोनों भी उसके लिए महत्वपूर्ण हैं। ऐसा इसलिए; क्योंकि मैं मानता हूं कि अगले कुछ वर्षों तक, जैसा कि हम सभी उसे देखना चाहते हैं,- एक स्थिर, शांतिपूर्ण, समृद्ध तथा लोकतांत्रिक अफगानिस्तान के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए भारत तथा ब्रिटेन के लिए आपस में गहन भागीदरी के आधार पर काम करने की संभावना है।

इस प्रयास का पहला चरण है, अफगानिस्तान के बारे में आपस में एक दूसरे से अधिकाधिक वार्ताएं करना, जिससे कि हमारी साझा रुचियों का परिणाम साझी कार्रवाई के रूप में प्रकट हो। इसके लिए फरवरी 2013 में हमारे दोनों प्रधानमंत्री अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और विकास के लिए एक संयुक्त कार्य-समिति गठित करने पर सहमत हुए हैं। यह बैठक यहां दिल्ली में अगले सप्ताह होगी। तब हमें इस विषय पर चर्चा का अवसर मिलेगा कि किस प्रकार हम अधिक संयुक्त होकर अफगानिस्तान के निर्माण के लिए काम कर सकते हैं, जैसा हम उसे देखना चाहते हैं और जो उसके नागरिकों का अधिकार है।

निष्कर्ष

ब्रिटेन तथा भारत के बीच सुदृढ़, गहन तथा विस्तृत संबंध हैं। इस संबंध को एक वास्तविक साझेदारी के रूप में बदलना और इस साझेदारी को हमेशा के लिए अधिक सुदृढ़, अधिक गहन तथा अधिक विस्तृत बनाना हमारा लक्ष्य है, मेरा काम है। हमने पिछले कुछ वर्षों में प्रगति की है, किंतु यह दशकों तक चलने वाली परियोजना है। हमारी प्रगति जारी रहेगी, क्योंकि जैसा मैं मानता हूं, यह हमारे राष्ट्रों, हमारे नागरिकों तथा संपूर्ण रूप से विश्व-समुदाय के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

अंत में, अपने व्यवसाय के बारे में मैं एक कहावत आपको सुनाऊं। राजनयिक वह होता है जो अनेक भाषाओं में अपनी बात गलत समझा सके। उम्मीद करता हूं आज मैंने आपसे यह छल नहीं किया है। अगर ऐसा है, तो मैं माफी चाहता हूं। अगर ऐसा नहीं है, तो ध्यान से मुझे सुनने के लिए आपका शुक्रिया।

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प्रकाशित 8 जनवरी 2014